चंडीगढ़, 22 फरवरी: संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू तथा खनौरी सीमा बिंदुओं पर स्थिति के बारे में चर्चा करने के लिए बृहस्पतिवार को यहां एक बैठक करेगा।

सीमा बिंदुओं पर हजारों किसान अपने संगठनों द्वारा किए गए ‘दिल्ली चलो’ के आह्वान के तहत डेरा डाले हुए हैं।

एसकेएम ने 2020-21 में केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व किया था जिन्हें बाद में निरस्त कर दिया गया।

बैठक के लिए पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों से कई एसकेएम नेता यहां पहुंचे।

भारती किसान यूनियन (लाखोवाल) के महासचिव हरिंदर सिंह लाखोवाल ने कहा कि एसकेएम इस बात पर चर्चा करेगा कि बुधवार को शंभू और खनौरी सीमा बिंदुओं पर क्या हुआ।

उन्होंने कहा कि किसान संगठन इस बात पर भी निर्णय लेगा कि जारी आंदोलन का समर्थन किस तरह से किया जाए।

संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी और कृषि ऋण माफी सहित अपनी मांगों को स्वीकार कराने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए ‘दिल्ली चलो’ आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं।

एसकेएम ”दिल्ली चलो” आंदोलन का हिस्सा नहीं है।

खनौरी में हुई झड़प में एक आंदोलनकारी की मौत और लगभग 12 पुलिस कर्मियों के घायल होने के बाद किसान नेताओं ने बुधवार को दो दिनों के लिए कूच रोक दिया।

मृतक किसान की पहचान पंजाब के बठिंडा जिले के बल्लो गांव के निवासी शुभकरण सिंह (21) के रूप में हुई है।

पुलिस ने आंदोलनकारियों को तितर-बितर करने के लिए दोनों सीमा बिंदुओं पर कई बार आंसू गैस के गोले दागे। यह कार्रवाई किसानों द्वारा राष्ट्रीय राजधानी की ओर उनके कूच को रोकने के लिए लगाए गए अवरोधकों को पार करने के प्रयास के बाद की गई।

हजारों किसान अपने ट्रैक्टर-ट्रॉली और ट्रकों के साथ खनौरी और शंभू में डेरा डाले हुए हैं।

किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने बुधवार को कहा कि वे शुक्रवार शाम को आगे की रणनीति तय करेंगे।

पंजाब के किसान भी स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, कृषि ऋण माफी, बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं करने, पुलिस में दर्ज मामलों को वापस लेने, 2021 की लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए ‘न्याय’, भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 को बहाल करने और 2020-21 के आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं।

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