-सीएम ने किया सुंदर नगरी में 131 कमरों वाले नए स्कूल का उद्घाटन
नई दिल्ली, 14 नवंबर: मुख्यमंत्री आतिशी ने दिल्ली के सुंदर नगरी में आज 131 कमरों वाले एक नए स्कूल का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि बच्चे देश का भविष्य होते हैं, इसलिए जरूरी है कि बच्चों को अच्छी शिक्षा दी जाए। बाल दिवस के अवसर पर सुंदर नगरी के इस नए स्कूल को बच्चों को समर्पित किया गया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि आज देश के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का जन्मदिवस है, जो बाल दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। ऐसे में बच्चों के लिए इसे बड़ा उपहार क्या हो सकता है कि जहां स्कूल नहीं है वहां उनको शिक्षा का सुनहरा अवसर मिले। उन्होंने कहा कि यह हमारे शहर का सबसे घनी आबादी वाला इलाका है। बच्चे यहां दो शिफ्ट में पढ़ाई करेंगे। सुंदर नगरी, नंद नगरी, मंडोली और हर्ष विहार जैसे क्षेत्रों से सात हजार से अधिक बच्चों का भविष्य उज्ज्वल करेगा।
मुख्यमंत्री आतिशी ने सोशल मीडिया एक्स पर कहा कि मैं अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया को धन्यवाद देना चाहता हूं, जिन्होंने यहां से भू-माफिया को दूर किया और इस स्कूल का निर्माण किया गया। इस स्कूल में 131 कमरे, 7 लैब, स्टाफ रूम, कॉन्फ्रेंस रूम, मल्टीपर्पज हॉल और लेक्चर थियेटर है। यहां तक कि निजी स्कूलों में भी ऐसी सुविधाएं नहीं हैं, जैसा कि वह सुंदर नगरी में एक सरकारी स्कूल में है। उन्होंने कहा कि शिक्षा ही देश की प्रगति का आधार है। शिक्षा के ज़रिए असमानता और ग़रीबी की जंजीरों को तोड़ते हुए ही समर्थ और विकसित भारत की नींव रखी जा सकती है।
आतिशी ने कहा कि इसी इरादे के साथ पिछले 10 सालों में हमने अपने स्कूलों में पढ़ने वाले हर बच्चे को अच्छे भविष्य के सपने देखने और उसे पूरा करने का अवसर दिया है। ताकि ये नन्हे बच्चे अपनी मेहनत, प्रतिभा और देशभक्ति के जुनून के साथ भारत को दुनिया का नंबर एक देश बना सकें।
सीएम आतिशी ने कहा कि, “दिल्ली के सरकारी स्कूल हमेशा ऐसे नहीं होते थे। 2015 से पहले दिल्ली में सरकारी स्कूल बदहाल होते थे। ये सरकारी स्कूल टीन-टप्पर में चलते थे। बरसात में स्कूल की छत टपकती थी। स्कूल के अंदर घुसते ही सबसे पहले टॉयलेट की बदबू आती थी। और क्लासरूम की कमी के कारण बच्चे टॉयलेट के बाहर टाट-पट्टी पर बैठकर पढ़ने को मजबूर थे।”
उन्होंने कहा कि, सरकारी स्कूलों के क्लासरूम में टेबल-कुर्सियाँ नहीं होती थी, लाइटें-खिड़कियां टूटी होती थी। पीने का पानी नहीं होता था। क्लासरूम में टीचर्स नहीं होते थे क्योंकि उनकी पल्स पोलियो से लेकर आधार कार्ड तक में सरकारी ड्यूटी लगाई जाती थी। दिल्ली के इस हिस्से में एक एक क्लास में 100-150 बच्चे हुआ करते थे। कोई भी अपने बच्चे को सरकारी स्कूल में नहीं भेजना चाहता था। जिसके पास भी थोड़े पैसे आ जाते थे वो परिवार पेट काट-काटकर अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में भेजता था। क्योंकि उन्हें पता होता था कि, यदि बच्चा टूटे-फूटे सरकारी स्कूल में पढ़ा तो उसका कोई भी भविष्य नहीं होगा।
सीएम कहा कि, हमारे देश में कहा जाता है कि, बच्चों का भविष्य उनकी हाथ की लकीरों में लिखा होता है। ये सच भी है कि, हमारे देश में बच्चे का भविष्य तीन साल की उम्र में तय हो जाता है। अगर कोई ऐसे घर से होता था जहां पैरेंट्स महँगे प्राइवेट स्कूल की फ़ीस दे सकते तो वो अच्छे स्कूल में जाता था, अच्छे कॉलेज में जाता था और अच्छी नौकरी पाता था। लेकिन दूसरी ओर जो बच्चा गरीब परिवार से आता था वो पढ़ाई के लिए टूटे-फूटे टीन-टप्पर के सरकारी स्कूल में जाता था।
उन्होंने कहा कि, आंकड़े बताते है कि हमारे देश में सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 50% बच्चे ही पढ़ाई पूरी कर पाते है। और यदि पढ़ाई पूरी कर ले तो उन्हें छोटी मोटी नौकरी करनी पड़ती। कोई मैकेनिक का काम करता तो कोई किराना की दुकान में किसी के घर में काम करना पड़ता। उन्होंने कोई भी काम छोटा नहीं होता लेकिन वो काम करना किसी की मजबूरी नहीं होनी चाहिए। हर बच्चे को चाहे वो अमीर परिवार से आता हो या ग़रीब परिवार से आता हो उसे बराबरी का मौक़ा मिलना चाहिए, आगे बढ़ने का मौक़ा मिलना चाहिए।
सीएम आतिशी ने कहा कि, “ये बदलाव दिल्ली में 2015 से आया है। सुंदर नगरी के लोगों ने हमेशा से हमें बहुत प्यार दिया है। सरकार में आने से पहले अरविंद केजरीवाल जी सुंदर नगरी की गलियों में आम लोगों के लिए काम करते थे। यही से हमलोगों की राजनीति की शुरुआत हुई। और लोगों के प्यार की वजह से, आशीर्वाद की वजह से दिल्ली के सरकारी स्कूलों में शिक्षा क्रांति आई।”
उन्होंने कहा कि, “आम आदमी पार्टी की, अरविंद केजरीवाल जी की सरकार देश की पहली ऐसी सरकार है, जिसने कहा कि हम सरकारी स्कूलों को प्राइवेट से शानदार बनायेंगे। ये पहली ऐसी सरकार थी जिसनें अपने बजट का 25% हिस्सा दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था पर लगाया, आम लोगों के बच्चों के भविष्य को संवारने पर लगाया। पिछले 10 सालों से लगातार हर साल दिल्ली सरकार का सबसे ज़्यादा बजट शिक्षा पर लगता है।”
सीएम आतिशी ने कहा कि, “सिर्फ़ सुंदर नगरी या नंद नगरी ही नहीं आज पूरी दिल्ली में हर जगह बच्चे शानदार बिल्डिंग में पढ़ते है। उन्होंने साझा किया कि, 1947 से 2015 तक दिल्ली में सरकारी स्कूलों में मात्र 24,000 कमरें बने जबकि अरविंद केजरीवाल जी के मार्गदर्शन में 2015 से 2024 तक मात्र 10 साल में ही 22,700 नए कमरें बनवाए गए। आज सरकारी स्कूलों में जितनी शानदार सुविधाएं है वो प्राइवेट स्कूलों के भी मौजूद नहीं है।”
उन्होंने कहा कि, “स्कूलों में न सिर्फ क्लास रूम, लैब-लाइब्रेरी अच्छे बने बल्कि हमनें अपने शिक्षकों की ट्रेनिंग पर भी निवेश किया। 2015 में शिक्षकों की ट्रेनिंग पर हर साल मात्र 10 करोड़ रुपये खर्च किए जाते थे। लेकिन जब अरविंद केजरीवाल जी दिल्ली के मुख्यमंत्री बनें, मनीष सिसोदिया जी दिल्ली के शिक्षा मंत्री बने तब इस 10 करोड़ के बजट को 10 गुणा किया गया और शिक्षकों की ट्रेनिंग पर 100 करोड़ रुपये खर्च किया जाने लगा। हमनें अपने शिक्षकों को ट्रेनिंग के लिए अमेरिका भेजा, ब्रिटेन भेजा, फिनलैंड भेजा, सिंगापुर भेजा। देश के सबसे बड़े-बड़े संस्थानों में दिल्ली के सरकारी स्कूलों के शिक्षक ट्रेनिंग लेकर आए। क्योंकि जब हमारे शिक्षकों-प्रिंसिपलों की वर्ल्ड क्लास ट्रेनिंग होगी तभी वो हमारे स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को वर्ल्ड क्लास शिक्षा दे पायेंगे।”
सीएम आतिशी ने कहा कि, “इन सब काम का नतीजा रहा कि, पिछले 8 साल से दिल्ली सरकार के स्कूलों के नतीजे प्राइवेट से बेहतर आ रहे है। ये देश के किसी और राज्य में नहीं होता। पहले दिल्ली के सरकारी स्कूलों के पढ़ने वाले बच्चे मैकेनिक बनते थे, दुकान पर काम करते थे। आज दिल्ली सरकार के स्कूलों के बच्चे जेईई-नीट का एग्जाम पास कर देश के बड़े-बड़े इंजीनियरिंग-मेडिकल कॉलेजों के एडमिशन ले रहे है। सिर्फ पिछले साल ही दिल्ली सरकार के स्कूलों के 2800 बच्चों ने जेईई और नीट की परीक्षा क्वालीफाई की।”
सीएम आतिशी ने कहा कि, “जहाँ देशभर में लोग अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों से निकालकर प्राइवेट स्कूलों में डाल रहे है। वही दिल्ली इकलौता ऐसा राज्य है, जहाँ पेरेंट्स अपने बच्चों का प्राइवेट स्कूलों से निकालकर सरकारी स्कूलों में एडमिशन करवा रहे है। पिछले 3 साल में 4 लाख से ज़्यादा बच्चों ने प्राइवेट स्कूल छोड़कर सरकारी स्कूलों में एडमिशन लिया है। ये है दिल्ली की शिक्षा क्रांति।” उन्होंने कहा कि, “आज भी दिल्ली के आसपास के राज्यों में जहाँ दूसरी पार्टियों की सरकारें है, वहाँ बच्चे टीन-टप्पर में पढ़ने को मजबूर है। उनके बैठने के लिए टेबल-कुर्सी नहीं है। बच्चे टाट-पट्टी पर बैठकर पढ़ने को मजबूर है।”
सीएम आतिशी ने कहा कि, “अगर दिल्ली के लोगों को अच्छे स्कूल चाहिए, अपने बच्चों के लिए अच्छा भविष्य चाहिए तो ये दिल्लीवालों के हाथ में ही है। यदि दिल्ली के लोग चाहते है कि, सरकारी स्कूलों में ऐसी ही शिक्षा मिलती रहे, सरकारी स्कूल शानदार बने रहे, बच्चों की अच्छे लैब, क्लासरूम मिले तो उन्हें एक बार फिर अरविंद केजरीवाल जी की लाना होगा। शिक्षा पर काम करने वाली सरकार को चुनना होगा। क्योंकि कोई और आया तो वो शिक्षा पर काम नहीं करेगा और दिल्ली के स्कूलों का भी वही हाल होगा जो उत्तर प्रदेश में है।