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नई दिल्ली, 10 दिसंबर: लोकसभा के शीतकालीन सत्र का बुधवार का दिन राजनीतिक गर्माहट से भरा रहा। चुनाव सुधार (Election Reforms) पर चल रही चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और विपक्ष के नेता राहुल गांधी आमने-सामने नज़र आए। माहौल तब और गरम हुआ जब राहुल गांधी ने तीनों प्रेस कॉन्फ्रेंस (PC) पर खुली बहस की चुनौती दी—एक ऐसी चुनौती, जिसने सत्ता पक्ष को सीधा निशाने पर ले लिया।

राहुल गांधी के इस बयान पर अमित शाह ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि “मेरा भाषण कोई और तय नहीं कर सकता।” शाह का संकेत साफ था—विपक्ष चाहे जितनी बहस की मांग करे, सरकार अपने मुद्दों और अपने तरीके से ही जवाब देगी।

चर्चा के दौरान दोनों नेताओं के बीच कई बार सवाल-जवाब गर्माए। राहुल गांधी ने चुनाव सुधारों को लेकर पारदर्शिता की कमी का आरोप लगाया, जबकि अमित शाह ने विपक्ष की आलोचना को राजनीतिक नाटक बताया।

लोकसभा की कार्यवाही कुछ देर तक तीखी नोकझोंक में बदलती दिखी, लेकिन स्पीकर के हस्तक्षेप के बाद माहौल फिर संभला।

इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि चुनाव सुधार जैसे संवेदनशील मुद्दे पर सरकार और विपक्ष की दूरियां कम होने की जगह और बढ़ती जा रही हैं।

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