नई दिल्ली, 02 जुलाई : उत्तरपूर्वी दिल्ली में भजनपुरा चौक पर एक फ्लाईओवर का मार्ग प्रशस्त करने के लिए भारी पुलिस बल की तैनाती के बीच एक मंदिर और एक मज़ार को रविवार सुबह हटा दिया गया। यह जानकारी पुलिस ने दी।

पुलिस ने बताया कि दोनों ढांचों को हटाने का फैसला कुछ दिनों पहले एक ‘धार्मिक समिति’ की बैठक में लिया गया था और स्थानीय नेताओं एवं लोगों के साथ उचित संवाद किया गया था।

भारी पुलिस बल की तैनाती के बीच लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) द्वारा ढांचों को हटाये जाने के बाद उत्तरपूर्वी दिल्ली के पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) जॉय टिर्की ने कहा, ‘‘सब कुछ शांतिपूर्ण हो गया।”

टिर्की ने कहा कि भजनपुरा चौक पर सड़क के एक तरफ हनुमान मंदिर था और दूसरी मज़ार थी और दोनों ढांचों को सहारनपुर फ्लाईओवर के वास्ते सड़क चौड़ी करने के लिए हटाया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘इसकी योजना कुछ दिन पहले बनाई गई थी लेकिन स्थानीय नेताओं ने प्रशासन से तैयारी और जरूरी इंतजाम करने के लिए कुछ वक्त मांगा था।”

डीसीपी ने कहा, ‘‘आज (रविवार को) हमने सबसे बात की और उनके साथ उचित संवाद करने के बाद सब लोगों के सहयोग से धार्मिक ढांचों को हटा दिया गया। धार्मिक ढांचे हटाने से पहले कुछ श्रद्धालु आए थे और उन्होंने पूजा भी की। मंदिर को पुजारी ने स्वयं ही हटा लिया।” पुलिस ने कहा कि पीडीब्ल्यूडी को उचित सहायता उपलब्ध कराने के लिए पर्याप्त संख्या में सुरक्षा बल तैनात किए गए थे। उत्तरपूर्वी दिल्ली को सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील माना जाता है। 2020 में इलाके में दंगे हुए थे जिसमें 53 लोगों की मौत हो गई थी।

इस बीच दिल्ली की कैबिनेट मंत्री आतिशी ने धार्मिक ढांचे तोड़ने को लेकर ट्वीट किया। उन्होंने कहा, “एलजी साहब: मैंने कुछ दिनों पहले आपसे पत्र लिख कर अनुरोध किया था कि दिल्ली में मंदिरों एवं अन्य धार्मिक स्थलों को तोड़ने का जो आपका निर्णय है, वो आप वापस ले लें। परंतु आज फिर से आपके आदेश पर भजनपुरा में एक मंदिर तोड़ दिया गया।”

मंत्री ने कहा, ‘‘मेरा आपसे पुन निवेदन है की दिल्ली में मंदिरों एवं अन्य धार्मिक स्थलों को ना तोड़ा जाए। इनसे लोगों की आस्था जुड़ी है।” आतिशी ने 22 जून को उपराज्यपाल (एलजी) वी के सक्सेना को पत्र लिखकर धार्मिक स्थलों को तोड़ने का फैसला वापस लेना का आग्रह किया था।

आतिशी द्वारा उक्त पत्र लिखे जाने से पहले, पूर्वी दिल्ली के मंडावली इलाके में मंदिर के पास फुटपाथ पर अतिक्रमण करके लगाई गई ग्रिल को 22 जून को कथित तौर पर अधिकारियों द्वारा हटाये जाने के बाद स्थानीय लोगों और प्राधिकारियों के बीच गतिरोध उत्पन्न हो गया था। इसको लेकर अफवाह फैली थी कि अधिकारी मंदिर तोड़ने पहुंचे हैं।

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