नुसरत को नौकरी ऑफर बना सियासी मुद्दा
पटना, 21 दिसंबर: बिहार के एक सरकारी अस्पताल में डॉक्टर नुसरत परवीन के साथ कथित तौर पर हिजाब खींचे जाने की घटना ने न सिर्फ राज्य की राजनीति को झकझोर दिया है, बल्कि इसकी गूंज अब झारखंड तक सुनाई दे रही है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह राज्य से उठे इस विवाद पर झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी की प्रतिक्रिया ने नई सियासी बहस छेड़ दी है।
मामले के सामने आने के बाद मंत्री इरफान अंसारी ने डॉक्टर नुसरत परवीन के समर्थन में बयान देते हुए झारखंड में नौकरी देने का ऑफर दिया। उनका कहना था कि अगर बिहार में उन्हें असुरक्षित महसूस हो रहा है, तो झारखंड सरकार उनके लिए अवसर उपलब्ध करा सकती है। यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ और इसे एक मानवीय पहल के तौर पर देखा गया।
हालांकि, बयान के सियासी मायने निकलते ही झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने इससे खुद को अलग कर लिया। पार्टी नेतृत्व ने साफ शब्दों में कहा कि यह इरफान अंसारी का व्यक्तिगत बयान है, न कि सरकार या पार्टी का आधिकारिक रुख। JMM नेताओं का कहना है कि किसी भी राज्य के प्रशासनिक या संवैधानिक मामलों पर प्रतिक्रिया देते समय संस्थागत प्रक्रिया का पालन जरूरी है।
राजनीतिक गलियारों में इस घटनाक्रम को दो राज्यों की राजनीति के टकराव के रूप में देखा जा रहा है। विपक्ष ने आरोप लगाया कि इस तरह के बयान भावनात्मक मुद्दों पर सियासत चमकाने की कोशिश हैं, जबकि समर्थकों का तर्क है कि यह अल्पसंख्यक सुरक्षा और महिला सम्मान का सवाल है।
उधर, बिहार सरकार ने पूरे मामले की जांच की बात कही है और दोषियों पर कार्रवाई का आश्वासन दिया है। वहीं, डॉक्टर नुसरत परवीन की ओर से अब तक किसी राजनीतिक ऑफर पर औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
कुल मिलाकर, हिजाब विवाद ने एक बार फिर देश में धार्मिक स्वतंत्रता, महिला सम्मान और राजनीति की सीमाओं पर बहस तेज कर दी है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह मुद्दा सिर्फ बयानबाजी तक सीमित रहता है या दोनों राज्यों की सियासत में कोई ठोस मोड़ लाता है।