नई दिल्ली, 30 जनवरी: केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को 225 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से कृषि और ग्रामीण विकास बैंकों और सहकारी समितियों के पंजीयक के लिए कंप्यूटरीकरण कार्यक्रम शुरू किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि डिजिटलीकरण के प्रयासों से उनके कामकाज में दक्षता, पारदर्शिता और जवाबदेही में सुधार लाने में मदद मिलेगी।
राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) के सहयोग से सहकारिता मंत्रालय द्वारा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के कृषि और ग्रामीण विकास बैंकों (एआरडीबी) और सहकारी समितियों के पंजीयक (आरसीएस) के लिए कंप्यूटरीकरण परियोजनाओं का शुभारंभ किया गया है।
शाह ने कहा कि परियोजनाएं संपूर्ण सहकारी तंत्र को एक डिजिटल मंच पर लाकर इसका आधुनिकीकरण करेंगी और इसकी दक्षता बढ़ाएंगी। उन्होंने कहा, “इससे सहकारी क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही में सुधार करने में मदद मिलेगी।” शाह ने कहा कि कंप्यूटरीकरण की कुल लागत 225 करोड़ रुपये होगी, जिसमें से 95 करोड़ रुपये आरसीएस के कंप्यूटरीकरण पर खर्च किए जाएंगे।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एआरडीबी के कंप्यूटरीकरण से किसानों को मध्यम और दीर्घकालिक ऋण प्राप्त करने में मदद मिलेगी, कृषि क्षेत्र को आधुनिक बनाने के लिए दीर्घकालिक वित्तपोषण जरूरी था। शाह ने कहा कि किसानों को दीर्घावधि ऋण सुचारू रूप से उपलब्ध कराने के लिए इन एआरडीबी को पैक्स से जोड़ने की योजना है।
पहली पहल के तहत, 13 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में एआरडीबी की 1,851 इकाइयों को कम्प्यूटरीकृत किया जाएगा और एक सामान्य राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर के माध्यम से राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) से जोड़ा जाएगा। शाह ने बताया कि एआरडीबी केवल 13 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में मौजूद हैं और इसे अन्य राज्यों में भी विस्तारित करने की जरूरत है।