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बिहार में सूर्योपासना के महापर्व कार्तिक छठ पर डूबते सूर्य को अर्घ्य

पटना, 19 नवंबर: बिहार में सूर्योपासना के महापर्व कार्तिक छठ के अवसर पर आज व्रतधारियों ने अस्ताचलगामी सूर्य को नदी और तालाब में खड़े होकर प्रथम अर्घ्य अर्पित किया।

गंगा नदी में हजारों महिला और पुरुष व्रतधारियों ने डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किये। इस अवसर पर लाखों लोगों ने पवित्र गंगा नदी में स्नान भी किया। आज दोपहर बाद से ही गंगा नदी की ओर जाने वाले सभी मार्ग छठ व्रत एवं सूर्य आराधना के भक्तिपूर्ण एवं कर्णप्रिय गीतों से गुंजायमान थे। “ केलवा जे फरेला घवद से, ओह पर सुगा मेड़राय, आदित लिहो मोर अरगिया., दरस देखाव ए दीनानाथ., उगी है सुरुजदेव., हे छठी मइया तोहर महिमा अपार., कांच ही बास के बहंगिया बहंगी लचकत जाय ….., गीत सुनने को मिल रहे हैं।

पटना जिला प्रशासन ने गंगा नदी के घाटों पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये हैं। छठ घाटों पर वाहनों की आवाजाही पर रोक लगाया गया है। इसके लिए ट्रैफिक प्लान बना कर आम लोगों के बीच प्रचारित प्रसारित किया जा रहा है।छठ को लेकर नदियों में निजी नावों के परिचालन पर रोक लगाया गया है तथा नदी घाट पर राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) की टीम को एक्टिव मोड में रहने का निर्देश दिया है। घाटों पर विधि व्यवस्था संधारण तथा शांतिपूर्ण पूजा के आयोजन हेतु पर्याप्त संख्या में दंडाधिकारी पुलिस पदाधिकारी एवं पुलिस बल की प्रतिनियुक्ति की गयी है।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यहां एक अणे मार्ग स्थित आवास पर अस्ताचलगामी सूर्य को प्रथम अर्घ्य अर्पित किया और प्रदेश की सुख, शांति और समृद्धि की कामना की। उन्होंने लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा के अवसर पर बिहारवासियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह आत्मानुशासन का पर्व है।लोग शुद्ध अन्तःकरण एवं निर्मल मन से अस्ताचल और उदीयमान भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। भगवान भास्कर से वह राज्य में प्रगति, सुख, समृद्धि और शांति के लिए प्रार्थना करते हैं।

बिहार के औरंगाबाद जिले के ऐतिहासिक तथा धार्मिक स्थल देव के पवित्र सूर्य कुंड में लगभग 10 से 11 लाख व्रतधारियों ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया गया। इस अवसर पर अत्यन्त आकर्षक ढंग से सजाये गये देव के त्रेतायुगीन सूर्य मंदिर में आज सुबह से ही भगवान भाष्कर के दर्शन के लिए व्रतधारियों तथा श्रद्धालुओं की लंबी कतार लगी हुई थी। इस दौरान देश के विभिन्न प्रांतों तथा बिहार के कोने-कोने से आये लाखों श्रद्धालुओं और व्रतधारियों द्बारा गाये जा रहे कर्णप्रिय छठी मईया के गीतों से पूरा वातावरण गुंजायमान था।

छठ मेला में आनेवाले श्रद्धालुओं तथा व्रतधारियों के लिए जिला प्रशासन की ओर से पेयजल, बिजली, स्वास्थ्य, यातायात, सफाई आदि के प्रबंध किये गये हैं और मेला में विधि-व्यवस्था बनाये रखने के लिए जगह-जगह दंडाधिकारियों के नेतृत्व में सशस्त्र पुलिस बल की तैनाती की गयी है।लोक मान्यता है कि देव में पवित्र सूर्य कुंड में स्नान कर भगवान भाष्कर को अर्घ्य अर्पित करने और त्रेतायुगीन सूर्य मंदिर में भगवान के दर्शन करने से मनोवांछित कामनाओं की पूर्ति होती है।

पारिवारिक और शारीरिक सुख-शांति के लिए मनाये जाने वाले इस महापर्व के चौथे दिन कल व्रतधारी फिर नदियों और तालाबों में खड़े हो कर उदीयमान सूर्य को दूसरा अर्घ्य देंगे। दूसरा अर्घ्य अर्पित करने के बाद ही श्रद्धालुओं को 36 घंटे का निराहार व्रत समाप्त होगा और वे अन्न ग्रहण करेंगे।

गौरतलब है कि चार दिवसीय यह महापर्व नहाय खाय से शुरू होता और उस दिन श्रद्धालु नदियों और तलाबों में स्नान करने के बाद शुद्ध घी में बना अरवा चावल का भोजन ग्रहण करते हैं। इस महापर्व के दूसरे दिन श्रद्धालु दिन भर बिना जलग्रहण किये उपवास रखने के बाद सूर्यास्त होने पर पूजा करते हैं और उसके बाद एक बार ही दूध और गुड़ से बनी खीर खाते हैं तथा जब तक चांद नजर आये तब तक पानी पीते हैं और उसके बाद से उनका करीब 36 घंटे का निराहार व्रत शुरू होता है।

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