Headline
मोदी ने गुयाना को दिया, लोकतंत्र प्रथम-मानवता प्रथम” का मंत्र
मधुबनी पेंटिंग, सिक्की कला और हस्तशिल्प के उत्पादों से आगंतुकों को लुभा रहा है बिहार पवेलियन
नागरिकों में ‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना पैदा करना जरूरी : मुर्मू
योगी ने की मां पाटेश्वरी देवी की पूजा-अर्चना
राष्ट्रपति मुर्मू ने स्वतंत्रता संग्राम, साहित्य में ‘उत्कल केशरी’ महताब के योगदान की सराहना की
गुरु संसार नहीं भ्रम छुड़ाता है : राजेश्वरानंद
हर बच्चे को वर्ल्ड क्लास शिक्षा देना हमारा मकसद : सीएम
बिभव कुमार बने पंजाब सीएम के मुख्य सलाहकार, स्वाति मालीवाल ने पूछा- “पंजाब की महिलाएं सुरक्षित कैसे रहेंगी?”
फ़्रेंच फ़्राइज़ बच्चों के लिए धीमा जहर है: डॉ अर्चिता महाजन

वर्ष 2030 तक दुनिया में हम तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने वाले हैं : राष्ट्रपति मुर्मू

-राष्ट्रपति ने तीन को चांसलर मेडल, 58 को गोल्ड मेडल और 29 को पीएचडी की डिग्री दी

रांची (झारखंड), 28 फरवरी : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने झारखंड सेंट्रल यूनिवर्सिटी (सीयूजे) के विद्यार्थियों से देश की समृद्धि और विकास में अहम योगदान देने की अपील की।

यूनिवर्सिटी के चेरी मनातू (रांची) स्थित परिसर में बुधवार को आयोजित तीसरे दीक्षांत समारोह में उन्होंने कहा कि हमारे देश के युवा इस देश के सबसे बड़े प्राकृतिक संसाधन हैं। आबादी में 55 प्रतिशत से अधिक युवा वर्ग के ही हैं। वर्ष 2030 तक दुनिया में हम तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने वाले हैं।

मुर्मू ने कहा कि 2047 तक शिक्षित और समृद्ध भारत बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए अनुकूल परिस्थितियों को बनाना होगा। ऐसे में यहां के जिन युवाओं को पढ़ाई के बाद मेडल मिला है, वे अपने लिए अच्छा जीवन का निर्माण ही नहीं, देश और समाज के निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं। विश्व गुरु बनने के सपने को पूरा करने और आने वाली पीढ़ी को इसका लाभ देने के लिए यह जरूरी है कि युवा जिस क्षेत्र में कार्यरत हों, समृद्ध और विकसित भारत के निर्माण के लिए काम करें।

राष्ट्रपति ने कहा कि बाबा बैद्यनाथ की पुण्य भूमि पर स्थित झारखंड केन्द्रीय विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में आकर मुझे विशेष हर्ष का अनुभव हो रहा है। मैं आज उपाधि प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को बधाई देती हूं। स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को मैं विशेष बधाई देती हूं। मैं सभी विद्यार्थियों के माता-पिता, अभिभावकों और प्राध्यापकों को भी बधाई देती हूं, जिन्होंने विद्यार्थियों की यात्रा के हर पड़ाव पर उनका साथ दिया है और मार्गदर्शन किया है।

मुर्मू ने कहा कि सीयूजे कैंपस के पास से ही स्वर्णरेखा नदी बहती है। ऐसा कहा जाता है कि स्वर्णरेखा नदी का जल सेवन मात्र से ही मनुष्य को ज्ञान की प्राप्ति हो जाती है। ऐसी भूमि और नदी के सान्निध्य में शिक्षा प्राप्त करना आपके लिए सौभाग्य की बात है। आपके विश्वविद्यालय का आदर्श वाक्य है “ज्ञानात् ही बुद्धि कौशलम”। इसका अर्थ है, ज्ञान से ही बुद्धि और कौशल का विकास होता है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि सभी विद्यार्थी इस संस्थान से मिले ज्ञान का सार्थक उपयोग करेंगे। अब आप सब को जीवन की जटिल परिस्थितियों का सामना करना होगा और अपने ज्ञान से इसका हल प्राप्त करना होगा।

हमारी बेटियां सभी क्षेत्रों में श्रेष्ठ प्रदर्शन कर रहीं

मुर्मू ने कहा कि राष्ट्रपति भवन में पद्म पुरस्कार प्रदान करते समय, शिक्षण संस्थानों के दीक्षांत समारोहों में, विभिन्न सेवाओं के प्रशिक्षु अधिकारियों से मिलते समय मुझे अहसास होता है कि आज हमारी महिलाएं और बेटियां सभी क्षेत्रों में श्रेष्ठ प्रदर्शन कर रही हैं। मुझे यह जानकर अत्यंत प्रसन्नता हुई कि आज स्वर्ण पदक प्राप्त कर रहे विद्यार्थियों में हमारी बेटियों की संख्या लगभग 50 प्रतिशत है। स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाली बेटियों को मैं विशेष रूप से शुभाशीष देती हूं। प्रत्येक बाधा एवं अवरोध को पार करके आपके द्वारा प्राप्त की गई सफलता, हमारे समाज के लिए तथा सुनहरे भविष्य का सपना संजोने वाली हर बेटी के लिए प्रेरणास्रोत हैं।

सीयूजे में सांस्कृतिक धरोहरों को सहेजने के लिए विशेष सेंटर्स बने

मुर्मू कहा कि झारखंड केन्द्रीय विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर आधारित शिक्षा पद्धति को अपनाया है। मुझे यह जानकर खुशी हुई है कि इस संस्थान द्वारा स्थानीय भाषा, साहित्य एवं संगीत की सांस्कृतिक धरोहरों को सहेजने एवं बढ़ावा देने के लिए विशेष सेंटर्स बनाए गए हैं। चेरी मनातू कैंपस ग्रीन आर्किटेक्ट को ध्यान में रखते तैयार किया गया है। इस संस्थान का ब्रांबे कैंपस भी प्रकृति के निकटता को दिखाता है। बगैर पेड़ काटे इको फ्रेंडली बनाया गया है। यह पर्यावरण संरक्षण के लिए अच्छा प्रयास है। हमें इको फ्रेंडली होना ही होगा।

झारखंड आने पर घर जैसा होता है अनुभव

द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि झारखंड आने पर उन्हें लगता है कि वे अपने घर वापस आयी हैं। यहां उन्होंने पूर्व में राज्यपाल के तौर पर धरती आबा बिरसा मुंडा की धरती पर जनसेवा करने का काम किया है। यहां के जनजातीय भाई बहनों से जुड़ाव रहा है। इसलिए नहीं कि वे आदिवासी हैं। जैसे परिवार में शारीरिक-मानसिक रूप से पिछड़े रहने वाले को ज्यादा ध्यान देते हैं, उसी भाव से विकास की दौड़ में पीछे रह गये लोगों के लिए सोचना चाहिए। कैसे उनका पूर्ण विकास हो। जनजातीय भाई लोग भी विकास की मुख्य धारा से जुड़े रहें। राष्ट्रपति ने कहा कि आदिवासी समाज के पास पारंपरिक ज्ञान का भंडार है। उनके जीवन शैली से हम सीख पाएं तो ग्लोबल वार्निंग की चुनौतियों से जूझ पाएंगे, उसे हरा सकेंगे।

राष्ट्रपति मुर्मू ने दीक्षांत समारोह में तीन विद्यार्थियों को चांसलर मेडल दिया। चांसलर मेडल पाने वाले स्टूडेंट्स में इंटीग्रेटेड एमटेक के शुभम भट्टाचार्य, एमटेक के उत्पल और एमएससी के अभिजीत गांगुली शामिल हैं।राष्ट्रपति ने दीक्षांत समारोह में 67 मेडल प्रदान किए, जिसमें 58 स्टूडेंट्स को गोल्ड मेडल मिला जबकि 29 को पीएचडी डिग्री प्रदान की गयी।

उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति बनने के बाद द्रौपदी मुर्मू दूसरी बार रांची पहुंची हैं। इसके पहले 24 मई को वे तीन दिवसीय दौरे में रांची पहुंची थी। झारखंड हाई कोर्ट के नवनिर्मित भवन के उद्घाटन, खूंटी में केंद्रीय जनजातीय मंत्रालय की ओर से बिरसा कॉलेज कैंपस में महिलाओं के लिए आयोजित समारोह और रांची के ट्रिपल आईटी के दीक्षांत समारोह में शामिल होने पहुंची थीं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top