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जाति आधारित सर्वेक्षण का काम पूरा, अब डाटा संकलित किया जा रहा है: नीतीश कुमार

पटना, 25 अगस्त : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को कहा कि राज्य में जाति आधारित सर्वेक्षण का काम पूरा कर लिया गया है और अब डाटा संकलित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस डाटा को जल्द ही सार्वजनिक किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि जाति आधारित सर्वेक्षण समाज के सभी तबकों के लिए लाभकारी होगा। यहां संवाददाताओं से बातचीत में नीतीश कुमार ने कहा, ”जाति के आधार पर लोगों की गणना की कवायद राज्य में पूरी हो चुकी है। अब डाटा संकलित किया जा रहा है और इसे जल्द ही सर्वाजनिक किया जाएगा।

उन्होंने कहा, ”राज्य में जाति आधारित सर्वेक्षण सभी के लिए लाभकारी है। यह वंचित लोगों समेत समाज के विभिन्न तबकों के विकास का काम करने में सरकार को समर्थ बनाएगा। यह हमें यह जानने में मदद करेगा कि किस क्षेत्र में विकास की जरूरत है। डाटा का विस्तृत ब्योरा आने दीजिए, मैं आश्वस्त हूं कि अन्य राज्य भी इसका अनुसरण करेंगे।”

कुछ राजनीति दलों की ओर से जाति आधारित गणना का विरोध किये जाने के बारे में पूछे जाने पर कुमार ने दावा किया कि जाति आधारित सर्वेक्षण कराने का निर्णय राज्य के सभी दलों के नेताओं के बीच आम राय से लिया गया जिसमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) भी शामिल है।

नीतीश ने कहा, ”मैं इससे नहीं परेशान हूं कि वे (भाजपा) क्या कह रहे हैं। मैं इतना कह सकता हूं कि सर्वेक्षण रिपोर्ट सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित समूहों के लिए कल्याणकारी योजनाओं को बेहतर तरीके से लागू करने में सरकार की मदद करेगी। हम शुरू से ही जाति आधारित सर्वेक्षण के पक्ष में रहे हैं। हमने जाति आधारित सर्वेक्षण का फैसला खुद से लिया।”

जाति-आधारित सर्वेक्षण पर चल रही सुनवाई में अपना जवाब दाखिल करने के लिए उच्चतम न्यायालय से अनुमति मांगने के केंद्र के कदम पर टिप्पणी करते हुए कुमार ने कहा, ”उच्चतम न्यायालय ने कभी भी इस कवायद को रोकने का निर्देश नहीं दिया। पटना उच्च न्यायालय ने जनहित याचिकाओं की उस खेप को खारिज कर दिया था जिसमें जाति आधारित सर्वेक्षण की वैधता को चुनौती दी गई थी। उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार की पहल को पूरी तरह से वैध और कानूनी रूप से सुसंगत बताया था। इसके बाद राज्य सरकार ने कवायद फिर से शुरू की और इसे पूरा किया।”

मुख्यमंत्री ने कहा, ”केंद्र सरकार दशकीय जनगणना में देरी पर चुप्पी क्यों साधे हुए है। यह प्रक्रिया 2021 में पूरी होनी चाहिए थी। उन्हें (भाजपा नेताओं को) वर्ष 2021 में की जाने वाली दशकीय जनगणना में पहले से हो रहे विलंब के बारे में कुछ कहना चाहिए।”

केंद्र ने हाल ही में उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर पटना उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक समूह पर शीर्ष अदालत में चल रही सुनवाई में हस्तक्षेप करने की अनुमति देने का अनुरोध किया, जिसमें राज्य के फैसले को बरकरार रखा गया था।

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