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जामा मस्जिद समेत तमाम मस्जिदों में अदा की गई अलविदा की नमाज, अमन-चैन की दुआ

नई दिल्ली, 05 अप्रैल: इस्लाम में जुमे का खास महत्व है। रमजान के पाक महीने में इसकी अहमियत और बढ़ जाती है। 5 अप्रैल को दुनियाभर में आखिरी जुमे जुमातुल विदा की नमाज पढ़ी गई। राजधानी में स्थित ऐतिहासिक जामा मस्जिद में हजारों की संख्या में लोगों ने अलविदा नमाज अदा की। अलविदा की नमाज के पांचवें दिन ईद की नमाज पड़ सकती है। इसके चलते रोजेदार और मुस्लिम समाज के लोग ईद की तैयारियों में भी जुटे हैं। इस्लाम में जुमे जुमातुल अलविदा को छोटी ईद भी कहा जाता है। ईद की सही तारीख अरब में चांद निकलने पर निर्भर करती है।

रमजान माह के आखिरी शुक्रवार को मस्जिदों में अलविदा जुमे की नमाज पढ़ी गई। इसको लेकर शहर के कई इलाकों में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच हुई अलविदा जुमे की नमाज अदा की गई। जहां मुस्लिम समुदाय के लोगों ने अमन चैन और आपसी भाईचारे की दुआ मांगी। इस मौके पर एक दूसरे की अलविदा जुमा की बधाई दी गई।

जामा मस्जिद के सामने मटिया महल बाजार के दुनकानदारों ने अपनी अपनी दुकानों के सामने अलविदा की नमाज़ अदा की। मटिया महल मार्केट एसोसिएशन के प्रधान हाजी सलीमुद्दीन ने बताया कि इस दिन जामा मस्जिद में काफी भीड़ होती है। इसे देखते हुए कई दुकानदार बाजार की सड़कों पर ही अलविदा की नमाज़ अदा करते हैं।

अलविदा जुमे की नमाज को लेकर जामा मस्जिद में एक अलग ही रौनक देखने को मिलती है। मस्जिद में खास इंतजाम किये जाते हैं। सभी लोग नए कपड़े पहनकर नमाज अदा करने के लिए जाते हैं। बच्चों से लेकर बूढ़ों तक सभी लोग इस दिन मस्जिदों में इबादत करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि अलविदा जुमे में नमाज अदा कर लोग जो दुआ मांगते हैं, वह पूरी होती है।

क्या होती है अलविदा की नमाजः ऐसी मान्यता है कि जो लोग हज की यात्रा पर नहीं जा पाते हैं, वह इस जुमे के दिन पूरी शिद्दत और एहतराम के साथ नमाज अदा कर सकते हैं। ऐसा करने से उन्हें हज यात्रा करने के बराबर सवाब मिलता है। अलविदा जुमे को अरबी में जमात-उभी कहा जाता है।

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