–श्रीराजमाता जी की पुण्य तिथि पर संत सम्मेलन
नई दिल्ली, 21 नवंबर: सदगुरु शिष्य को संसार छोड़ने का नहीं बल्कि भ्रम तोड़ने का ज्ञान देते हैं” यह संदेश दिया स्वामी श्री राजेश्वरानंद जी महाराज द्वारा श्री राजमाता झंडेवाला मंदिर समूह की संस्थापिका ब्रह्मलीन सदगुरु श्री राजमाता जी महाराज की पुण्य तिथि पर आयोजित संत सम्मेलन में आए भक्तों को।
दरबार के प्रबंधक राम वोहरा ने बताया कि दरबार की संस्थापिका ब्रह्मलीन सदगुरु श्री राजमाता जी महाराज की पुण्य तिथि पर स्वामी श्री राजेश्वरानंद जी महाराज एवं गुरु मां पूजा राजगुरु महाराज जी के सान्निध्य में संत सम्मेलन एवं भंडारा आयोजित किया गया जिसमें आचार्य राजेश ओझा, महामंडलेश्वर दीन बंधु दास जी, स्वामी महाकाल जी महाराज, स्वामी श्याम जी महाराज उज्जैन से, योगमाता राधिका गिरी जी महाराज, महामंडलेश्वर अंजनी देवा दास जी महाराज, वयोवृद्ध साध्वी जनक माता जी महाराज, कामाख्या साधक दीदी सरिता आनंद जी, किन्नर गुरु साध्वी ज्योति माता जी, पंडित सुनील ओझा एवं कोतवाल रमेश गिरी जी के नेतृत्व में अनेक संत फकीरों सम्मेलन में शामिल होकर आशीर्वचन दिया।भोर भई दरबार के महापुरुषों द्वारा गुरुदेव जी की पुण्य स्मृति में यज्ञ किया गया। संत सम्मेलन का शुभारंभ सभी संतो द्वारा सदगुरु श्री राजमाता जी महाराज की प्रतिमा एवं गर्भगृह स्थित गुफा में समाधि पर पुष्पांजलि वस्त्र अर्पित किया गया।गुरु मां पूजा जी महाराज द्वारा आए हुए संतो का पुष्पमाला, शॉल ओढ़ाकर स्वागत किया गया। दरबार के शिष्यों ने आए हुए सभी संतो पर पुष्पवर्षा की गई। भंडारे के पश्चात संतो फकीरों को दक्षिणा सहित कम्बल भेंट किए गए।
इस अवसर पर भक्तों को संबोधित करते हुए स्वामी राजेश्वरानंद जी महाराज ने कहा कि “सद्गुरु श्री राजमाता जी को जीवन में अनेक शारीरिक, आर्थिक, सामाजिक परेशानियों का सामना करना पड़ा लेकिन वह भगवद मार्ग से तनिक भी विचलित नहीं हुए। मनुष्य के कर्मों के आधार पर भगवान उसे सांसारिक जीवन देता हैं लेकिन सद्गुरु अपने शिष्य को सांसारिक बंधनों से ही मुक्त करवाकर भगवान से मिलवा देते है। सदगुरु श्री राजमाता जी ने संसार छोड़ने का ज्ञान नहीं दिया बल्कि संसार में आसक्ति मोह भ्रम तोड़ने का ज्ञान दिया की यह सांसारिक रिश्ते नाते तेरे जन्म जन्मांतरों के छुटे हुए कर्जे है जिसमें जागृत अवस्था में कर्म करके तुम मुक्ति प्राप्त कर सकते हो। सदगुरु श्री राजमाता जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए स्वकल्याण अरदास के बाद भक्तों ने भंडारा प्रसाद ग्रहण किया।