नई दिल्ली/द्वारका, 09 अक्टूबर: स्वदेशी जागरण मंच और सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केंद्र द्वारा आयोजित साथ दिवसीय स्वदेशी मेले मंच सेअनोखा और भावनात्मक दृश्य देखने को मिला— दिव्यांग कुशधवज पांडेय नेअपनी प्रतिभा से धार्मिक भजन से पूरे माहौल को भाव-विभोर कर दिया।

ग्रामीण परिवेश की पृष्ठभूमि में सजा मंच पारंपरिक सजावट से सुसज्जित था—मिट्टी की जमीन, हल्की घास, झोपड़ी जैसे घर, रंग-बिरंगे कपड़ों, फूलों और झंडों से सजा वातावरण गाँव की आत्मा को जीवंत कर रहा था।

मंच पर बच्चों ने लोक गीत, नृत्य के माध्यम से गायन और समूह प्रस्तुति दी। कुछ बच्चों ने ऑडियो पर अपने इशारों से तालमेल में गीत के भाव व्यक्त कर रहे थे। दर्शक दीर्घा में बैठे ग्रामीण महिला-पुरुष, बुजुर्ग और बच्चे हर भाव को महसूस कर तालियाँ बजाकर उनका उत्साह बढ़ा रहे थे। यह दृश्य सिर्फ एक सांस्कृतिक प्रस्तुति नहीं बल्कि मानवता और समावेश की एक जीवंत तस्वीर बन गया।

मंच के आसपास हस्तशिल्प और ग्रामीण उत्पादों के स्टॉल सजे थे—जहाँ मिट्टी के बर्तन, बाँस की कलाकृतियाँ, लोक परिधान और घरेलू सामान की झलक मिल रही थी। लोक कलाकारों के वाद्ययंत्रों की मधुर ध्वनि और पारंपरिक पोशाक में नृत्य करती युवतियाँ पूरे मेले के वातावरण को उत्सवमय बना रही थीं।

मिट्टी की खुशबू, लोक-संगीत की लय और इन विशेष बच्चों की कला ने मिलकर ऐसा दृश्य रचा जिसने उपस्थित सभी लोगों को प्रेरित किया।

यह कार्यक्रम न केवल स्वदेशी संस्कृति का प्रदर्शन था, बल्कि यह इस बात का प्रमाण भी बना कि प्रतिभा की कोई भाषा नहीं होती—बस मन से सुनना और महसूस करना आता हो तो हर प्रस्तुति एक उत्सव बन जाती है। मंच का सफल संचालन योगेश सैनी, सन्नी सौरभ ने किया।

वही दूसरी तरफ करवा चौथ नजदीक होने पर महिलायों ने हाथों पर मेहंदी रचाई और जमकर डांस किया, पूरे मेला प्रांगण को सी सी टी वी कैमरों की निगरानी में कप्तान प्रमोद सिंह की निर्देशन में हो राह है। मंच से विशेष अतिथियों का दुप्पटा उड़ाकर स्वागत किया गया l

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