दिल्ली, 21 दिसंबर: ग्रामीण भारत के लिए सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ‘विकसित भारत – जी राम जी’ बिल को मंज़ूरी दे दी है। इस बिल के लागू होते ही अब मनरेगा की जगह नई रोजगार योजना शुरू होगी। सरकार का कहना है कि इससे गांवों में रहने वाले परिवारों को ज़्यादा काम मिलेगा और उनकी आमदनी बढ़ेगी।
क्या है नया बदलाव?
अब तक मनरेगा के तहत ग्रामीण परिवारों को साल में 100 दिन का रोजगार मिलता था। नई योजना में यह सीमा बढ़ाकर 125 दिन कर दी गई है। यानी अब गांव के लोगों को साल में 25 दिन ज़्यादा काम मिलने का वादा किया गया है।
किसे मिलेगा फायदा?
इस योजना का फायदा हर ग्रामीण परिवार को मिलेगा। खासतौर पर
* गरीब और मजदूर परिवार
* जिनके पास स्थायी नौकरी नहीं है
* जो काम के लिए शहरों में पलायन करने को मजबूर होते हैं
सरकार का मानना है कि ज्यादा काम मिलने से लोग गांव में ही रहकर कमाई कर सकेंगे।
किस तरह का काम मिलेगा?
नई योजना में सिर्फ गड्ढे खोदने या अस्थायी काम पर ज़ोर नहीं होगा। इसके तहत गांवों में ऐसे काम कराए जाएंगे जो लंबे समय तक फायदा दें, जैसे—
* तालाब, नहर और जल संरक्षण के काम
* ग्रामीण सड़कें और रास्ते
* पंचायत भवन और सामुदायिक भवन
* खेती और पर्यावरण से जुड़े काम
पैसे का भुगतान कैसे होगा?
सरकार का कहना है कि मजदूरी का पैसा सीधे बैंक खाते में भेजा जाएगा। पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी ताकि
* भुगतान में देरी न हो
* भ्रष्टाचार कम हो
* सही व्यक्ति को सही पैसा मिले
सरकार क्यों ला रही है यह योजना?
सरकार के अनुसार यह योजना ‘विकसित भारत–2047’ के लक्ष्य का हिस्सा है। मकसद है कि
* गांव मज़बूत बनें
* लोगों को गांव में ही काम मिले
* शहरों पर आबादी का दबाव कम हो
विपक्ष और विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
कुछ विपक्षी दलों का कहना है कि मनरेगा जैसी पुरानी योजना हटाने से शुरुआत में परेशानी हो सकती है। वहीं विशेषज्ञों का मानना है कि योजना अच्छी है, लेकिन यह तभी सफल होगी जब
* इसके लिए पूरा बजट मिले
* राज्यों के साथ मिलकर सही ढंग से इसे लागू किया जाए
* काम और भुगतान समय पर हों
नतीजा क्या निकलेगा?
कुल मिलाकर, ‘विकसित भारत – जी राम जी’ योजना को गांवों के लिए एक नई शुरुआत माना जा रहा है। अब देखना यह होगा कि यह योजना कागज़ों तक सीमित रहती है या सच में गांव के लोगों की ज़िंदगी में बदलाव लाती है।