लंदन, 02 मार्च: ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की से मुलाकात की है। यूक्रेन के वित्त मंत्री रेरही मार्चेंको ने बताया है कि डाउनिंग स्ट्रीट में शनिवार को हुई बैठक के दौरान श्री स्टारमर ने कहा कि यूक्रेन का ‘पूरे ब्रिटेन’ समर्थन करता है। इस दौरान उन्होंने स्थायी शांति प्राप्त करने के लिए ब्रिटेन के ‘दृढ़ संकल्प’ पर जोर दिया।

श्री मार्चेंको ने बताया कि ब्रिटेन ने यूक्रेन की रक्षा क्षमताओं का समर्थन करने के लिए 2.26 अरब पाउंड के ऋण पर सहमति व्यक्त की है। उन्होंने कहा श्री ज़ेलेंस्की और श्री स्टार्मर ने ब्रिटिश चांसलर ऑफ़ द एक्सचेकर रेचल रीव्स के साथ मिलकर शनिवार शाम को उनसे (श्रीमार्चेंको) वीडियो कॉन्फ्रेंसिक के जरिये बात की। इस दौरान श्री ज़ेलेंस्की ने श्री स्टार्मर के साथ ‘एक सार्थक और गर्मजोशी भरी बैठक’ की सराहना की और रूस-यूक्रेन संघर्ष की शुरुआत से ही ब्रिटेन द्वारा यूक्रेन को दिखाए गए समर्थन के लिए उन्हें धन्यवाद दिया।

ऋण समझौते की पुष्टि करते हुए श्री ज़ेलेंस्की ने सोशल मीडिया पर लिखा, “यह ऋण यूक्रेन की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाएगा… धन यूक्रेन में हथियारों के उत्पादन की ओर निर्देशित किया जाएगा।” गौरतलब है कि श्री ज़ेलेंस्की की यात्रा ब्रिटेन द्वारा आयोजित रक्षा शिखर सम्मेलन से पहले हुई है। यूरोपीय नेता रविवार को लंदन में यूक्रेन के लिए शांति योजना पर चर्चा करने के लिए एकत्रित होंगे। श्री स्टार्मर ने कहा है कि उनका मानना है कि इस तरह के समझौते में अमेरिका को शामिल करना होगा।

श्री जेलेंस्की ने शनिवार को लंदन में अपने विमान के उतरने से कुछ समय पहले सोशल मीडिया पर कहा कि यूक्रेन अमेरिका के साथ खनिज समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए तैयार है, लेकिन सुरक्षा गारंटी के बिना युद्ध विराम यूक्रेन के लिए खतरनाक है।

उल्लेखनीय है कि श्री ज़ेलेंस्की की ब्रिटेन यात्रा शुक्रवार शाम को व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ उनकी बैठक के बाद हुई, जहाँ दोनों नेताओं के बीच नोंक-झोंक हुयी थी। दोनों पक्षों के बीच तीखी नोकझोंक अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस के हस्तक्षेप से शुरू हुई, जिन्होंने कहा था कि श्री ज़ेलेंस्की को ट्रम्प के प्रयासों के लिए आभारी होना चाहिए, ताकि उनके देश को रूस के साथ तीन साल के संघर्ष से बाहर निकाला जा सके। सार्वजनिक झड़प के बाद श्री ज़ेलेंस्की को व्हाइट हाउस से जल्दी जाने के लिए कहा गया, जिससे दोनों पक्षों के बीच नियोजित खनिज सौदे पर हस्ताक्षर नहीं हो पाए।

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