भुवनेश्वर, 15 जुलाई : ओडिशा के बालासोर में यौन उत्पीड़न के मामले में न्याय न मिलने पर आत्मदाह करने वाली 20 वर्षीय कॉलेज छात्रा ने सोमवार रात को एम्स में दम तोड़ दिया। वह करीब 60 घंटे तक जिंदगी और मौत से जूझती रही। शिक्षक के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं किए जाने से आहत छात्रा ने शनिवार को यह कदम उठाया था और वह 95 प्रतिशत तक झुलस गई थी। छात्रा को पहले बालासोर के जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था और फिर बेहतर उपचार के लिए भुवनेश्वर स्थित एम्स भेज दिया गया। छात्रा की मौत पर दुख व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने कहा कि मामले में सभी दोषियों को कानून के तहत कड़ी से कड़ी सजा मिलेगी।

इसके लिए मैंने खुद अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। उन्होंने ‘एक्स पर लिखा कि फकीर मोहन (स्वायत्त) महाविद्यालय की छात्रा की मौत हो गई। इससे मैं बेहद दुखी हूं। सरकार द्वारा सभी जिम्मेदारियों को निभाने और विशेषज्ञ चिकित्सा दल के अथक प्रयासों के बावजूद उसे नहीं बचाया जा सका। मुख्यमंत्री ने छात्रा के परिवार को 20 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की। उधर, अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि सोमवार रात को एम्स में पोस्टमार्टम के बाद छात्रा का शव बालासोर जिले के उसके पैतृक गांव पलासिया भेज दिया गया। शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया है। इस मामले में पहले ही पुलिस ने मुख्य आरोपी कॉलेज के विभागाध्यक्ष समीर कुमार साहू और प्राचार्य दिलीप घोष को गिरफ्तार कर लिया है। छात्रा ने समीर कुमार साहू पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। पुलिस ने किया बलप्रयोग छात्रा की मौत की सूचना मिलते ही बीजद और कांग्रेस के नेता व कार्यकर्ता सोमवार देर रात एम्स परिसर के अंदर विरोध-प्रदर्शन करने पहुंच गए। शव को ले जा रहे वाहन को वहां से निकालने के लिए पुलिस को बलप्रयोग करना पड़ा। एसटीआई टीम गठित ओडिशा पुलिस ने मामले की जांच में तेजी लाने के लिए एक त्वरित सुनवाई पहल (एसटीआई) टीम का गठन किया है।

पुलिस उपमहानिरीक्षक (पूर्वी रेंज) सत्यजीत नाइक ने कहा कि एसटीआई टीम में जांचकर्ता, फॉरेंसिक विशेषज्ञ और अभियोजक शामिल हैं। ये मेडिकल रिकॉर्ड और डिजिटल साक्ष्य जुटाने के साथ ही फोरेंसिक विश्लेषण पर काम कर रहे हैं। ये मामले हुए दर्ज प्राचार्य और विभाग प्रमुख के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाना, आपराधिक धमकी, यौन उत्पीड़न और पीछा करने के साथ ही महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने की धारा के तहत मामला दर्ज किया गया है। सांसद ने प्राचार्य को ठहराया दोषी बालासोर के सांसद प्रताप सारंगी ने कहा कि कॉलेज के प्राचार्य ने अपने कर्तव्यों का निर्वहन सही तरीके से नहीं किया। यह घटना जिस भयावह रूप में सामने आई है, उसके लिए प्राचार्य की गंभीर लापरवाही सीधे तौर पर जिम्मेदार है। सांसद ने दावा किया कि प्राचार्य ने छात्रा से कहा था कि यौन उत्पीड़न का उसका आरोप झूठा है।

प्राचार्य की इस टिप्पणी के बाद ही छात्रा ने यह कदम उठाया। बेटी ने मुझे लड़ना सिखाया : पिता छात्रा के पिता ने कहा कि मेरी बेटी ने मुझे लड़ना सिखाया है और मैं इसे जारी रखूंगा। मुझे पैसे या अनुग्रह राशि की जरूरत नहीं है। मुझे अपनी बेटी वापस चाहिए। क्या सरकार मुझे मेरी बच्ची वापस दे सकती है? प्रशासन की मदद करती थी छात्रा एक ग्रामीण ने कहा कि छात्रा प्राकृतिक आपदाओं, खासकर बाढ़ के दौरान सक्रिय रहती थी। बालासोर जिले के बाढ़ग्रस्त ब्लॉक बस्ता के एक ग्रामीण ने कहा कि वह बाढ़ के दौरान महिलाओं को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने में प्रशासन की मदद करती थी। इस मौत के जिम्मेदारों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए।

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