नई दिल्ली, 08 अगस्त : कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने मंगलवार को लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा, यह प्रस्ताव संख्या के लिए नहीं बल्कि मणिपुर के न्याय के बारे में है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद में न बोलने का मौन व्रत रखे हुए हैं।
प्रस्ताव पर चर्चा की शुरुआत करते हुए गोगोई ने कहा, इंडिया अलायंस के अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकार करने के लिए हम लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को धन्यवाद देते हैं। जब आपने पूछा कि कौन लोग इंडिया अलायंस (आई.एन.डी.आई.ए. गठबंधन) के समर्थन में हैं, तो मैं इसका समर्थन करने के लिए सभी को धन्यवाद देता हूं।
गोगोई ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव लाना हमारी मजबूरी है। यह संख्या के बारे में नहीं बल्कि मणिपुर के लोगों और मणिपुर के न्याय के लिए था। मणिपुर न्याय मांग रहा है। मणिपुर की महिलाएं, बेटियां, युवा और लोग न्याय मांग रहे हैं। यहां तक कि मार्टिन लूथर किंग ने भी कहा है कि कहीं भी अन्याय, हर जगह न्याय के लिए खतरा है।
गोगोई ने बताया कि ऐसा कहीं नहीं हो रहा है, यह भारत में हो रहा है। अगर मणिपुर जल रहा है तो ये भारत में हो रहा है, अगर मणिपुर का बंटवारा हुआ है तो ये भारत का बंटवारा हुआ है। हम सिर्फ मणिपुर की नहीं बल्कि भारत की बात कर रहे हैं।
उन्होंने आगे कहा कि हमारी एकमात्र मांग यह थी कि प्रधानमंत्री को संसद में आगे आना चाहिए। फिर सभी दल उनका समर्थन करेंगे और मणिपुर को संदेश देंगे कि हर कोई उनके साथ है और वहां शांति एवं सामान्य स्थिति लौट आएगी।
इसके बाद कांग्रेस सांसद ने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा, प्रधानमंत्री ने संसद में न बोलने का मौन व्रत रख रखा है। इसलिए, हमें उनकी चुप्पी तोड़ने के लिए अविश्वास प्रस्ताव लाना पड़ा।
कांग्रेस सांसद ने कहा कि हमारे पास प्रधानमंत्री से तीन सवाल हैं। पहला- उन्होंने आज तक मणिपुर का दौरा क्यों नहीं किया, आखिरकार मणिपुर पर बोलने में उन्हें लगभग 80 दिन क्यों लग गए और जब उन्होंने बात की तो वह सिर्फ 30 सेकंड के लिए थी, मुख्यमंत्री (एन बीरेन सिंह) को अब तक बर्खास्त क्यों नहीं किया गया।
उन्होंने यह भी कहा कि राहुल गांधी मणिपुर गए, इंडिया गठबंधन के सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल ने मणिपुर का दौरा किया और यहां तक कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी पूर्वोत्तर राज्य का दौरा किया।
मणिपुर हिंसा को लेकर इंडिया गठबंधन ने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है। मणिपुर में हिंसा 3 मई को भड़की थी और तब से अब तक सैकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि हजारों लोगों को राहत शिविरों में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है।