पटना, 23 जून: एक सप्ताह के अंदर बिहार में अब तीसरा पुल हादसा हुआ है। इस बार पूर्वी चंपारण के घोड़ासहन प्रखंड में डेढ़ करोड़ की लागत से बन रहा निर्माणाधीन पुल भरभरा कर गिर गया। अब इसका वीडियो वायरल हो रहा है। लोग बिहार सरकार पर सवाल खड़ा कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि घोड़ासहन प्रखंड अमावा से चैनपुर स्टेशन की ओर जाने वाली सड़क पर बन रहे पुल की ढलाई का काम कई दिनों से चल रहा था। शनिवार को पूल के एक हिस्से की ढलाई भी हुई थी। अचानक रात में करीब 40 फीट लंबा हिस्सा गिर गया।
पुल निर्माण में गुणवत्ता का कोई ख्याल नहीं रखा गया
लोगों का कहना है कि पुल निर्माण में गुणवत्ता का कोई ख्याल नहीं रखा गया था। पुल में इस्तेमाल की गई सामग्रियों की गुणवत्ता काफी खराब है। इसलिए अररिया के बकरा नदी पर जैसे पुल हादसा हुआ था, वैसा ही हाल यहां भी हुआ।लोगों ने कहा कि अब सवाल उठता है कि ढलाई के वक्त ही पूल ध्वस्त हो जा रहा है। इसकी गुणवत्ता क्या होगी? इसके लिए कौन जिम्मेवार है? बिहार सरकार इस मामले की जांच करे और जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई करे।
हादसे के विरोध में लोगों ने जमकर नारेबाजी की
इधर, पुल हादसे के विरोध में लोगों ने जमकर नारेबाजी की। गिरे हुए पुल के सामने ग्रामीण खड़े हो गए इसके बाद नारेबाजी करने लगे। उनका कहना है कि घोड़ासहन प्रखंड के अमवा से चैनपुर स्टेशन जाने वाली सड़क में 40 फीट पुल बनने का काम चल रहा था। ढलाई के कुछ घंटे बाद ही पुल ध्वस्त हो गया। उन्होंने बताया कि आरसीसी पुल का निर्माण धीरेंद्र कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड द्वारा करवाया जा रहा है।
22 जून को सीवान में गिरा था पुल
सीवान के महाराजगंज अनुमंडल के पटेढ़ा और गरौली गांव के बीच गंडक नहर पर पुल अचानक गिर गया। दरअसल, शनिवार सुबह अचानक पुल का एक पाया धंसने लगा। देखते ही पुल नहर में समा गया। हादसे के बाद दो गांव के बीच आवागमन बाधित हो गया है। इलाके में हड़कंप मच गया। लोग पुल के निर्माण कार्य पर सवाल उठा रहे हैं।
18 जून को बकरा नदी पर बना पुल गिरा था
बता दें कि 18 जून को अररिया जिले सिकटी प्रखंड में बकरा नदी पर बना पुल उद्घाटन से पहले ही पुल ध्वस्त हो गया था। 182 मीटर का पुल कुल तीन हिस्सों में बना था। दो पाए के साथ दो हिस्सा नदी में समा गया। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क निर्माण योजना के तहत बने इस पुल की लागत 7.79 करोड़ रुपये थी। 182 मीटर लंबे इस पुल का निर्माण 2021 में शुरू हुआ था। शुरुआती दौर में यह 7 करोड़ 80 लाख की लागत का था, लेकिन बाद में नदी की धारा बदलने और एप्रोच सड़क को लेकर कुल 12 करोड़ की लागत का हो गया था।