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कांग्रेस ने दिल्ली सेवा विधेयक को असंवैधानिक तो भाजपा ने संवैधानिक बताया

नई दिल्ली, 07 अगस्त : कांग्रेस ने दिल्ली सेवा विधेयक को दिल्ली पर पिछले दरवाजे से नियंत्रण करने की कोशिश करार देते हुए आज कहा कि यह असंवैधानिक, अलोकतांत्रिक तथा संघवाद के खिलाफ है वहीं भारतीय जनता पार्टी ने विधेयक का पुरजोर समर्थन करते हुए कहा कि दिल्ली पूर्ण राज्य के बजाय विशेष श्रेणी का संघ शासित राज्य है इसलिए संसद को इसके संंबंध में हर तरह का कानून बनाने का अधिकार है।

सदन में सोमवार को भोजनावकाश के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्य क्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक 2023 पेश किया। इससे पहले राष्ट्रीय राष्ट्रीय जनता दल के ए डी सिंह , मार्क्सवादी इलामारम करीम, मरूमलारची द्रमुक के वाइको, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के ए ए रहीम, आम आदमी पार्टी के राघव चढ्डा , तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के ही डा़ जॉन ब्रिटास , मार्क्सवादी विनय विश्वम, द्रमुक के तिरूचि शिवा , मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के वी शिवदासन, भारत राष्ट्र समिति के केशव राव और आम आदमी पार्टी के सुशील कुमार गुप्ता ने विधेयक के विरोध में एक वैधानिक प्रस्ताव पेश किया जिसमें कहा गया है कि

‘यह सभा 19 मई 2023 को राष्ट्रपति द्वारा प्रख्यापित दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्य क्षेत्र शासन (संशोधन) अध्यादेश 2023 का निरनुमोदन करती है।’

इसके अलावा श्री शिवा , श्री ब्रिटास और श्री चड्ढा ने विधेयक को व्यापक विचार विमर्श के लिए प्रवर समिति में भेजने का प्रस्ताव किया।

सभापति ने कहा कि इन सब विषयों पर सदन में एक साथ चर्चा होगी।

कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी ने विधेयक पर चर्चा की शुरूआत करते हुए कहा कि यह विधेयक पूरी तरह से असंवैधानिक तथा सहकारी संघवाद की भावना के खिलाफ है तथा यह उच्चतम न्यायालय में नहीं टिक पायेगा। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के माध्यम से केन्द्र सरकार काेई भी तरीका अपनाकर दिल्ली पर पिछले दरवाजे से नियंत्रण करना चाहती है। उन्होंने कहा कि दुनिया में इस तरह का उदाहरण कहीं देखने को नहीं मिलता कि निर्वाचित सरकार को कानून बनाने तथा नौकरशाहों से काम कराने का अधिकार हासिल न हो।

श्री सिंघवी ने कहा कि विधेयक में एक सिविल सेवा प्राधिकरण के गठन का प्रावधान है लेकिन इसके अध्यक्ष यानी मुख्यमंत्री को पूर्ण अधिकार नहीं दिये गये हैं। इस प्राधिकरण में उनके साथ दो नौकरशाहों को शामिल किया गया है। प्राधिकरण अधिकारियों की नियुक्ति तथा स्थानांतरण के बारे में अपनी सिफारिश उप राज्यपाल को भेजेंगे जिन्हें अंतिम निर्णय लेने का अधिकार होगा। उन्होंने कहा कि दिल्ली में जितनी संस्थाएं होंगी उनके प्रमुखों को नियुक्त करने का परोक्ष अधिकार उप राज्यपाल के पास ही होगा। उन्होंने कहा कि यह विधेयक निर्वाचित सरकार को अधिकारों के मामले में खोखला तथा नीति बनाने में पंगु करता है। उन्होंने कहा कि यह उच्चतम न्यायालय के साथ साथ दिल्ली के लोगों का भी अपमान है।

भाजपा के सुधांशु त्रिवेदी ने श्री सिंघवी की दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि दिल्ली में सत्तारूढ आम आदमी पार्टी इस बात को नहीं समझती कि दिल्ली पूर्ण राज्य नहीं है और वह विशेष श्रेणी का संघ शासित राज्य है। उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 239 ए ए के तहत केन्द्र सरकार को दिल्ली से संंबंधित हर तरह का कानून बनाने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में न्यायालय ने कभी प्रतिकूल टिप्पणी नहीं की है। उन्होंने कहा कि उन्होंने दुनिया में कहीं ऐसा नहीं देखा है कि कोई केन्द्र शासित प्रदेश केन्द्र सरकार के अधिकारों का अतिक्रमण करता हो।

उन्होंने कहा कि श्री सिंघवी कह रहे थे कि अध्यादेश केवल आपात स्थिति में ही लाया जाता है लेकिन उन्हें यह भी समझना चाहिए कि दिल्ली सरकार ने न्यायालय का आदेश आने के कुछ दिन में ही संवेदनशील फाइलों के साथ छेड़छाड़ शुरू कर दी। उन्होंने कहा कि इसे देखते हुए जल्द से जल्द अध्यादेश लाया जाना जरूरी था। उन्होंने कहा कि इससे पहले भी विभिन्न समय पर अलग अलग केन्द्र सरकार सैकड़ों अध्यादेश लेकर आयी है।

श्री त्रिवेदी ने कहा कि दिल्ली का अपना कोई कैडर नहीं है और दानिक्स कैडर में कुछ अन्य केन्द्र शासित प्रदेशों के अधिकारी भी आते हैं इसलिए यदि सिविल अधिकारी दिल्ली के मुख्यमंत्री के अधिकारों के तहत आयेंगे तो उनकी नियुक्ति तथा तबादलों में दिक्कत आ सकती है। उन्होंने इसके लिए कुछ उदाहरण भी दिये।

उन्होंने शायराना अंदाज में कांग्रेस और आम आदमी के गठबंधन पर भी निशाना साधा और कहा कि आम आदमी पार्टी सोच रही थी कि वह विधेयक पर समर्थन पाकर बाजी मार लेगी लेकिन उसे नहीं पता कि कांग्रेस ने अविश्वास प्रस्ताव लाकर बाजी मार ली। भाजपा सदस्य ने दिल्ली के मुख्यमंत्री की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के घर में दस ए सी होने के बारे में दिये गये बयानों का हवाला देते हुए कहा कि अब दिल्ली के मुख्यमंत्री के घर में करोड़ों के पर्दे तथा 15 शौचालय हैं। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी को संविधान के बारे में बात करने का कोई हक नहीं है क्योंकि पार्टी में आंतरिक संविधान नहीं है।

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