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भारत का हर सातवां व्यक्ति डायबिटीज से पीड़ित है लैंसेट जर्नल की रिपोर्ट ने चौंकाया: डॉ अर्चिता महाजन

 ऐसा क्यों हुआ कि अमीर देशों ने इसे कंट्रोल कर लिया

अब तो कोल्ड ड्रिंक फास्ट फूड छोड़ दो

डॉ अर्चिता महाजन न्यूट्रीशन डाइटिशियन एवं चाइल्ड केयर होम्योपैथिक फार्मासिस्ट एवं ट्रेंड योगा टीचर नॉमिनेटेड फॉर पद्मा भूषण राष्ट्रीय पुरस्कार और पंजाब सरकार द्वारा सम्मानित ने बताया कि द लैंसेट जर्नल में प्रकाशित आंकड़ों के मुताबिक, 2022 तक 82.8 करोड़ लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं. इनमें से एक चौथाई से ज्यादा मरीज भारत से हैं.जिनमें से एक चौथाई से अधिक करीब 21.2 करोड़ डायबिटीज के मरीज भारत में रहते थे. इसके बाद सबसे अधिक डायबिटीक मरीजों वाले देश की सूची में चीन 14.8 करोड़, अमेरिका 4.2 करोड़, पाकिस्तान 3.6 करोड़, इंडोनेशिया 2.5 करोड़ और ब्राजील 2.2 करोड़ मरीजों के साथ शामिल है.

भारत में फ्री डायबीटिक्स केसेस जाता है। क्योंकि उन्होंने कभी अपनी डायबिटीज चेक ही नहीं की इसलिए यह आंकड़ा भी कम है।रिसर्च के अनुसार डायबिटीज के चलते हर मरीज की उम्र औसतन 3-4 साल कम हो रही है। इससे जुड़े शोधकर्ताओं का अनुमान है कि 30 साल की उम्र में मधुमेह की पहचान होने पर उम्र 14 वर्ष, 40 वर्ष की उम्र में पहचान होने पर उम्र 10 वर्ष और 50 वर्ष की उम्र में पहचान होने पर उम्र 6 वर्ष तक घटने की आशंका रहती हैभारतीयों में आनुवंशिक रूप से मधुमेह होने की संभावना अधिक होती है ।भारत तो वैसे ही ‘डायबिटीज कैपिटल ऑफ द वर्ल्ड’ कहलाता है. यानी हमारे देश में डायबिटीज के सबसे ज्यादा मामले हैं.स्टडी के मुताबिक, साल 1990 और 2022 के बीच पुरुषों (6.8% से 14.3%) और महिलाओं में (6.9% से 13.9%) डायबिटीज होने का खतरा दोगुना हो गया है. निम्न और मध्यम आय वाले देशों में इसका सबसे अधिक प्रभाव देखा गया. जबकि कुछ उच्च आय वाले देशों (जापान, कनाडा और पश्चिमी यूरोप के फ्रांस, स्पेन और डेनमार्क) में पिछले तीन दशको में डायबिटीज में प्रभाव में मामूली कमी देखी गई.

अमीर देश में कानून थोड़ा शक्ति से पालन किए जाते हैं इसलिए वहां पर फास्ट फूड और सॉफ्ट ड्रिंक वाली कंपनियां नियमित रूप से प्रोडक्ट बनाती हैं परंतु हमारे यहां तो कोई रूल्स एंड रेगुलेशन फॉलो नहीं किया जाता।

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