पटना, 22 दिसंबर: बिहार में राज्यसभा चुनाव को लेकर सियासी पारा चरम पर है। राजधानी पटना से लेकर दिल्ली तक राजनीतिक गलियारों में जोड़-घटाव का खेल तेज हो चुका है। इस सियासी बिसात पर जहां भाजपा के वरिष्ठ नेता नितिन नबीन की राज्यसभा में एंट्री लगभग तय मानी जा रही है, वहीं उपेंद्र कुशवाहा की विदाई की अटकलें भी जोर पकड़ चुकी हैं। इसी बीच, चिराग पासवान के लिए यह चुनाव महज औपचारिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि उनकी राजनीतिक ताकत और भविष्य की दिशा तय करने वाली अग्निपरीक्षा बनता जा रहा है।
नितिन नबीन को दिल्ली भेजने की तैयारी
सूत्रों के अनुसार, भारतीय जनता पार्टी बिहार कोटे से राज्यसभा की एक सीट पर नितिन नबीन को भेजने की रणनीति पर अंतिम चरण में है। संगठन और सरकार दोनों स्तरों पर उनकी मजबूत पकड़ और लंबे अनुभव को देखते हुए पार्टी उन्हें राष्ट्रीय राजनीति में बड़ी भूमिका सौंपना चाहती है। माना जा रहा है कि यह फैसला बिहार भाजपा के भीतर संतुलन साधने और संगठन को नई धार देने के उद्देश्य से लिया जा रहा है।
कुशवाहा के लिए सियासी संकट
दूसरी ओर, राष्ट्रीय लोक मोर्चा के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपनी राज्यसभा सीट बचाने की है। बदले हुए राजनीतिक समीकरणों में उनके पक्ष में आवश्यक संख्या बल जुटा पाना मुश्किल नजर आ रहा है। ऐसे में राजनीतिक जानकार मानते हैं कि इस बार कुशवाहा का राज्यसभा से बाहर होना लगभग तय है। यह उनकी सक्रिय राजनीति के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।
चिराग पासवान की होगी असली परीक्षा
राज्यसभा चुनाव चिराग पासवान के लिए बेहद अहम है। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता के रूप में यह चुनाव उनके राजनीतिक वजन को परखने का मौका है। सवाल यह है कि चिराग किस खेमे के साथ खड़े होते हैं और उनके समर्थन से सत्ता समीकरण कितना प्रभावित होता है। इस चुनाव के जरिए चिराग यह दिखाने की कोशिश करेंगे कि वे सिर्फ विरासत के नेता नहीं, बल्कि निर्णायक भूमिका निभाने वाले सियासी खिलाड़ी हैं।