नई दिल्ली, 14 जून: चिकित्सा पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए होने वाली ‘राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा-स्नातक’ (नीट-यूजी) में इस बार 24 लाख से अधिक अभ्यर्थी शामिल हुए। यह परीक्षा कई अनियमितताओं के आरोपों को लेकर विवाद से घिर गई और पूरे देश में विरोध प्रदर्शन तथा राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गए। अब तक पूरे मामले में क्या हुआ है, उसका विवरण इस प्रकार है :
1. कथित अनियमितताएं:
नीट-यूजी को लेकर आरोप लगे हैं कि कुछ छात्रों के अंक बढ़ाए गए और इस वजह से ही इस बार रिकॉर्ड 67 उम्मीदवारों ने पूरे अंकों साथ शीर्ष रैंक हासिल की है। पिछले साल, दो छात्र अव्वल आए थे। छात्र आरोप लगा रहे हैं कि कई उम्मीदवारों के अंक बेतरतीब ढंग से कम या ज्यादा कर दिए गए हैं, जिससे उनकी रैंक प्रभावित हो रही है। छह केंद्रों पर परीक्षा में देरी के कारण हुए समय के नुकसान की भरपाई के लिए 1,500 से अधिक छात्रों को दिए गए कृपांक (ग्रेस मार्क) भी सवालों के घेरे में हैं।
परीक्षा का प्रश्नपत्र लीक होने के भी आरोप लगे हैं। बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई ने पिछले महीने कहा था कि उसकी जांच से पता चला है कि नीट-यूजी के प्रश्न पत्र और उत्तर 5 मई को होने वाली परीक्षा से पहले ही लगभग 35 उम्मीदवारों को दे दिए गए थे। मामले के सिलसिले में अब तक 13 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
2. छात्रों को कृपांक क्यों दिए गए?
मेघालय, हरियाणा, छत्तीसगढ़, सूरत और चंडीगढ़ में कम से कम छह परीक्षा केंद्रों के छात्रों ने परीक्षा के दौरान समय बर्बाद होने की शिकायत की थी। इन स्थानों पर, छात्रों को प्रशासनिक कारणों से परीक्षा के उत्तर लिखने के लिए पूरे 3 घंटे और 20 मिनट नहीं मिले। इन कारणों में गलत प्रश्नपत्र, फटी हुई ओएमआर शीट का वितरण या ओएमआर शीट के वितरण में देरी शामिल हैं।
राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) द्वारा गठित एक समिति ने मामले की जांच की और उम्मीदवारों को होने वाले समय के नुकसान की भरपाई के लिए 2018 के एक फैसले में शीर्ष अदालत द्वारा तैयार और अपनाए गए फॉर्मूले का उपयोग करने का विकल्प चुना। समय की हानि का पता लगाया गया और ऐसे उम्मीदवारों को क्षतिपूर्ति के रूप में कृपांक दिए गए।
3. आरोपों पर एनटीए का रुख:
राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) ने कहा है कि परीक्षा की शुचिता से कोई समझौता नहीं किया गया है। उसने परीक्षा में शीर्ष स्थान पर रहने वाले अभ्यर्थियों की संख्या बढ़ने की वजहों में प्रतिस्पर्धा बढ़ने और प्रदर्शन मानकों में वृद्धि को गिनाया।
अधिकारियों के अनुसार, उच्चतम न्यायालय द्वारा स्वीकृत फॉर्मूले के अनुरूप समय की हानि की भरपाई के लिए 1,563 उम्मीदवारों को कृपांक दिए गए हैं। जिन 67 अभ्यर्थियों को 720 में से 720 अंक मिले, उनमें से 44 को भौतिक विज्ञान की एक उत्तर कुंजी में संशोधन के कारण इतने अंक मिले और छह को समय की हानि की क्षतिपूर्ति के लिए दिए गए कृपांक के कारण पूरे अंक मिले।
इस समायोजन का उद्देश्य एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों में विसंगतियों को दूर करना और यह सुनिश्चित करना है कि उम्मीदवारों को तथ्यात्मक विसंगतियों के कारण नुकसान न हो।
नीट-यूजी में अनुचित साधनों का उपयोग करने के 63 मामले सामने आए, जिनमें से 23 छात्रों को अलग-अलग अवधि के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया है।