नई दिल्ली, 23 दिसंबर : भारतीय वायुसेना में इन दिनों पायलटों की भारी कमी है। इससे ऑपरेशनल रेडिनेस की तैयारी में दिक्कत होगी। यानी अचानक से कई फ्रंट पर जरूरत पड़ जाए, वायुसेना के पास पायलट कम हैं। इसका खुलासा किया है कॉम्पट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल (कैग) ऑफ इंडिया ने किया है। इस पर रक्षा मामलों की संसदीय समिति ने भी अपनी चिंता जाहिर की है। कैग ने अपनी रिपोर्ट में इंडियन एयरफोर्स में पायलटों की कमी के आंकड़ें बताए हैं। फरवरी 2015 में 486 पायलटों की कम थी। जो 2021 के अंत तक 596 हो गई। जबकि 2016 से 2021 के बीच 222 ट्रेनी पायलटों को भर्ती करने का प्लान था। लेकिन वायुसेना टारगेट पूरा नहीं कर सकी। अब स्थिति गंभीर हो गई है। जानकार का मानना है कि पायलटों की भर्ती में कई प्रकार की चुनौतियां होती हैं। इसलिए ये कमी महसूस की जा रही है। कॉमर्शियल एविएशन सेक्टर तेजी से बढ़ रहा है। घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों में पैकेज ऑफर बहुत ज्यादा हैं। लाइफस्टाइल संतुलित और स्थिर है। अनुभवी मिलिट्री पायलट्स सर्विस से निकल कर वहां जा रहे हैं।
42 स्क्वॉड्रन चाहिए, हैं सिर्फ 31 ही
संसदीय समिति ने देखा कि पायलट-टू-सीट रेशियो 1.25:1 प्रत्येक फाइटर जेट के लिए हैं। शांति के समय ये आंकड़ा ठीक है। लेकिन जब जंग की स्थिति होगी तब ये स्थिति गंभीर हो सकती है। इसके साथ ही वायुसेना वर्तमान में 31 स्क्वॉड्रन्स के साथ अपनी ड्यूटी परफॉर्म कर रही है। नए एयरक्राफ्ट्स के आने और पुराने को हटाने में समय लग रहा है। इसकी वजह से भारतीय वायुसेना की एरियल कॉम्बैट कैपेबिलिटी कमतर होती चली जाएगी। कैग और संसदीय समिति की रिपोर्ट ने तत्काल और तेजी से इन दोनों दिशाओं की तरफ मोदी सरकार को कदम उठाने को कह चुकी है। वायुसेना ने एयरफोर्स कॉमन एडमिशन टेस्ट (एफसीएटी) और एयर फोर्स सेलेक्शन बोर्ड (एएफएसबी) ने रिक्रूटमेंट प्रोसेस को तेज किया है। इस डिजिटल कैंपने दिशा के तहत नई शुरूआत दी गई है।