बालासोर, 03 जून: ओडिशा के बालासोर जिले में शुक्रवार शाम को कोरोमंडल एक्सप्रेस और बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस ट्रेन के पटरी से उतरने और एक मालगाड़ी से टकराने से जुड़े रेल हादसे में मृतक संख्या शनिवार को बढ़कर 238 हो गई।
इस हादसे में 900 से अधिक यात्री घायल हुए हैं। राज्य के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी।
ट्रेन के उस डिब्बे को जमीन से निकालने के लिए क्रेन और बुलडोजर की मदद ली जा रही है, जो एक अन्य ट्रेन के डिब्बे के उसके ऊपर गिरने के कारण धंस गया था।
बचावकर्ता गैस टॉर्च और इलेक्ट्रिक कटर की मदद से रेलगाड़ियों के बीच फंसे जीवित लोगों और शवों को बाहर निकालने की कोशिश कर रहे हैं।
भुवनेश्वर में अधिकारियों ने बताया कि 1,200 कर्मियों के अलावा 200 एंबुलेंस, 50 बस और 45 सचल स्वास्थ्य इकाइयां दुर्घटनास्थल पर काम कर रही हैं। शवों को ट्रैक्टर समेत विभिन्न प्रकार के वाहनों में अस्पताल पहुंचाया जा रहा है।
ओडिशा के मुख्य सचिव पी के जेना ने शनिवार को भुवनेश्वर में ओडिशा राज्य सचिवालय में संवाददाताओं से कहा, ”बालासोर ट्रेन हादसे में मृतक संख्या बढ़कर 238 हो गई है।”
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, कोलकाता से करीब 250 किलोमीटर दक्षिण में बालासोर जिले के बाहानगा बाजार स्टेशन के पास शुक्रवार शाम करीब सात बजे हुआ यह हादसा भारतीय रेल इतिहास का अब तक का चौथा सबसे भीषण हादसा है। रेल मंत्रालय ने इस दुर्घटना की जांच के आदेश दिए हैं।
भारतीय रेलवे ने एक बयान में बताया कि इस ट्रेन दुर्घटना की जांच दक्षिण-पूर्व सर्किल के रेलवे सुरक्षा आयुक्त ए एम चौधरी करेंगे। रेलवे सुरक्षा आयुक्त नागर विमानन मंत्रालय के अधीन काम करता है।
रेलवे के एक अधिकारी के मुताबिक, हावड़ा जा रही 12864 बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस के कई डिब्बे बाहानगा बाजार में पटरी से उतर गए और दूसरी पटरी पर जा गिरे।
अधिकारी ने कहा, ”पटरी से उतरे ये डिब्बे 12841 शालीमार-चेन्नई कोरोमंडल एक्सप्रेस से टकरा गए और इसके डिब्बे भी पलट गए।”
उन्होंने बताया कि चेन्नई जा रही कोरोमंडल एक्सप्रेस के डिब्बे पटरी से उतरने के बाद एक मालगाड़ी से टकरा गए, जिससे मालगाड़ी भी दुर्घटना की चपेट में आ गई।
रेलवे के प्रवक्ता अमिताभ शर्मा ने एक समाचार एजेंसी को बताया कि पहले कोरोमंडल एक्सप्रेस पटरी से उतरी और इसके 10-12 डिब्बे बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस की पटरी पर जा गिरे।
पटरी से उतरे डिब्बों के नीचे से शवों को निकालने के लिए गैस कटर का इस्तेमाल किया गया। आपदा प्रबंधन कर्मी और दमकल कर्मी शवों को निकालने की कोशिशों में जुटे हैं।
एक यात्री ने कहा, ”दुर्घटना के दृश्य इतने वीभत्स हैं कि उन्हें शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता।”
इस दुर्घटना के बाद रेल पटरियां लगभग पूरी तरह से ध्वस्त हो गई हैं और रेलगाड़ियों के कुछ डिब्बे एक-दूसरे पर चढ़े हुए हैं, जबकि कुछ डिब्बे टकराने के कारण पलट गए हैं।
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के ब्रह्मपुर के रहने वाले पीयूष पोद्दार कोरोमंडल एक्सप्रेस से तमिलनाडु जा रहे थे, तभी यह दुर्घटना हुई।
उन्होंने कहा, ”हमें झटका लगा और अचानक हमने ट्रेन के डिब्बे को एक तरफ मुड़ते देखा। ट्रेन इतनी तेजी से पटरी से उतरी कि हममें से कई लोग डिब्बे से बाहर गिर गए। हमने अपने चारों तरफ शव पड़े हुए देखे।”
स्थानीय लोग यात्रियों के चीखने की आवाजें सुनकर घटनास्थल की तरफ दौड़े और वहां पटरी से उतरे ट्रेन के डिब्बे देखे, जो ”स्टील के बिखरे हुए ढेर” की तरह लग रहे थे।
रूपम बनर्जी नाम की एक यात्री ने संवाददाताओं से कहा, ”स्थानीय लोग तुरंत हमारी मदद करने के लिए आए… उन्होंने न केवल लोगों को बाहर निकालने में मदद की, बल्कि हमारा सामान निकाला और हमें पानी पिलाया।”
यात्रियों ने बताया कि ट्रेन का एक डिब्बा दूसरी ट्रेन के डिब्बे पर चढ़ गया, जिसके कारण वह डिब्बा ”जमीन में धंसा गया।”