नई दिल्ली, 09 अगस्त : शनिवार सुबह दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के जैतपुर के हरि नगर गांव में दर्दनाक हादसा हुआ, जब एक पुराने मंदिर के पास स्थित समाधि स्थल की करीब 100 फुट लंबी दीवार अचानक भरभराकर ढह गई। दीवार गिरने से पास की झुग्गियों पर मलबा आ गिरा, जिसकी चपेट में आकर मौके पर ही 8 लोगों की मौत हो गई। मृतकों में तीन पुरुष, दो महिलाएं, दो लड़कियां और एक बच्चा शामिल हैं। हादसा सुबह लगभग 9:30 बजे के करीब हुआ, जब इलाके में भारी बारिश के चलते अधिकांश लोग अपनी झुग्गियों में ही थे.

घटनास्थल पर अफरातफरी, बचाव कार्य तेज

हादसे की खबर मिलते ही दिल्ली फायर सर्विस की दो गाड़ियां तुरंत मौके पर पहुँचीं और बचाव कार्य में लग गईं। मलबे में फंसे सभी आठ लोगों को बाहर निकाला गया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। अस्पताल ले जाए गए घायल हाशिबुल ने भी बाद में दम तोड़ दिया। फिलहाल पुलिस और प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी घटनास्थल पर मौजूद हैं और सर्च ऑपरेशन जारी है। आसपास की झुग्गियों को ऐहतियात के तौर पर खाली करा दिया गया है, ताकि कोई और बड़ा हादसा न हो.

हादसे की वजह

प्राथमिक जांच में सामने आया है कि मंदिर के पास की दीवार काफी पुरानी थी और लगातार बारिश के दबाव में उसकी नींव कमजोर पड़ गई थी। विशेषज्ञों का मानना है कि उचित रखरखाव और समय पर मरम्मत न होने से यह हादसा हुआ। प्रशासन ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि क्षेत्र में इस तरह के पुराने ढांचे और जर्जर दीवारों की समय-समय पर मॉनिटरिंग नहीं होती, जिससे आमजन की जान जोखिम में रहती है.

स्थानीय नाराजगी और प्रशासनिक प्रतिक्रिया

इस दर्दनाक घटना के बाद क्षेत्रीय निवासी प्रशासन से खासे नाराज नजर आए। उनका कहना है कि इलाके में रह रही झुग्गी बस्ती वर्षों पुरानी है और यहां बारिश के मौसम में ऐसे हादसे की आशंका पहले भी जताई जा चुकी थी, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। पुलिस के मुताबिक, मृतकों में से चार लोग एक ही परिवार के थे और वे सभी कबाड़ व्यवसाय से जुड़े थे। छुट्टी का दिन होने के चलते परिवार के लोग घर पर ही थे.

दिल्ली में जर्जर इमारतों पर फिर सवाल

यह हादसा एक बार फिर दिल्ली की दयनीय नागरिक संरचनाओं और जर्जर इमारतों की सुरक्षा पर सवाल उठा गया है। मानसून के दौरान पिछले कुछ वर्षों में भी ऐसे हादसे बढ़े हैं, जिसमें गरीब तबके को अपनी जान गंवानी पड़ी है। प्रशासन की ओर से कहा गया है कि बाकी के जोखिमग्रस्त ढांचों की जांच की जाएगी और ज़रूरत पड़े तो उन्हें गिराया जायेगा, ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदी न हो.

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