– रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात करके द्विपक्षीय वार्ता करेंगे
– पिस्टोरियस से रक्षा सहयोग के मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना
नई दिल्ली, 06 जून : जर्मनी के रक्षा मंत्री बोरिस पिस्टोरियस चार दिवसीय भारत यात्रा पर दिल्ली पहुंच गए हैं। उन्होंने मंगलवार को सुबह राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का दौरा करके अपनी यात्रा शुरू की। उन्होंने भारतीय सशस्त्र बलों के वीरों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए यहां पुष्पांजलि अर्पित की। बोरिस पिस्टोरियस आज दिल्ली में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात करेंगे। बैठक के दौरान औद्योगिक सहयोग पर ध्यान देने के साथ द्विपक्षीय रक्षा सहयोग के कई मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है।
जर्मनी के रक्षा मंत्री पिस्टोरियस एक प्रतिनिधिमंडल के साथ सोमवार को चार दिवसीय यात्रा पर दिल्ली पहुंचे। आज सुबह सबसे पहले उन्होंने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक जाकर भारतीय सशस्त्र बलों के वीरों को श्रद्धांजलि अर्पित की। भारत में जर्मन दूतावास ने ट्वीट किया, भारत में जर्मन रक्षा मंत्री बोरिस पिस्टोरियस की टीम का गर्मजोशी से स्वागत है। आपको यहां पाकर बहुत खुशी हुई और दिल्ली में दो दिवसीय यात्रा के लिए उत्साहित हूं और मुंबई!
पिस्टोरियस आज रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ बैठक करेंगे। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक पिस्टोरियस नई दिल्ली में इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सीलेंस (आई-डेक्स) की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कुछ रक्षा स्टार्टअप से मिलेंगे। वह 7 जून को मुंबई जाएंगे, जहां पश्चिमी नौसेना कमान मुख्यालय और मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड का दौरा करेंगे। जर्मन रक्षा मंत्री ने भारत की चार दिवसीय यात्रा से पहले जकार्ता में कहा कि रूसी हथियारों पर भारत की निरंतर निर्भरता जर्मनी के हित में नहीं है।
उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा मुद्दा है, जिसे हमें अन्य साझेदारों के साथ मिलकर सुलझाना है, लेकिन इसमें हमारी कोई दिलचस्पी नहीं हो सकती है कि भारत हथियारों या अन्य सामग्रियों की आपूर्ति के लिए रूस पर इतना निर्भर है। पिस्टोरियस ने कहा कि जर्मनी भारत और इंडोनेशिया जैसे भागीदारों का समर्थन करने के लिए तैयार है। विदेश मंत्रालय के अनुसार भारत और जर्मनी के बीच द्विपक्षीय संबंध सामान्य लोकतांत्रिक सिद्धांतों पर स्थापित हैं और उच्च स्तर के विश्वास एवं आपसी सम्मान द्वारा चिह्नित हैं। भारत द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जर्मनी के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने वाले पहले देशों में से एक था।