नई दिल्ली, 08 फरवरी: आम आदमी पार्टी (आप) के मुखिया और दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल ने विधानसभा चुनाव में अपनी हार स्वीकार कर ली है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वह रचनात्मक विपक्ष की भूमिका निभाएंगे। अरविंद केजरीवाल ने ना सिर्फ जनता के फैसले को स्वीकार किया बल्कि बड़ा दिल दिखाते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को जीत की बधाई दी। हालांकि, अरविंद केजरीवाल के चेहरे पर हार की मायूसी साफ नजर आ रही थी।
प्रचार दौरान कई बार चुनाव आयोग पर सवाल उठा चुके अरविंद केजरीवाल ने मतदान से ठीक पहले ईवीएम में गड़बड़ी की आशंका भी जाहिर की थी, लेकिन नतीजों के बाद उन्होंने किसी तरह का प्रश्नचिह्न लगाने की बजाय जनादेश को स्वीकार किया। केजरीवाल ने एक वीडियो संदेश में कहा, ‘आज दिल्ली चुनाव के नतीजे आए हैं। जनता का जो भी फैसला है उसे हम पूरी विनम्रता के साथ स्वीकार करते हैं। जनता का निर्णय सिर माथे पर।’
भाजपा पर तीखे शब्दबाण चलाते रहे अरविंद केजरीवाल ने भगवा पार्टी को उसकी जीत पर बधाई दी और उम्मीद जाहिर की कि वह उन वादों को पूरा करेगी जो करके सत्ता में आई है। केजरीवाल ने कहा, ‘मैं भारतीय जनता पार्टी को इस जीत के लिए बहुत बहुत बधाई देता हूं। मैं उम्मीद करता हूं कि जिस आशा के साथ लोगों ने बहुमत दिया है वो उनपर पूरा उतरेंगे।’
अरविंद केजरीवाल ने एक बार फिर अपनी सरकार के दौरान हुए कामकाज की तारीफ की। उन्होंने कहा, ‘हमने पिछले 10 साल में जनता ने जो मौका दिया उसमें बहुत काम किए। शिक्षा के क्षेत्र में, स्वास्थ्य के क्षेत्र में, पानी, बिजली और अलग-अलग तरीके से लोगों को राहत पहुंचाने की कोशिश की। दिल्ली के इन्फ्रास्ट्रक्चर को भी सुधारने की कोशिश की।’ पूर्व सीएम ने कहा कि वह कि वह जनता के सुख दुख में काम आते रहेंगे। उन्होंने कहा, ‘हम समाज सेवा, जनता के सुख दुख में काम आएंगे। क्योंकि हम राजनीति में सत्ता के लिए नहीं आए, हम राजनीति को जरिया मानते हैं जिससे जनता की सेवा कर सकें। हमें आगे भी इस तरह जनता के सुख दुख में काम आना है।’
केजरीवाल ने हार से निराश आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं की भी तारीफ की और कहा कि उन्होंने बहुत मेनत की है। केजरीवाल ने कहा,’मैं आम आदमी पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं को बधाई देता हूं, वो बहुत शानदार चुनाव लड़ा। बहुत मेहनत की, बहुत कुछ सहा इस चुनाव के दौरान।’ लगातार तीन बार दिल्ली में सरकार बनाने वाली आम आदमी पार्टी इस बार करीब 2 दर्जन सीटों पर ही सिमट गई। भाजपा ने चार दर्जन से अधिक सीटों पर कमल खिलाकर 26 साल बाद वापसी की है।