Highlights

बांग्लादेश, 19 दिसंबर: बांग्लादेश के चर्चित छात्र नेता और 2024 के छात्र आंदोलन की प्रमुख आवाज़ शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद देशभर में हालात बेकाबू हो गए हैं। उनकी मौत की खबर सामने आते ही ढाका समेत कई बड़े शहरों में प्रदर्शन, आगजनी और झड़पें शुरू हो गईं। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच कई जगहों पर तनाव बना हुआ है।

सिंगापुर में हुई मौत, ढाका में मारी गई थी गोली

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शरीफ उस्मान हादी की मौत सिंगापुर में इलाज के दौरान हुई। इससे पहले ढाका में अज्ञात हमलावरों ने उन्हें गोली मार दी थी, जिसके बाद उन्हें गंभीर हालत में सिंगापुर ले जाया गया था। इलाज के दौरान उनकी हालत में सुधार नहीं हो सका और बुधवार देर रात उनकी मौत हो गई।

कौन था शरीफ उस्मान हादी?

शरीफ उस्मान हादी बांग्लादेश के 2024 छात्र आंदोलन के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक थे। वह ‘इंकलाब मंच’ (Inqilab Platform) के प्रवक्ता थे, जिसने छात्र राजनीति के जरिए सरकार के खिलाफ व्यापक जनआंदोलन खड़ा किया। इस आंदोलन को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की सत्ता से विदाई की एक बड़ी वजह माना जाता है।

हादी की पहचान एक तेज़तर्रार, बेबाक और ज़मीनी नेता के रूप में थी। वे छात्र अधिकारों, लोकतांत्रिक सुधारों और भ्रष्टाचार के खिलाफ खुलकर बोलते थे। सोशल मीडिया और सार्वजनिक मंचों पर उनकी अपील का युवाओं पर गहरा असर था।

 मौत के बाद भड़का जनआक्रोश

उस्मान हादी की मौत की खबर फैलते ही ढाका, चटगांव, सिलहट और राजशाही जैसे शहरों में भारी प्रदर्शन शुरू हो गए। प्रदर्शनकारियों ने इसे “राजनीतिक हत्या” करार देते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की है। कई जगहों पर वाहनों में आगजनी, सड़कों पर बैरिकेडिंग और पुलिस के साथ झड़पों की खबरें हैं।

सरकार पर उठे सवाल

विपक्षी दलों और छात्र संगठनों ने हादी की हत्या के लिए सरकार और सुरक्षा एजेंसियों को जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि यह छात्र आंदोलन की आवाज़ को दबाने की कोशिश है। वहीं सरकार ने मामले की जांच का भरोसा दिलाया है और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं।

आगे क्या?

शरीफ उस्मान हादी की मौत ने बांग्लादेश की राजनीति और छात्र आंदोलन को एक बार फिर उबाल पर ला दिया है। आने वाले दिनों में हालात और बिगड़ने की आशंका जताई जा रही है, जबकि देश की निगाहें अब सरकार की अगली कार्रवाई और जांच के नतीजों पर टिकी हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *