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नई दिल्ली, 11 दिसंबर : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को इस बात पर जोर दिया कि भारतीय उद्योग जगत के वाणिज्यिक विचार अर्थव्यवस्था, राष्ट्र की प्राथमिकताओं और रणनीतिक जरूरतों के साथ मेल खाने चाहिए।

उद्योग जगत से पिछले दशक में सीखे गए सबक के आधार पर खुद को बदलने का आह्वान करते हुए सीतारमण ने कहा कि आपूर्ति श्रृंखलाएं व्यापक होनी चाहिए, अन्यथा भू-राजनीतिक जोखिम इसे बाधित कर सकते हैं।

वित्त मंत्री ने यहां भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के वैश्विक आर्थिक नीति मंच में कहा, ‘‘आज आर्थिक तथा वाणिज्यिक विचारों को अर्थव्यवस्था और उसकी प्राथमिकताओं के साथ राजनीति और रणनीतिक आवश्यकताओं के साथ मिलाना होगा।’’

अगले दशक के लिए अर्थव्यवस्था की प्राथमिकताओं को रेखांकित करते हुए सीतारमण ने कहा कि उद्योग को छोटे तथा मझोले उद्यमों के साथ मिलकर काम करना चाहिए ताकि यह पता लगाया जा सके कि वे रोजगार सृजन में समान रूप से योगदान देते हुए कैसे बड़ी इकाइयों की मदद कर सकते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘जब हम आपूर्ति श्रृंखलाओं को व्यवधान रहित आपूर्ति श्रृंखलाओं में बहाल करने की बात करते हैं, तो हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि यह केवल अर्थशास्त्र नहीं है, यह उससे कहीं अधिक है… हमें न केवल आर्थिक दृष्टि से, बल्कि राजनीतिक तथा रणनीतिक दृष्टि से भी अपने निर्णय स्वयं लेने होंगे। ’’

सीतारमण ने कहा, ‘‘आपूर्ति श्रृंखलाओं को बहाल करना होगा…इन्हें नए सिरे से तैयार करना होगा और इनमें तालमेल बैठाना होगा। आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि यह इस स्तर पर हो कि कोई भी भू-राजनीतिक या रणनीतिक जोखिम हमारे लिए खतरा न बन पाए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘पिछले दशक में सीखे गए सबक से हमें यह पता चलता है कि देश को अब इसमें बदलाव लाना होगा तथा उद्योग को न केवल आर्थिक सिद्धांतों पर बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी खुद को बदलना होगा।’’

सीतारमण ने कहा कि उद्योग तथा सरकारों दोनों का प्रयास वैश्विक शांति और सामान्य स्थिति बहाल करना होना चाहिए। हिंसा या युद्ध के लिए कहीं भी कोई उचित कारण नहीं हो सकते।

मंत्री ने कहा, ‘‘इस दशक के लिए वैश्विक प्राथमिकता सामान्य स्थिति बहाल करना होनी चाहिए। वे आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान, मुद्रास्फीति और अन्य वैश्विक चुनौतियों का मुख्य कारण हैं। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘आर्थिक सफलता का लाभ केवल प्रौद्योगिकी के जरिये ही उचित रूप से सब तक पहुंचेगा। भारत की डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई), ओएनडीसी (डिजिटल कॉमर्स के लिए ओपन नेटवर्क) और कृषि के लिए प्रौद्योगिकी ढांचे ने पहुंच को लोकतांत्रिक बनाया है। ’’

सीतारमण ने कहा, ‘‘प्रौद्योगिकी के लाभ से किसान अब वैश्विक बाजारों तक पहुंच बनाने में सक्षम हैं। मुझे यकीन है कि ‘कृषि ढांचा’ अगली बड़ी चीज होगा, जिसके बारे में आप भारत से सुनेंगे।’’

मंत्री ने कहा, ‘‘विश्व चुनौतियों का सामना कर रहा है, जिसका असर अर्थव्यवस्था में दिखता है।’’

उन्होंने कहा कि उद्योग को नई चुनौतियों से निपटने के तरीकों पर विचार करना होगा।

वैश्विक अर्थव्यवस्था की दशकीय प्राथमिकताओं पर आयोजित सत्र में सीतारमण ने कहा कि सरकार इस बात को लेकर पूरी तरह सचेत है कि आने वाली पीढ़ियों पर कर्ज का ऐसा बोझ न हो, जिसका प्रबंधन करना मुश्किल हो।

उन्होंने कहा, ‘‘आने वाले दशक में प्राथमिकता वित्त का प्रबंधन और परिसंपत्तियों के निर्माण के लिए उधार लेना तथा बेहतर प्रबंधन होना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए कि इस तरह के कर्ज से अगली पीढ़ी चिंतित हो जाए।’’

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