पुडुचेरी, 17 जून: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को कहा कि भारत दुनिया का एक महत्वाकांक्षी राष्ट्र है और वह भाषा के मुद्दे पर विभाजन बर्दाश्त नहीं कर सकता। उन्होंने लोगों से देश के भविष्य की भलाई पर विचार करने और ‘इस तूफान से उबारने की अपील की। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 को लागू करने की जोरदार वकालत करते हुए कहा कि यह शिक्षा क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव लाएगी। इससे देश के विकास को गति मिलेगी।

धनखड़ पांडिचेरी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति भी हैं। उन्होंने किसी का नाम लिए बिना इस बात पर अफसोस जताया कि भाषाओं को लेकर विरोध हो रहा है। धनखड़ ने कहा कि दुनिया में कोई भी देश भाषाओं के मामले में भारत जितना समृद्ध नहीं है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि संस्कृत का वैश्विक महत्व है और तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, मराठी, पाली, प्राकृत, बंगाली और असमिया के साथ 11 शास्त्रीय भाषाएं हैं। धनखड़ ने कहा कि संसद में सदस्यों को 22 भाषाओं में बोलने की अनुमति है। हमारी भाषाएं समावेशिता का संकेत देती हैं। सनातन एक ही महान उद्देश्य के लिए एकजुट होना सिखाता है।

धनखड़ ने कहा कि एनईपी दुनिया की सबसे अच्छी नीति है, क्योंकि यह छात्रों को अपनी प्रतिभा और क्षमता का विकास करने के अलावा कई पाठ्यक्रमों को आगे बढ़ाने और समय का अधिकतम उपयोग करने का अवसर देती है।

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