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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना कलेक्ट्रेट के नए भवन का उद्घाटन किया

पटना, 10 दिसंबर : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नवनिर्मित ‘पटना कलेक्ट्रेट’ (जिला समाहरणालय) के बहुमंजिला आधुनिक भवन का मंगलवार को उद्घाटन किया।

मुख्यमंत्री ने उद्घाटन के बाद इस बहुमंजिला आधुनिक भवन का निरीक्षण भी किया।

इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा और भवन निर्माण मंत्री जयंत राज, मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।

इस विषय से परिचित लोगों ने बताया कि पुराने ‘कलेक्ट्रेट’ के अब ध्वस्त हो चुके डचकालीन रिकॉर्ड रूम के अग्रभाग को सुशोभित करने वाले आठ स्तंभों को संरक्षित किया गया है और नए परिसर में एक प्लाजा में प्रमुखता से प्रदर्शित किया गया है।

नये परिसर में तीन ऊंची इमारतें हैं, जिनमें भूतल और ‘बेसमेंट पार्किंग’ की सुविधा है। इसे डच और ब्रिटिश काल की विरासत वाली इमारतों को ध्वस्त कर पुनर्विकास परियोजना के तहत बनाया गया है। यहां पुराने कलेक्ट्रेट था।

नए परिसर में एक ही छत के नीचे 39 प्रशासनिक विभागों के कार्यालय होंगे।

सूत्र ने कहा, ‘उद्घाटन के बाद विभिन्न कार्यालय अपने अस्थायी स्थलों से स्थानांतरित किये जाने लगेंगे।’

दस एकड़ में फैला यह विशाल परिसर शहर के बीचों-बीच गंगा के किनारे स्थित है और ऐतिहासिक एवं इसी नाम से प्रसिद्ध कलेक्ट्रेट घाट के सामने है।

इस परिसर के मुख्य खंड के पूर्वी और पश्चिमी किनारों पर दो खंड हैं।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पूर्वी खंड में जिला बोर्ड, पटना का कार्यालय होगा, जबकि पश्चिमी खंड में एसडीओ और उपविकास आयुक्त के कार्यालय होंगे।

पुरानी इमारत को ध्वस्त किये जाने से पहले, राजस्व रिकॉर्ड डचकालीन रिकॉर्ड रूम में रखे गए थे और बाद में उन्हें गांधी मैदान के पास एक पुरानी इमारत में स्थानांतरित कर दिया गया था।

रजिस्ट्री विभाग से जुड़े अभिलेख विभाग के लिए अलग से समर्पित भवन में रखे गए थे।

पटना के जिलाधिकारी चंद्रशेखर सिंह ने 14 अक्टूबर और 19 अक्टूबर को निर्माण स्थल का निरीक्षण किया था और संबंधित अधिकारियों को अक्टूबर के अंत तक काम पूरा करने का निर्देश दिया था।

नीतीश कुमार सरकार द्वारा इस नए परिसर के लिए पटना कलेक्ट्रेट को ध्वस्त करने का प्रस्ताव 2016 में रखे जाने पर भारत में तत्कालीन डच राजदूत अल्फोंसस स्टोलिंगा ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर उनसे ऐतिहासिक पटना कलेक्ट्रेट को ‘साझा विरासत’ के रूप में संरक्षित करने और इसे राज्य पुरातत्व विभाग के तहत सूचीबद्ध करने की अपील की थी।

विरासत निकाय ‘इनटेक’ ने 2019 में इस मामले को पटना उच्च न्यायालय और अंततः 2020 में सर्वोच्च न्यायालय में ले जाकर अधिकारियों को एक अलग स्थान पर नया कलेक्ट्रेट बनाने का सुझाव दिया था।

इनटेक की याचिका पर शीर्ष अदालत ने 18 सितंबर, 2020 को पुराने कलेक्ट्रेट के विध्वंस पर रोक लगाने का आदेश दिया था, जिससे विरासत प्रेमियों को कुछ राहत मिली थी।

हालांकि, उनकी यह खुशी ज़्यादा दिन नहीं टिकी क्योंकि 13 मई, 2022 को शीर्ष अदालत की एक खंडपीठ ने संरक्षण की याचिका को खारिज कर दिया, जिससे इसके विध्वंस का रास्ता साफ हो गया और 1938 में बनी जिला बोर्ड, पटना की इमारत को ध्वस्त करने की शुरुआत हो गई।

रिचर्ड एटनबरो द्वारा निर्देशित ऑस्कर विजेता फिल्म ‘गांधी’ (1982) के कुछ प्रमुख दृश्य पुराने पटना कलेक्ट्रेट परिसर में फिल्माए गए थे, जिसमें रिकॉर्ड रूम और ब्रिटिश काल की ‘डीएम ऑफिस बिल्डिंग’ दिखाई गई थी।

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