-अस्पतालों में मॉक ड्रिल के आदेश, मास्क पहनना किया अनिवार्य

नई दिल्ली, 04 जून: देश में कोरोना मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। मंगलवार को 300 नए केस सामने आए थे। सबसे ज्यादा गुजरात में 108 और महाराष्ट्र में 86 मामले सामने आए। इस तरह देश में सक्रिय केसों की संख्या 4302 हो गई है। कोरोना 27 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में अपने पैर पसार चुका है।

हालांकि 9 राज्यों में अब तक एक भी मामला सामने नहीं आया है। सबसे ज्यादा 1373 एक्टिव केस केरल में हैं। वहीं महाराष्ट्र 510 केसों के साथ दूसरे नंबर है। कोरोना के नए वैरिएंट्स से देश में जनवरी से अब तक 44 मौतें हो चुकी हैं। इनमें से 37 मरीजों की मौत बीते 5 दिन में हुई है। महाराष्ट्र में मंगलवार को 4 मरीजों की मौत हो गई। राज्य में मरने वाला की संख्या 14 हो गई है। इसके अलावा बीते दिन दिल्ली, गुजरात और तमिलनाडु में भी 1-1 मौत हो चुकी है।

हिमाचल प्रदेश में मंगलवार को कोरोना का पहला मामला सामने आया था। इसके बाद राज्य सरकार ने देर रात एडवाइजरी जारी कर सभी हॉस्पिटल में मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया है। वहीं केरल सरकार ने नई गाइडलाइन जारी कर सभी सरकारी और प्राइवेट हॉस्पिटल को मॉक ड्रिल कराने का आदेश दिया है। देश में कोरोना के सबसे ज्यादा सक्रिय केस केरल राज्य में हैं। इसको देखते हुए राज्य सरकार ने बुधवार को हॉस्पिटल और हेल्थ वर्कर्स के लिए गाइडलाइंस जारी की है। इसके तहत राज्य के सभी हॉस्पिटल्स में मॉक ड्रिल होगी। इस दौरान कोरोना से बचाव के तरीकों को बताया जाएगा। साथ ही सर्दी, जुकाम, खांसी और बुखार जैसे लक्षण वाले मरीजों का कोविड टेस्ट अनिवार्य कर दिया है। हॉस्पिटल में मास्क लगाने के बाद ही एंट्री मिलेगी।

केंद्रीय स्वास्थ्य और आयुष राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग और आयुष मंत्रालय पूरी तरह से सतर्क है। सभी राज्यों के हालात पर नजर रखी जा रही है। उन्होंने कहा कि पिछली कोविड लहरों के दौरान बने ऑक्सीजन प्लांट, आईसीयू बेड जैसी चीजों की समीक्षा हो चुकी है। किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं।

दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को कहा था कि कोविड की अगली महामारी अभी खत्म नहीं हुई है, बल्कि यह अभी भी सक्रिय है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से सैंपल कलेक्शन सेंटर और ट्रांसपोर्ट पॉलिसी को लेकर की गई तैयारियों की जानकारी मांगी है। कोर्ट ने कहा कि 30 मई 2023 को हुई बैठक के बाद जो भी फैसले लिए गए, उन्हें लागू करने में अगर कोई खालीपन है तो यह गंभीर मामला है। जस्टिस गिरीश कथपालिया ने कहा कि यह मानकर चलना चाहिए कि जरूरी कदम और प्रोटोकॉल तय किए जा चुके होंगे, लेकिन संबंधित अधिकारियों को इसे रिकॉर्ड पर लाना चाहिए।

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