बेगूसराय, 15 जुलाई : बिहार के बेगूसराय जिले में यूट्यूबर और पत्रकार अजीत अंजुम के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। उन पर सरकारी काम में बाधा डालने और बिना अनुमति सरकारी दफ्तर में घुसने का आरोप है। यह मामला बलिया थाना में दर्ज हुआ है। एफआईआर भाग संख्या 16, साहेबपुर कमाल विधानसभा क्षेत्र के बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) मो. अंसारुल हक ने दर्ज करवाई है। बीएलओ ने बताया कि 12 जुलाई की सुबह करीब 9:30 बजे वे बलिया प्रखंड सभागार में बीएलओ एप से वोटर लिस्ट की जानकारी अपलोड कर रहे थे। उसी दौरान अजीत अंजुम, उनके सहयोगी और कैमरामैन बिना अनुमति अंदर घुस आए और सवाल-जवाब करने लगे।
उन्होंने बीएलओ से पूछा कि बूथ पर कितने मतदाता हैं, फार्म कितनों को दिया गया, कितनों से वापस लिया गया, मुस्लिम मतदाताओं की संख्या कितनी है और कितनों ने फार्म के साथ दस्तावेज जमा किए हैं। बीएलओ ने बताया कि उनके बूथ पर 1020 मतदाता हैं और सभी से फार्म लेकर अपलोड किया जा चुका है। बीएलओ के अनुसार, अजीत अंजुम बार-बार इस बात पर ज़ोर दे रहे थे कि मुस्लिम मतदाताओं को परेशान किया जा रहा है, जबकि बीएलओ का कहना है कि यह पूरी तरह गलत आरोप है। बीएलओ ने यह भी बताया कि अजीत अंजुम और उनकी टीम करीब एक घंटे तक वहां मौजूद रही, जिससे सरकारी कामकाज में काफी परेशानी हुई। इस घटना के बाद अजीत अंजुम और उनके सहयोगियों के खिलाफ सरकारी काम में बाधा डालने और सांप्रदायिक तनाव फैलाने के आरोप में एफआईआर दर्ज कर ली गई है।
आसान भाषा में समझें पूरा मामला
देश के जाने-माने पत्रकार और यूट्यूबर अजीत अंजुम ने अपने यूट्यूब चैनल पर मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान से जुड़ी एक रिपोर्टिंग की और उसे अपने चैनल पर अपलोड किया। इसी वीडियो को लेकर बेगूसराय जिला प्रशासन ने आपत्ति जताई है और एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की है, जिसमें अजीत अंजुम पर झूठी और भ्रामक जानकारी फैलाने का आरोप लगाया गया है। प्रशासन का कहना है कि बलिया अनुमंडल में चल रहे वोटर लिस्ट सुधार कार्य के दौरान अजीत अंजुम ने बिना अनुमति सरकारी दफ्तर में जाकर वीडियो बनाया और इसे यूट्यूब चैनल पर प्रसारित कर दिया। इस वीडियो में कुछ गलत जानकारियां दी गई हैं, जिससे समाज में भ्रम और तनाव फैल सकता है।
इस वीडियो की पड़ताल जब एक अखबार के पत्रकार ने की, तो कुछ अहम बातें सामने आईं। वीडियो में दिखता है कि अजीत अंजुम बलिया अनुमंडल कार्यालय पहुंचते हैं और वहां कैंपस में रिपोर्टिंग करते हैं। फिर वह एक कार्यालय कक्ष में प्रवेश करते हैं, जहां कुछ महिला कर्मचारी वोटर लिस्ट से जुड़े काम कर रही होती हैं। अजीत अंजुम वहां रखे कागजों को पलटकर देखते हैं और कर्मचारियों से सवाल-जवाब करते हैं। वीडियो में यह भी दिख रहा है कि वे बीएलओ और अन्य अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं। अब इस पूरे मामले को लेकर बेगूसराय में राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है। मंगलवार को नागरिक संवाद समिति के द्वारा विरोध मार्च निकालने की तैयारी की जा रही है। प्रशासन का मानना है कि अजीत अंजुम ने एक विशेष समुदाय को लेकर भ्रम फैलाने की कोशिश की है, जिससे सामाजिक सौहार्द बिगड़ सकता है।
जिला प्रशासन ने क्या कहा?
बेगूसराय जिला प्रशासन ने 13 जुलाई को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की जिसमें यूट्यूबर अजीत अंजुम पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने एक जाति विशेष को निशाना बनाकर झूठी बातें फैलाईं और लोगों को भ्रमित करने की कोशिश की। प्रशासन ने बताया कि 12 जुलाई की शाम 4 बजे अजीत अंजुम ने अपने यूट्यूब चैनल पर 45 मिनट 39 सेकंड का एक वीडियो अपलोड किया। इस वीडियो में वे अपने कैमरामैन के साथ बलिया प्रखंड सभागार में चल रहे वोटर लिस्ट सुधार कार्य का वीडियो बना रहे हैं, जो बिना अनुमति के किया गया।
प्रशासन का कहना है कि इस वीडियो में एक खास वर्ग के लोगों को लेकर ऐसे सवाल उठाए गए हैं, जिससे समाज में भेदभाव और तनाव फैल सकता है। वीडियो में कुछ निजी और संवेदनशील दस्तावेजों को भी दिखाया गया है। प्रशासन ने चेतावनी दी कि अगर इस वीडियो के कारण इलाके में कोई अप्रिय घटना होती है, तो इसकी पूरी जिम्मेदारी अजीत अंजुम और उनके साथियों की होगी। प्रेस विज्ञप्ति में प्रशासन ने यह भी कहा कि अजीत अंजुम का यह कृत्य सरकारी काम में बाधा डालने वाला, गैरजिम्मेदार और अनुचित है। इससे धार्मिक तनाव भी फैल सकता है।
प्रशासन ने यह साफ किया कि साहेबपुर कमाल विधानसभा क्षेत्र (145) में वोटर लिस्ट सुधार कार्य शांतिपूर्वक और अच्छे माहौल में चल रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि जिस मतदान केंद्र के कागजात अजीत अंजुम ने वीडियो में दिखाए, वहां कुल 1104 वोटर हैं, जिनमें 1098 हिन्दू और 6 मुस्लिम हैं। अब तक वहां से 980 फॉर्म वापस लिए जा चुके हैं, और 715 फॉर्म अपलोड भी हो चुके हैं। पूरे विधानसभा क्षेत्र में 2,76,904 मतदाता हैं, जिनमें से 2,18,000 योग्य मतदाताओं के फॉर्म भरे और वापस लिए जा चुके हैं। इनमें से 2,01,897 फॉर्म यानी 72% पहले ही अपलोड किए जा चुके हैं। यह काम चुनाव आयोग के निर्देशों के अनुसार पूरी गंभीरता से और समय पर किया जा रहा है।