Headline
नारद बाबा के आश्रम पर श्री सहस्त्रचण्डी महायज्ञ को लेकर कलश यात्रा की तैयारी पूरी
दिल्ली की मंत्री आतिशी का अनशन तीसरे दिन भी जारी, कहा हरियाणा से नहीं आ रहा पानी
लोकसभा का सत्र सोमवार से, महताब को प्रोटेम स्पीकर बनाये जाने पर सदन में शोरगुल के आसार
महाराष्ट्र: नीट पेपर लीक मामले में दो शिक्षक गिरफ्तार
अब मोतिहारी में गिरा निर्माणाधीन पुल, एक हफ्ते में तीसरी घटना
इसरो का एक और कीर्तिमान, दोबारा इस्तेमाल हो सकने वाले विमान की तकनीक का तीसरा परीक्षण भी सफल
बिहार में 26 जून से होने वाली शिक्षक सक्षमता परीक्षा स्थगित, जल्द घोषित की जाएगी नई तिथि
निष्पक्षता से प्रश्न पत्र लीक मामले की हो जांच, नहीं तो राजद करेगी खुलासा : तेजस्वी
बिहार के सीवान जिले में गंडक नहर पर बना 30 फीट लंबा पुल गिरा

हंगामे के बीच सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) विधेयक 2023 लोकसभा में भी पारित

नई दिल्ली, 31 जुलाई : लोकसभा ने सोमवार को सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) विधेयक 2023 पारित कर दिया। सिनेमैटोग्राफ (चलचित्र) संशोधन विधेयक का उद्देश्य फिल्म पायरेसी को रोकने और केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) द्वारा दिए गए आयु-आधारित प्रमाणन में सुधार के साथ-साथ सभी प्लेटफार्मों पर फिल्मों और सामग्री के वर्गीकरण में एकरूपता लाना है।

सोमवार को लोकसभा में सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने सदन के पटल पर सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) विधेयक 2023 पर विचार करने और पारित करने के लिए पेश किया था। सदन में इस विधेयक पर चर्चा के बाद बयान देते हुए अनुराग ठाकुर ने कहा कि इस विधेयक का पारित होना बहुत महत्वपूर्ण है। फिल्म जगत से जुड़े सभी लोगों के अधिकारों को संरक्षण देने वाला और उनके हितों की रक्षा करने वाला विधेयक है।

उन्होंने कहा कि साउथ की फिल्मों ने आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नाम किया है। इससे लाखों लोगों की रोजी-रोटी जुड़ी हुई है। उनके हितों को देखते हुए केन्द्र सरकार पायरेसी को रोकने के लिए यह विधेयक लाई है। फिल्मों के माध्यम से गांव-गांव की बातें देश-दुनिया में पहुंचाने का अवसर प्राप्त हुआ है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की सोफ्ट पावर ने एक नई पहचान बनाई है। लाखों लोगों को रोजगार देने की क्षमता है। ऐसे बहुत सारे लोगों के हितों का ध्यान में रखते हुए इस विधेयक को लाया गया है।

उन्होंने कहा कि सिनेमौटोग्राफी (संशोधन) विधेयक 2023 के लिए बहुत लंबा समय लगा। साल 1952 के बाद 1981 में एक बड़ा संशोधन हुआ था और अब चार दशक का समय लगा लेकिन इस दौरान भारतीय सिनेमा में बहुत कुछ बदला है। इन सालों में फिल्मों को बनाने के तरीके से लेकर इसे पायरेसी के माध्यम से चुराने तक के तरीके में बदलाव हुआ है। इंटरनेट के माध्यम से पाइरेटेड फिल्में कुछ सेकंड में लाखों जगह भेजी जा सकती हैं, जिससे फिल्म बनाने वाले की मेहनत पर पानी फिर जाता है। यह विधेयक पायरेसी के कारण फिल्म को होने वाले नुकसान से बचायेगा। पायरेसी के कारण फिल्म उद्योग को काफी नुकसान होता है। यह विधेयक सिनेमैटोग्राफी अधिनियम 1952 को संशोधित करेगा।

इस विधेयक में कुछ नई कैटेगरीज जैसे यूए 7, यूए 13 और यूए 16 को शामिल किया गया है। विधेयक संसद में पास होने के बाद फिल्मों के सर्टिफिकेशन में ऐसी कैटेगरीज देखने को मिलेंगी। इसके अलावा बिना इजाजत फिल्म की कॉपी बनाने वाले व्यक्ति को तीन महीने से तीन साल तक की जेल हो सकती है। साथ ही उसके ऊपर 3 लाख का जुर्माना भी लग सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top