नई दिल्ली, 18 जून: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने विभिन्न सेवाओं के परिवीक्षाधीन अधिकारियों से कहा है कि सार्वजनिक सेवा की चुनौतियों का सामना करते हुए उन्हें ध्यान रखना चाहिए कि उनके निर्णयों और कार्यों में लोगों का जीवन बदलने की शक्ति है। श्रीमती मुर्मु ने बुधवार को यहां राष्ट्रपति भवन में भारतीय कॉरपोरेट लॉ सर्विस, रक्षा वैमानिकी गुणवत्ता आश्वासन सेवा और केंद्रीय श्रम सेवा के परिवीक्षाधीन अधिकारियों से मुलाकात की।

राष्ट्रपति ने अधिकारियों से कहा कि उनकी उपलब्धि उनके दृढ़ संकल्प और दृढ़ता का प्रतिबिंब है। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि उन्हें सार्वजनिक सेवा की चुनौतियों का सामना करते हुए याद रखना चाहिए कि उनके निर्णयों और कार्यों में लोगों के जीवन को बदलने की शक्ति है। उन्होंने उम्मीद जतायी कि अधिकारी अपने-अपने क्षेत्रों में सुशासन, पारदर्शिता और जवाबदेही के पथप्रदर्शक होंगे।

भारतीय कॉरपोरेट लॉ सर्विस के अधिकारियों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि कॉरपोरेट क्षेत्र देश की आर्थिक वृद्धि और विकास का प्रमुख स्तंभ है। कॉरपोरेट कानूनों के कार्यान्वयन और प्रवर्तन का दायित्व संभालने वाले अधिकारियों के रूप में, कॉरपोरेट लॉ सर्विस के अधिकारियों की भूमिका एक ऐसा कारोबारी माहौल बनाने में महत्वपूर्ण होगी जो पारदर्शी, जवाबदेह और नवाचार तथा उद्यमिता के लिए अनुकूल हो।

श्रीमती मुर्मु ने केंद्रीय श्रम सेवा के अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि उनकी भूमिका महत्वपूर्ण और बहुआयामी दोनों हैं। एक ओर वे कानून के संरक्षक हैं जिनका काम श्रमिकों के अधिकारों और सम्मान की रक्षा करने वाले श्रम कानूनों का पालन सुनिश्चित करना है, दूसरी ओर वे सामाजिक न्याय के लिए दयालु मध्यस्थ और अधिवक्ता के रूप में कार्य करते हैं। उन्होंने कहा कि अधिकारियों का काम नियोक्ताओं और कर्मचारियों के बीच जटिल संबंधों में संतुलन ला सकता है।

रक्षा वैमानिकी गुणवत्ता आश्वासन सेवा के अधिकारियों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि सैन्य विमानन में गुणवत्ता का मतलब केवल तकनीकी निर्देशों को पूरा करना नहीं है। यह परिचालन सुरक्षा, मिशन की तैयारी, विश्वसनीयता और रणनीतिक श्रेष्ठता सुनिश्चित करने के बारे में भी है। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करना उनकी प्रमुख जिम्मेदारी है कि सभी सैन्य विमानन स्टोर, चाहे स्वदेशी हों या आयातित, उच्चतम वैश्विक मानकों के बराबर कठोर गुणवत्ता और उड़ान योग्यता आवश्यकताओं को पूरा करते हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के लिए न केवल सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को मजबूत करने की आवश्यकता है, बल्कि निजी क्षेत्र की सक्रिय रूप से मदद करने और सक्षम बनाने की भी जरूरत है। उन्होंने कहा कि भारत नीतियों और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के माध्यम से निजी उद्यमों को रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र में शामिल कर स्वदेशीकरण के प्रयासों में तेजी ला सकता है और खुद को वैश्विक रक्षा विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित कर सकता है।

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