अत्यधिक कीटनाशक और रासायनिक खादो के प्रयोग से मिट्टी की गुणवत्ता बिगड़ी
फ्री में बांटने के लिए भी कुछ राज्य सरकारें पंजाब का चावल रिजेक्ट कर रहे हैं
डॉ अर्चिता महाजन न्यूट्रीशन डाइटिशियन एवं चाइल्ड केयर होम्योपैथिक फार्मासिस्ट एवं ट्रेंड योगा टीचर नॉमिनेटेड फॉर पद्मा भूषण राष्ट्रीय पुरस्कार और पंजाब सरकार द्वारा सम्मानित ने बताया कि भारत में वर्तमान में चावल और गेहूं जैसी फसलों में पोषक तत्वों की कमी होती जा रही है. टेलीग्राफ में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, वैज्ञानिकों ने अपनी एक स्टडी में दावा किया है कि अनाज से कैल्शियम, आयरन और जिंक सहित आवश्यक तत्व 1960 के अनाज की तुलना में 19 प्रतिशत से 45 प्रतिशत कम हो गए हैं.
ICAR की रिपोर्ट के मुताबिक, आधुनिक तरीके से उगाए जाने वाले गेहूं और चावल में पोषक तत्वों की कमी हो रही है और ये सेहत के लिए ज़हरीले भी हो सकते हैं. इन अनाजों को ज़्यादा पैदावार के लिए विकसित किया गया है, जिससे इनकी पौष्टिकता को नुकसान पहुंचा है. 1980 के दशक के बाद से विकसित किए गए अनाजों में पोषक तत्वों की कमी हो रही है. इनमें ज़िंक और आयरन जैसे पोषक तत्वों में कमी आई है.नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने कई आवश्यक तत्वों और आर्सेनिक और क्रोमियम जैसे विषाक्त तत्वों में परिवर्तन की माप की गई. 2000 के दशक के चावल में औसत आर्सेनिक स्तर 1960 के दशक के चावल की तुलना में लगभग 16 गुना अधिक है जबकि औसत क्रोमियम स्तर लगभग चार गुना अधिक है.फ्री में बांटने के लिए भी कुछ राज्य सरकारें पंजाब का चावल रिजेक्ट कर रहे हैं यह चावल 4 नवंबर को संगरूर के दिमारपुर असम और नागालैंड भेजा गया था। इससे पहले अरुणाचल प्रदेश और कर्नाटक सरकार ने भी पंजाब का चावल रद्द कर दिया था।