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होम्योपैथी की स्वीकार्यता बढ़ाने में अनुसंधान एवं दक्षता की महत्वपूर्ण भूमिका होगी: राष्ट्रपति

नई दिल्ली, 10 अप्रैल : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को कहा कि होम्योपैथी की स्वीकार्यता एवं लोकप्रियता को और बढ़ाने में अनुसंधान और दक्षता की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। मुर्मू ने विश्व होम्योपैथी दिवस पर यहां केंद्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद द्वारा आयोजित दो दिवसीय संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए कहा कि होम्योपैथी को कई देशों में एक सरल और सुलभ उपचार पद्धति के रूप में अपनाया गया है।

उन्होंने भारत में होम्योपैथी के प्रचार-प्रसार में योगदान देने के लिए आयुष मंत्रालय, केंद्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद, राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग, राष्ट्रीय होम्योपैथी संस्थान और इस प्रकार के अन्य संस्थानों की सराहना की और कहा कि पूरी दुनिया में कई संस्थान अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय और स्थानीय स्तर पर होम्योपैथी को बढ़ावा दे रहे हैं।

मुर्मू ने कहा, ”21वीं सदी में अनुसंधान का महत्व लगातार बढ़ रहा है और इसलिए इस संगोष्ठी का विषय ‘अनुसंधान को सशक्त बनाना, दक्षता बढ़ाना’ बहुत प्रासंगिक है।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अनुसंधान और दक्षता होम्योपैथी की स्वीकार्यता और लोकप्रियता को और बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। राष्ट्रपति ने कहा कि कई लोग उन लोगों के अनुभवों के बारे में बताते हैं जिन्हें अन्य उपचार पद्धतियों को आजमाने के बाद अंतत: होम्योपैथी से लाभ हुआ है।

मुर्मू ने कहा, ”लेकिन ऐसे अनुभवों को वैज्ञानिक समुदाय में तभी मान्यता मिल सकती है जब उन्हें तथ्यों और विश्लेषण के साथ प्रस्तुत किया जाए। बड़े पैमाने पर किए गए ऐसे तथ्यात्मक विश्लेषण को प्रामाणिक चिकित्सकीय अनुसंधान कहा जाता है। वैज्ञानिक तरीकों को प्रोत्साहित करने से इस चिकित्सकीय प्रणाली में लोगों का विश्वास और बढ़ेगा।” राष्ट्रपति ने कहा कि स्वस्थ लोग स्वस्थ समाज का निर्माण करते हैं और स्वस्थ समाज की नींव पर ही स्वस्थ राष्ट्र का निर्माण होता है।

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