बिहार/ सारण: छपरा विधानसभा सीट से चुनाव हारने के बाद भोजपुरी सुपरस्टार और प्रत्याशी खेसारी लाल यादव का एक बयान एक बार फिर राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है। हार के बाद मीडिया से बातचीत में खेसारी ने कहा, “मैं आदमी से जीत सकता हूं, लेकिन मशीन से नहीं।” उनके इस बयान को लेकर सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक मंचों तक बहस तेज हो गई है।

खेसारी लाल यादव ने स्पष्ट किया कि उनका राजनीति में आने का कोई पूर्व नियोजित इरादा नहीं था। उन्होंने कहा कि परिस्थितियां ऐसी बनीं कि उन्हें चुनावी मैदान में उतरना पड़ा। इस दौरान उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि चुनाव ने उन्हें बहुत कुछ सिखाया—खासकर यह कि कौन अपना है और कौन पराया।

‘चुनाव ने पहचान करा दी’

खेसारी ने कहा कि चुनाव के दौरान उन्हें कई तरह के अनुभव हुए। कुछ लोग जो शुरुआत में साथ नजर आ रहे थे, वे वक्त आने पर पीछे हट गए, जबकि कुछ ऐसे लोग भी सामने आए जिन्होंने बिना किसी स्वार्थ के उनका साथ दिया। उन्होंने कहा,

“यह चुनाव मेरे लिए सिर्फ हार-जीत का सवाल नहीं था, बल्कि रिश्तों और भरोसे की परीक्षा भी थी।”

ईवीएम पर इशारों में सवाल

अपने बयान में खेसारी ने भले ही सीधे तौर पर ईवीएम पर आरोप न लगाया हो, लेकिन ‘मशीन से नहीं जीत सकता’ कहकर उन्होंने चुनावी प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए। उनके समर्थकों का कहना है कि खेसारी को जनता का समर्थन मिला, लेकिन परिणाम उनके पक्ष में नहीं गया। वहीं, विपक्षी दल इस बयान को हार की हताशा बता रहे हैं।

राजनीति को लेकर आगे क्या?

भविष्य की राजनीति को लेकर पूछे गए सवाल पर खेसारी लाल यादव ने फिलहाल कोई ठोस ऐलान नहीं किया। उन्होंने कहा कि वह जनता के बीच रहेंगे और अपने काम के जरिए लोगों से जुड़े रहेंगे।

“राजनीति में रहना है या नहीं, यह वक्त बताएगा। अभी मैं अपनी जनता और अपने काम पर ध्यान दूंगा,” उन्होंने कहा।

सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं

खेसारी का यह बयान सामने आते ही सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। समर्थक जहां इसे सिस्टम पर सवाल उठाने वाला साहसिक बयान बता रहे हैं, वहीं आलोचक इसे चुनावी हार का बहाना करार दे रहे हैं।

कुल मिलाकर, चुनाव हारने के बाद खेसारी लाल यादव का यह बयान न सिर्फ चर्चा में है, बल्कि आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति में नई बहस को भी जन्म दे सकता है।

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