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सीएम नीतीश के उत्तर प्रदेश से लोकसभा चुनाव लड़ने की अटकलों को लेकर बिहार में राजनीतिक बयानबाजी शुरू

पटना, 04 अगस्त : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित उत्तर प्रदेश से लोकसभा चुनाव लड़ने की ताजा अटकलों को लेकर राज्य में सत्तारूढ़ महागठबंधन और यहां के विपक्षी दल के बीच राजनीतिक तकरार शुरू हो गई है। बिहार के मंत्री और उत्तर प्रदेश के लिए जनता दल (यूनाइटेड) (जद-यू) के प्रभारी श्रवण कुमार के हाल में कहा था कि ऐसी ‘‘मांगें’’ उठ रही हैं कि पार्टी प्रमुख पड़ोसी राज्य से चुनाव मैदान में उतरें। इसके बाद कुमार के उत्तर प्रदेश से लोकसभा चुनाव लड़ने की अटकलें तेज हो गईं।

श्रवण कुमार का कहना है कि ‘‘मैं हाल में जौनपुर में था और वहां बहुत मांग थी कि माननीय मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश से लोकसभा चुनाव लड़ने पर विचार करें।’’ कैबिनेट के सबसे वरिष्ठ सदस्य और पूर्व राज्य जदयू अध्यक्ष बिजेंद्र यादव ने पार्टी कार्यालय में संवाददाताओं से कहा, ‘‘न केवल उत्तर प्रदेश, बल्कि कई अन्य राज्यों में हमारी इकाइयां चाहती हैं कि मुख्यमंत्री वहां से चुनाव लड़ें। बेशक, इस बारे में पार्टी नेता को निर्णय लेना है।’’

नीतीश ने पिछले साल राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से नाता तोड़ लिया था और 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन को हराने की मुहिम में लगे हुए हैं। उनके बारे में अटकलें जोरों पर हैं कि वह पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की सीट के रूप में प्रसिद्ध फूलपुर से चुनाव लड़ सकते हैं। यह संसदीय सीट के तहत प्रयागराज शहर का एक बड़ा हिस्सा आता है और वहां कुर्मी जाति की एक बड़ी आबादी है, जिससे कुमार संबंधित हैं और यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी से लगभग 100 किलोमीटर दूर है। श्रवण कुमार ने कहा, ‘‘यह सिर्फ फूलपुर नहीं है। हाल में उत्तर प्रदेश दौरे के दौरान मुझे एहसास हुआ कि फतेहपुर और प्रतापगढ़ समेत कई अन्य सीटें हैं, जहां हमारी पार्टी चाहती है कि मुख्यमंत्री लड़ें। उन्हें लगता है कि इससे माहौल बनेगा।’’

बिहार में जदयू की सबसे बड़ी सहयोगी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रवक्ता शक्ति यादव से जब यह पूछा गया कि वह नीतीश के उत्तर प्रदेश से चुनाव लड़ने के बारे में क्या सोचते हैं, तो उन्होंने कहा, ‘‘अगर उस राज्य के लोग चाहते हैं, तो उन्हें ऐसा करना चाहिए। यह बिहार के लिए गर्व की बात है कि हमारे नेता की लोकप्रियता बिहार की सीमाओं से परे है।’’

इस सीट का नेहरू से जुड़ाव रहा है और उनकी मृत्यु के बाद विजय लक्ष्मी पंडित ने यहां से जीत दर्ज की थी लेकिन अब फूलपुर कांग्रेस की पकड़ से निकल चुकी है और आखिरी बार 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या से उत्पन्न लहर के समय पार्टी ने इस सीट से जीत हासिल की थी। बिहार में जदयू की दूसरी सबसे बड़ी सहयोगी पार्टी कांग्रेस के बिहार विधानसभा में विधायक दल के नेता शकील अहमद खान से नीतीश के फूलपुर से चुनाव लड़ने की अटकलों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘‘क्यों नहीं? जब गुजरात का कोई व्यक्ति वाराणसी से चुनाव लड़ सकता है और जीत सकता है, तो हम उत्तर प्रदेश के बहुत करीब हैं।’’

नीतीश के उत्तर प्रदेश से चुनाव लड़ने की चर्चा से नाराज दिख रही भाजपा के नेताओं ने इसे लेकर जदयू के शीर्ष नेता पर निशाना साधा। बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता विजय कुमार सिन्हा और भाजपा की बिहार इकाई के प्रमुख सम्राट चौधरी ने अलग-अलग कड़े शब्दों में बयान दिए और आरोप लगाया कि नीतीश अपने घरेलू क्षेत्र में अपनी लोकप्रियता खो चुके हैं और अगर वह पड़ोसी राज्य में जाते हैं तो उन्हें अपमान का सामना करना पड़ेगा। भाजपा के दोनों नेताओं ने नीतीश की पार्टी जदयू पर फूलपुर के ‘‘जातीय अंकगणित’’ के दृष्टिकोण से सोचने का भी आरोप लगाया।

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