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वॉशिंगटन/फ्लोरिडा। रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने की दिशा में आज एक अहम कूटनीतिक पहल देखने को मिल सकती है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के बीच आज फ्लोरिडा में उच्चस्तरीय मुलाकात होने जा रही है। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य लगभग तीन साल से जारी युद्ध को खत्म करने के लिए ठोस रणनीति तैयार करना है। दोनों नेताओं के बीच 20 सूत्रीय शांति योजना पर विस्तार से चर्चा होने की संभावना है।

 क्या नए साल से पहले रुक पाएगा युद्ध?

दुनियाभर की नजरें इस मुलाकात पर टिकी हैं। अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों का मानना है कि अगर अमेरिका और यूक्रेन किसी साझा रोडमैप पर सहमत होते हैं, तो नए साल से पहले युद्धविराम की दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकते हैं। हालांकि, रूस की सहमति और उसकी शर्तें इस पूरी प्रक्रिया में निर्णायक भूमिका निभाएंगी।

20 सूत्रीय शांति योजना में क्या हो सकता है शामिल?

सूत्रों के मुताबिक, प्रस्तावित शांति योजना में कई अहम बिंदु शामिल हो सकते हैं, जिनमें—

* तत्काल युद्धविराम और संघर्षविराम की समय-सीमा

* विवादित क्षेत्रों में सैन्य गतिविधियों पर रोक

* यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता की गारंटी

* रूस पर लगे प्रतिबंधों में चरणबद्ध ढील या समीक्षा

* अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों की तैनाती

* युद्ध से प्रभावित इलाकों के पुनर्निर्माण में आर्थिक सहायता

किन मुद्दों पर होगी ट्रंप–जेलेंस्की में बात?

बैठक में अमेरिका द्वारा यूक्रेन को दी जा रही सैन्य और आर्थिक मदद, नाटो की भूमिका, यूरोपीय देशों का समर्थन और रूस के साथ संभावित बातचीत के रास्तों पर भी चर्चा होने की उम्मीद है। इसके अलावा, ट्रंप की यह रणनीति भी अहम मानी जा रही है कि वह किस तरह रूस को बातचीत की मेज पर लाने की कोशिश करेंगे।

 वैश्विक राजनीति पर पड़ेगा असर

यदि इस बैठक से कोई ठोस नतीजा निकलता है, तो इसका असर सिर्फ रूस और यूक्रेन तक सीमित नहीं रहेगा। यूरोप की सुरक्षा व्यवस्था, वैश्विक ऊर्जा बाजार और अंतरराष्ट्रीय राजनीति की दिशा भी इससे प्रभावित हो सकती है।

उम्मीद और संशय दोनों बरकरार

हालांकि शांति की कोशिशें तेज हुई हैं, लेकिन जमीनी हकीकत और रूस-यूक्रेन के बीच गहरे मतभेदों को देखते हुए रास्ता आसान नहीं माना जा रहा। फिर भी, ट्रंप और जेलेंस्की की यह मुलाकात युद्ध समाप्ति की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है।

अब देखना यह होगा कि क्या यह कूटनीतिक पहल नए साल से पहले युद्ध पर विराम लगाने में सफल हो पाती है या नहीं।

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