इंदौर (मध्यप्रदेश), 02 फरवरी: स्विट्जरलैंड स्थित रामसर कन्वेंशन की महासचिव मुसोंडा मुंबा ने शुक्रवार को कहा कि आर्द्र भूमियों को बचाकर जैव विविधता के संरक्षण के मामले में दुनिया भारत से बहुत कुछ सीख सकती है।
मुंबा ने विश्व आर्द्रभूमि दिवस पर इंदौर के सिरपुर तालाब के किनारे आयोजित कार्यक्रम में कहा,”आर्द्र भूमियों को बचाकर जैव विविधता संरक्षण के लिए भारत में काफी काम हो रहा है। दुनिया भारत से इस मामले में बहुत कुछ सीख सकती है।”
उन्होंने भारत के लोगों से अपील की कि वे आर्द्र भूमियों के संरक्षण की कहानियों को दुनिया से साझा करें।
भारत में अधिसूचित रामसर स्थलों की तादाद हाल ही में 75 से बढ़कर 80 होने के लिए मुंबा ने केंद्र सरकार को बधाई दी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व की सराहना की।
उन्होंने कहा,”भारत सरकार 1982 में रामसर कन्वेंशन से जुड़ी थी। शुरुआत में भारत में राजस्थान के केवलादेव (राष्ट्रीय उद्यान) और उड़ीसा की चिल्का झील के रूप में केवल दो रामसर स्थल अधिसूचित थे। आज देश में ऐसे स्थलों की तादाद बढ़कर 80 पर पहुंच गई है।”
मुंबा ने विस्तृत जानकारी दिए बगैर कहा,”हमारे पास भारत के लिए एक तोहफा है। इसके खुलासे के लिए हमें थोड़ा वक्त दीजिए।”
उन्होंने ”आर्द्र भूमियां और मानवीय कुशल-क्षेम” विषय पर आधारित कार्यक्रम में कहा कि वह पहली बार भारत आई हैं और जल स्त्रोतों के संरक्षण को लेकर देश के इतिहास के बारे में जानकर चमत्कृत हो गई हैं।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कार्यक्रम में कहा कि मौजूदा दौर में नदियों, झीलों और तालाबों जैसे जल स्त्रोतों को बचाए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि मनुष्य की जीवन शैली में बदलाव और गंदा पानी बहाए जाने के चलते जल स्रोत प्रदूषित हो रहे हैं जिससे पारिस्थितिकी तंत्र और जीव-जंतुओं पर बुरा असर पड़ रहा है।
मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताई कि केंद्र सरकार इंदौर को जल्द ही आर्द्र भूमि वाले शहर का दर्जा देगी।
कार्यक्रम में संबोधन के दौरान यादव की जुबान फिसल गई और उन्होंने जगदीशचंद्र बोस के बजाय हरगोविंद खुराना को पौधों में जान होने की बात प्रयोग के जरिये साबित करने वाला वैज्ञानिक बता दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा,”पौधों में प्राण बताने के लिए लंदन में रॉयल सोसायटी ने खुराना को नोबेल पुरस्कार दिया था।”
अधिकारियों ने बताया कि मध्यप्रदेश में फिलहाल इंदौर के सिरपुर समेत चार रामसर स्थल हैं और तवा जलाशय को भी रामसर स्थल के रूप में अधिसूचित करने का प्रस्ताव दिया गया है।