नई दिल्ली, 04 फरवरी : समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता अखिलेश यादव महाकुंभ में मची भगदड़ को लेकर केन्द्र सरकार एवं उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार पर आज तीखे प्रहार किए। कहा कि डबल इंजन की सरकार के दोनों इंजन आपस में टकरा रहे हैं और महाकुंभ त्रासदी पर सर्वदलीय बैठक में चर्चा कराने की मांग की।

यादव ने संसद के संयुक्त अधिवेशन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर लोकसभा में चर्चा में भाग लेते हुए अध्यक्ष ओम बिरला से मांग की कि चर्चा पूरी होने के बाद सदन में दो मिनट तक महाकुंभ में भगदड़ में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी जाए। उन्होंने सत्तापक्ष द्वारा इस पर आपत्ति किए जाने पर कहा कि जिनको इससे तकलीफ हो रही है, उन्हें मौतों से दुख होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार बजट के खूब आंकड़े दे रही है तो महाकुंभ में मृतकों के आंकड़े भी दे देते। उन्होंने कहा कि महाकुंभ त्रासदी पर सर्वदलीय बैठक में चर्चा की जाये तथा महाकुंभ में आपदा प्रबंधन और खोया पाया प्रबंधन का काम सेना को देना चाहिए। हादसे के जिम्मेदार लोगों पर घोर दंडात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए।

अखिलेश यादव ने कहा कि हादसे को लेकर यदि अपराधबोध नहीं है तो साक्ष्य क्यों मिटाए गए या छिपाए गए। इंतजाम की जगह प्रचार का ध्यान रहा। बार बार प्रचारित किया गया कि 144 साल बाद महाकुंभ आया है। पहली बार सीसीटीवी के प्रयोग से सरकार स्नान करने वालों का आंकड़ा बताया। लेकिन लाइवस्ट्रीमिंग करने वालों ने मृतकों का आंकड़ा नहीं दिया। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि सतयुग से चली आ रही नक्षत्रीय मुहूर्त में शाही स्नान की परंपरा टूट गयी और सरकार के निर्देशों के अनुसार संतों ने स्नान किया। उन्होंने कहा कि लोग पुण्य कमाने आये थे लेकिन अपनों के शवों को लेकर गये।

उन्होंने कहा कि शवग्रहों में शव पड़े थे और सरकार हेलीकॉप्टरों से पुष्पवर्षा करवा रही थी। सरकार स्वीकार नहीं कर रही थी कितनी लाशें पड़ी हैं, कितनी चप्पलें, कितने कपड़े पड़े थे। जेसीबी मशीनों से ट्रैक्टर ट्रॉली से सामान उठवाया। मीडिया को दबाव एवं प्रलोभन से मैनेज किया गया है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री के शोक संदेश के बाद शोक जताया। यादव ने अभिभाषण पर चर्चा शुरू करते हुए कहा कि सरकार ईज ऑफ डूइंग बिजनेस का इस्तेमाल अपनी छवि चमकाने और दूसरे की बरबाद करने के लिए किया गया है। इन्वेस्टर मीट में केन्द्रीय मंत्री एवं प्रधानमंत्री जाते हैं और बड़ी बड़ी घोषणाएं होतीं हैं। लेकिन आज यह नहीं बता सकते कि कितने प्रस्ताव जमीन पर उतारे गये। ये डबल इंजन की सरकार के दोनों इंजन ही आपस में टकरा रहे हैं और अब डिब्बे भी टकराने लगे हैं।

उन्होंने कहा कि दिल्ली के चुनाव के बीच राष्ट्रपति अभिभाषण में मेट्रो की लाइनें दोगुनी होने की बात कही। जिसे क्योतो बनाने का सपना देखा गया थी उस बनारस में मेट्रो आज तक क्यों नहीं आ पायी। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में लखनऊ कानपुर, आगरा, नोएडा-जितनी भी मेट्रो चल रही हैं, सब की सब की योजना समाजवादी सरकार ने बनाई थी। जहां तक दिल्ली के विकास की बात है तो केन्द्र सरकार जिस दिन हस्तक्षेप बंद कर दे तो दिल्ली का विकास अपने आप हो जाएगा।

यादव ने नदी जोड़ा योजना, एक्सप्रेसवे योजनाओं के लिए समाजवादी पार्टी को श्रेय दिया और कहा कि योगी सरकार में बना बुन्देलखंड एक्सप्रेस आज ही मेन्टेनेंस में फंसा है। उद्घाटन के बाद पानी बरसते ही बह गया था। जबकि 21 माह के रिकॉर्ड समय में लखनऊ आगरा एक्सप्रेसवे बनाया और वायुसेना के सुखोई एवं मिराज जैसे विमान उतार कर उद्घाटन किया था। किसानों को उचित मुआवजा दिया था। लेकिन योगी जी के समय घोषित 91 किलोमीटर का गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे आज तक पूरा नहीं हो सका। उन्होंने केन्द्र सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि आपके किसान पैकेज कोई कंजूस बनाता है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में लोहिया सौर ऊर्जा की परियोजनाएं लागू की गई थीं, लेकिन भाजपा सरकार ने उन्हें बंद करवा दिया।

उन्होंने कहा कि चीन को लेकर भाजपा एवं कांग्रेस के अपने अपने विचार हैं। एक समय हमने लाखों हेक्टेयर जमीन खोई है और आज भी उसी रास्ते चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि जातिगत गणना की मांग आरक्षण की व्यवस्था को मजबूत करने के लिए है। अगर कांग्रेस पहले हमारे पक्ष में होती तो हमें मांगना नहीं पड़ता।

यादव ने कहा कि जिस समय बाजार खोला गया था, उसी समय मैन्युफैक्चरिंग पर ध्यान दिया होता तो हम चीन से आगे होते। देश में आधुनिक बुनियादी ढांचे की बात कही गयी है। लेकिन उत्तर प्रदेश में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण का एक भी एक्सप्रेसवे नहीं है।

तृणमूल कांग्रेस के प्रो सौगत राय ने कहा कि अभिभाषण में किसानों के अनशन, कुंभ के हादसे और जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने के बारे में कुछ नहीं कहा गया है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था 32 ट्रिलियन डॉलर और चीन की अर्थव्यवस्था। 9 ट्रिलियन डॉलर की है लेकिन हम 5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने में छाती पीट रहे थे।

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