Headline
आम आदमी पार्टी के पिछले 10 वर्षों के कुशासन ने दिल्ली को बदहाल कर दिया है : विजेंद्र गुप्ता
‘महिला सम्मान’ और ‘संजीवनी’ योजना केजरीवाल का चुनावी जुमला : बांसुरी स्वराज
तेजस्वी ने प्रदर्शनकारियों से मुलाकात की, बीपीएससी परीक्षा रद्द करने की मांग का किया समर्थन
सीतारमण ने तनोटराय माता मंदिर में की पूजा-अर्चना
पीएम मोदी को मिला कुवैत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान; ‘द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर’ से हुए सम्मानित
पूर्वांचलियों के सम्मान का दिखावा कर रही आप : तिवारी
भारत में दुनिया की स्किल कैपिटल बनने और स्किल डिमांड पूरा करने का सामर्थ्य: प्रधानमंत्री
पूर्वोत्तर में पुलिस के दृष्टिकोण में बदलाव का समय आ गया है : शाह
पीसीओएस कभी-कभी परिवारों में आनुवंशिक चलता है‌ और बांझपन का कारण बनता है : डॉ अर्चिता महाजन

नीतिगत दरें सातवीं बार यथावत; नहीं कम होंगी कार और घर की ईएमआई

मुंबई, 05 अप्रैल : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आर्थिक गतिविधियों में जारी तेजी का हवाला देकर महंगाई पर कड़ी नजर रखते हुये नीतिगत दरों को आज लगातार सतावीं बार यथावत रखने के निर्णय से कार और घर की ईएमआई कम होने की उम्मीद लगाये आम लोगों को निराशा हाथ लगी।

मई 2022 से 250 आधार अंकों तक लगातार छह बार दर वृद्धि के बाद पिछले वर्ष अप्रैल में दर वृद्धि चक्र को रोक दिया गया था और यह अभी भी इसी स्तर पर है।

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को चालू वित्त वर्ष की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए कहा कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने नीतिगत दरों को यथावत बनाए रखने का फैसला किया है। इसके मद्देनजर रेपो दर के साथ ही सभी प्रमुख दरें यथावत हैं। साथ ही समायोजन के रुख को वापस लेने का निर्णय लिया गया है।

समिति के इस निर्णय के बाद फिलहाल नीतिगत दरों में बढोतरी नहीं होगी। रेपो दर 6.5 प्रतिशत, स्टैंडर्ड जमा सुविधा दर (एसडीएफआर) 6.25 प्रतिशत, मार्जिनल स्टैंडिंग सुविधा दर (एमएसएफआर) 6.75 प्रतिशत, बैंक दर 6.75 प्रतिशत, फिक्स्ड रिजर्व रेपो दर 3.35 प्रतिशत, नकद आरक्षित अनुपात 4.50 प्रतिशत, वैधानिक तरलता अनुपात 18 प्रतिशत पर यथावत है।

श्री दास ने कहा कि निश्चित निवेश और वैश्विक माहौल में सुधार से समर्थन मिलने की बदौलत घरेलू आर्थिक गतिविधियों का तेज गति से विस्तार जारी है। दूसरे अग्रिम अनुमान (एसएई) ने 2023-24 के लिए वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 7.6 प्रतिशत रखी। यह लगातार तीसरा वर्ष है जब वृद्धि दर सात प्रतिशत या उससे अधिक रहेगी। दक्षिण-पश्चिम मानसून के सामान्य रहने की उम्मीद, रबी गेहूं की अच्छी फसल और खरीफ फसलों की बेहतर संभावनाओं के साथ कृषि और ग्रामीण गतिविधियों में तेजी रहने की उम्मीद है। ग्रामीण मांग में मजबूती, रोजगार की स्थिति और अनौपचारिक क्षेत्र की गतिविधि में सुधार होने, मुद्रास्फीति के दबाव में कमी आने और विनिर्माण एवं सेवा क्षेत्र में निरंतर मजबूती से निजी खपत को बढ़ावा मिलने का अनुमान है।

आरबीआई के सर्वेक्षण के अनुसार, एक साल पहले उपभोक्ता विश्वास एक नई ऊंचाई पर पहुंच गया था। वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में हमारे बढ़ते एकीकरण के साथ-साथ वैश्विक विकास और व्यापार संभावनाओं में सुधार से वस्तुओं और सेवाओं की बाहरी मांग बढ़ने की उम्मीद है। हालांकि लंबे समय तक भू-राजनीतिक तनाव और व्यापार मार्गों में बढ़ते व्यवधान से उत्पन्न विपरीत परिस्थितियां दृष्टिकोण के लिए जोखिम पैदा करती हैं। इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए वित्त वर्ष 2024-25 के लिए वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर 7.0 प्रतिशत रहने का अनुमान है। साथ ही चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 7.1 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 6.9 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 7.0 प्रतिशत और चौथी तिमाही में भी 7.0 प्रतिशत पर रहने का अनुमान है।

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि खाद्य मूल्यों की अनिश्चितताएं आगे चलकर महंगाई पर दबाव डाल रही हैं। हालांकि रबी गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन मूल्य दबाव को कम करने और बफर स्टॉक को फिर से भरने में मदद करेगा। इसके अलावा मानसून के सामान्य रहने की उम्मीद खरीफ सीजन के लिए अच्छे संकेत हैं। अंतर्राष्ट्रीय खाद्य कीमतें भी नरम बनी हुई हैं। आने वाले महीनों में सामान्य से अधिक तापमान के पूर्वानुमान को देखते हुए दालों की कुछ श्रेणियों में मांग के अनुरूप आपूर्ति में कमी की स्थिति और प्रमुख सब्जियों के उत्पादन परिणामों पर कड़ी निगरानी की आवश्यकता है। वहीं, प्रतिकूल जलवायु झटके अंतरराष्ट्रीय और घरेलू खाद्य कीमतों के के लिए महत्वपूर्ण जोखिम पैदा करते हैं।

श्री दास ने कहा कि मार्च में एलपीजी की कीमतों में कटौती के बाद निकट अवधि में ईंधन में अपस्फीति गहराने की संभावना है। मार्च के मध्य में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कटौती के बावजूद कच्चे तेल की कीमतों में हालिया बढ़ोतरी पर बारीकी से नजर रखने की जरूरत है। निरंतर भू-राजनीतिक तनाव भी जिंसों की कीमतों और आपूर्ति श्रृंखलाओं के लिए जोखिम पैदा करते हैं। उन्होंने कहा कि मानसून को सामान्य मानते हुए वित्त वर्ष 2024-25 के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा महंगाई के 4.5 प्रतिशत पर रहने का अनुमान है। साथ ही चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में महंगाई के 4.9 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 3.8 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 4.6 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.5 प्रतिशत पर रहने की संभावना है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top