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प्रधानमंत्री मोदी ने श्रीलंका के राष्ट्रपति दिसानायके के साथ वार्ता की

नई दिल्ली, 16 दिसंबर: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायके के साथ सोमवार को व्यापक वार्ता की, जिसमें रक्षा, व्यापार एवं निवेश सहित विभिन्न क्षेत्रों में भारत एवं श्रीलंका के बीच सहयोग को और बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया।

श्रीलंकाई नेता रविवार को दिल्ली पहुंचे। यह सितंबर में राष्ट्रपति बनने के बाद उनकी पहली विदेश यात्रा है।

वार्ता से पहले दिसानायके का राष्ट्रपति भवन में औपचारिक स्वागत किया गया।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने मोदी और दिसानायके के बीच वार्ता से पहले ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘व्यापार, निवेश, विकास और सुरक्षा सहयोग को शामिल करते हुए एक व्यापक एजेंडे पर चर्चा की जाएगी।’’

श्रीलंकाई नेता ने रविवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल के साथ अलग-अलग बैठकें की थीं।

दिसानायके का भारत और श्रीलंका के बीच निवेश एवं वाणिज्यिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए दिल्ली में एक व्यापारिक कार्यक्रम में भाग लेने का भी कार्यक्रम है। उनका बोधगया जाने का भी कार्यक्रम है।

विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा था कि श्रीलंका हिंद महासागर क्षेत्र में भारत का निकटतम समुद्री पड़ोसी है और प्रधानमंत्री मोदी के ‘सागर’ (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और प्रगति) के दृष्टिकोण तथा भारत की ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति में प्रमुख स्थान रखता है।

इस संबंध में एक बयान में कहा गया, ‘‘राष्ट्रपति दिसानायके की भारत यात्रा से दोनों देशों के बीच बहुआयामी एवं पारस्परिक रूप से लाभप्रद सहयोग के और मजबूत होने की उम्मीद है।’’

मामले से परिचित अधिकारियों ने बताया कि दिसानायके की यात्रा के दौरान समुद्री सुरक्षा सहयोग से संबंधित मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है।

हिंद महासागर में चीन के अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ाने के प्रयासों को लेकर चिंताओं के बीच, भारत श्रीलंका के साथ अपने समग्र रक्षा और रणनीतिक संबंधों का विस्तार कर रहा है।

अगस्त 2022 में हंबनटोटा बंदरगाह पर चीनी मिसाइल और उपग्रह पर नजर रखने वाले पोत ‘युआन वांग’ के आने से भारत और श्रीलंका के बीच कूटनीतिक विवाद पैदा हो गया था। पिछले साल अगस्त में कोलंबो बंदरगाह पर एक अन्य चीनी युद्धपोत पहुंचा था।

भारत श्रीलंकाई रक्षा बलों की क्षमता बढ़ाने संबंधी विभिन्न कदमों का समर्थन कर रहा है, जिसमें स्वदेशी रूप से निर्मित अपतटीय गश्ती पोत प्रदान करना भी शामिल है।

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