पेशावर, 28 फरवरी: रमजान के पवित्र महीने से पहले उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत खैबर पख्तूनख्वा प्रांत स्थित एक मदरसे में जुमे की नमाज अदा करने के दौरान शक्तिशाली विस्फोट होने से पांच लोगों की मौत हो गई जबकि 20 अन्य घायल हो गए। पुलिस ने यह जानकारी दी।

मुख्य सचिव शहाब अली शाह ने बताया कि ‘दारुल उलूम हक्कानिया’ नामक मदरसे में यह विस्फोट हुआ है, जिसमें जमीयत उलेमा इस्लाम (सामी समूह) के प्रमुख और नौशेरा जिले के अकोरा खट्टक स्थित मदरसा-ए-हक्कानिया की देखरेख करने वाले हमीदुल हक हक्कानी की मौत हो गई है।

हमीदुल हक के पिता मौलाना समी उल हक की मौत हो जाने के बाद उन्हें जेयूआई (सामी ग्रुप) का प्रमुख बनाया गया था। उनका जन्म 1968 में हुआ था।

खैबर पख्तूनख्वा के पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) जुल्फिकार हमीद ने बताया कि पुलिस को संदेह है कि इस हमले को आत्मघाती बम हमलावर के जरिए अंजाम दिया गय और हमीदुल हक ही निशाने पर थे।

उन्होंने बताया, ‘‘हमने हमीदुल हक को छह सुरक्षा गार्ड मुहैया कराए हुए थे। ’’

नौशेरा जिले के जिला पुलिस अधिकारी (डीपीओ) अब्दुर रशीद ने बताया कि मदरसे में जुमे की नमाज अदा करने के दौरान यह विस्फोट हुआ।

दारुल उलूम हक्कानिया मदरसा सुन्नी इस्लाम के हनाफी देवबंदी स्कूल का प्रचार करता है। मौलाना अब्दुल हक ने भारत के दारुल उलूम देवबंद मदरसा की तर्ज पर ही उक्त मदरसे की स्थापना की थी।

दारुल उलूम हक्कानिया मदरसे की पद्धति, शिक्षण की विषय-वस्तु तथा इसके पूर्व छात्रों के भविष्य के व्यवसायों के कारण इसे ‘‘जिहाद का विश्वविद्यालय’’ कहा जाता है।

तालिबान के पूर्व प्रमुख अख्तर मंसूर सहित आतंकी संगठन के कई प्रमुख सदस्यों ने इस मदरसे में पढ़ाई की है।

बचाव दल ने घटनास्थल पर पहुंचकर शवों को बाहर निकाला और घायलों को अस्पताल पहुंचाया। नौशेरा और पेशावर दोनों अस्पतालों में आपात स्थिति घोषित कर दी गयी है।

खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री अली अमीन गंडापुर और राज्यपाल फैसल करीम कुंदी ने इस आत्मघाती हमले की निंदा की है।

जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम के नेताओं ने लोगों से घायलों के लिए रक्तदान करने की अपील की है।

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