नई दिल्ली, 01 अगस्त: वाइस एडमिरल संजय वात्सायन ने शुक्रवार को यहां नौसेना के 47 वें उप प्रमुख के रूप में कार्यभार संभाल लिया। इससे पहले वाइस एडमिरल ने यहां राष्ट्रीय युद्ध स्मारक जाकर राष्ट्र की सेवा में सर्वोच्च बलिदान देने वाले वीर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, पुणे के 71 वें कोर्स के पूर्व छात्र वाइस एडमिरल संजय वात्सायन को एक जनवरी 1988 को भारतीय नौसेना में कमीशन मिला था। वह गनरी और मिसाइल प्रणालियों के विशेषज्ञ हैं। उन्होंने तीन दशकों से भी अधिक लंबे विशिष्ट नौसैनिक करियर में विभिन्न प्रकार की कमान, संचालन और स्टाफ पदों की जिम्मेदारी संभाली।
फ्लैग ऑफिसर ने समुद्र में अग्रिम पंक्ति के विभिन्न युद्धपोतों पर सेवा की जिनमें गाइडेड मिसाइल विध्वंसक आईएनएस मैसूर, आईएनएस निशंक के कमीशनिंग क्रू और तटरक्षक ओपीवी संग्राम के प्री-कमीशनिंग क्रू शामिल हैं। उन्होंने आईएनएस मैसूर के कार्यकारी अधिकारी के रूप में भी कार्य किया है। उन्होंने तटरक्षक जहाज सी-05, मिसाइल पोत आईएनएस विभूति और आईएनएस नाशक, मिसाइल कार्वेट आईएनएस कुठार और गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट आईएनएस सह्याद्री (कमीशनिंग कमांडिंग ऑफिसर) की कमान संभाली है। फरवरी 2020 में उन्होंने पूर्वी बेड़े के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग का पदभार संभाला और गलवान की घटनाओं के बाद बढ़ी हुई समुद्री गतिविधि के दौरान कई ऑपरेशनल तैनाती और अभ्यासों का नेतृत्व किया।
डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज वेलिंगटन, नेवल वॉर कॉलेज गोवा, और प्रतिष्ठित नेशनल डिफेंस कॉलेज नई दिल्ली से स्नातक, फ्लैग ऑफिसर ने प्रमुख रणनीतिक और नीति-उन्मुख स्टाफ भूमिकाओं में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। नौसेना मुख्यालय में उनकी नियुक्तियों में संयुक्त निदेशक और कार्मिक निदेशक (नीति), नौसेना योजना निदेशक और प्रधान नौसेना योजना निदेशक शामिल हैं।
फरवरी 2018 में फ्लैग रैंक पर पदोन्नति के बाद उन्होंने पूर्वी बेड़े की कमान संभालने से पहले सहायक नौसेनाध्यक्ष (नीति एवं योजना) के रूप में कार्य किया। असाधारण नेतृत्व और अत्यंत उच्च कोटि की सराहनीय सेवा के लिए उन्हें 2021 में अति विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया गया। इसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के उप कमांडेंट के रूप में कार्य किया और बाद में दिसंबर 2021 में उन्हें पूर्वी नौसेना कमान का प्रमुख नियुक्त किया गया। इस पद पर रहते हुए उन्होंने कमान की परिचालन तत्परता, कार्मिक विकास और बुनियादी ढांचे के विस्तार का नेतृत्व किया।
वीसीएनएस का कार्यभार संभालने से पहले उन्होंने एकीकृत रक्षा स्टाफ (डीसीआईडीएस) के उप प्रमुख – संचालन और उसके बाद आईडीएस मुख्यालय में डीसीआईडीएस (नीति, योजना और बल विकास) के रूप में कार्य किया, जहां उन्होंने संचालन के समन्वय, एकीकरण को बढ़ाने, संयुक्तता, बल विकास और तीनों सेवाओं में स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने वाली नीतियों को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।