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22 दिसंबर, अंतरराष्ट्रीय डेस्क: अमेरिकी न्याय विभाग (US Department of Justice) एक बार फिर जेफरी एपस्टीन से जुड़ी फाइलों को लेकर विवादों में घिर गया है। एपस्टीन केस से जुड़े सार्वजनिक दस्तावेजों से पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तस्वीरें अचानक गायब होने के बाद अमेरिका की राजनीति और सोशल मीडिया में हलचल मच गई थी। भारी आलोचना और विरोध के बाद अब न्याय विभाग ने न केवल ये तस्वीरें दोबारा डेटाबेस में अपलोड कर दी हैं, बल्कि इन्हें हटाने की वजह भी स्पष्ट की है।

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, ‘एपस्टीन फाइल्स ट्रांसपेरेंसी एक्ट’ के तहत अमेरिकी न्याय विभाग ने हाल ही में जेफरी एपस्टीन से जुड़े कई दस्तावेज सार्वजनिक किए थे। इनमें कुछ तस्वीरें और रिकॉर्ड ऐसे भी थे, जिनमें डोनाल्ड ट्रंप की मौजूदगी दिखाई दे रही थी। लेकिन कुछ ही समय बाद ट्रंप से जुड़ी तस्वीरें वेबसाइट से हटा दी गईं, जबकि अन्य सार्वजनिक हस्तियों से संबंधित सामग्री यथावत बनी रही।

इस कदम को लेकर विपक्षी नेताओं, मानवाधिकार संगठनों और सोशल मीडिया यूजर्स ने सवाल उठाए। आरोप लगाए गए कि न्याय विभाग राजनीतिक दबाव में काम कर रहा है और तथ्यों को छिपाने की कोशिश की जा रही है।

न्याय विभाग की सफाई

विवाद बढ़ने के बाद अमेरिकी न्याय विभाग ने बयान जारी कर कहा कि ट्रंप की तस्वीरों को जानबूझकर नहीं हटाया गया था। विभाग के मुताबिक, “डेटाबेस अपडेट और तकनीकी समीक्षा के दौरान कुछ फाइलें अस्थायी रूप से ऑफलाइन हो गई थीं। इसका किसी व्यक्ति विशेष को बचाने या जानकारी छिपाने से कोई संबंध नहीं है।”

न्याय विभाग ने यह भी स्पष्ट किया कि सभी प्रासंगिक दस्तावेजों को दोबारा जांच के बाद सार्वजनिक कर दिया गया है और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए आगे भी नियमित अपडेट किए जाएंगे।

राजनीतिक असर और प्रतिक्रियाएं

हालांकि सफाई के बावजूद यह मामला राजनीतिक रंग ले चुका है। ट्रंप समर्थकों का कहना है कि पूर्व राष्ट्रपति को बदनाम करने के लिए उनका नाम बार-बार उछाला जा रहा है, जबकि विरोधियों का आरोप है कि शक्तिशाली लोगों को बचाने की कोशिश की जा रही है।

विशेषज्ञों का मानना है कि एपस्टीन केस से जुड़े दस्तावेज आने वाले समय में अमेरिकी राजनीति में और उथल-पुथल मचा सकते हैं, खासकर ऐसे दौर में जब राष्ट्रपति चुनाव नजदीक हैं।

ट्रंप की तस्वीरों का हटना और फिर दोबारा सामने आना यह दिखाता है कि एपस्टीन फाइल्स सिर्फ कानूनी नहीं, बल्कि राजनीतिक और नैतिक बहस का भी बड़ा मुद्दा बन चुकी हैं। अब सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि आने वाले दिनों में और कौन-कौन से नाम और तथ्य सामने आते हैं।

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