आप भी जान लीजिए भगवान को नैवेद्य चढ़ाने के 12 खास नियम

देवताओं का नैवेद्य यानी देवी-देवताओं के निवेदन के लिए जिस भोज्य द्रव्य का प्रयोग किया जाता है, उसे नैवेद्य कहते है। उसे अन्य नाम जैसे भोग, प्रसाद, प्रसादी आदि भी कहा जाता है। यहां पाठकों के लिए प्रस्तुत है देवताओं को नैवेद्य अर्पित करने के कुछ नियम, जिन्हें अपना कर आप भगवान की कृपा प्राप्त कर सकते है। नैवेद्य चढ़ाने के नियम… -देवता को निवेदित करना ही नैवेद्य है। सभी प्रकार के प्रसाद में निम्न पदार्थ प्रमुख रूप से रखे जाते हैं-दूध-शकर, मिश्री, शकर-नारियल, गुड़-नारियल, फल, खीर, भोजन इत्यादि पदार्थ। -तैयार सभी व्यंजनों से थोड़ा-थोड़ा हिस्सा अग्निदेव को मंत्रोच्चार के साथ स्मरण कर समर्पित करें। अंत में देव आचमन के लिए मंत्रोच्चार से पुन: जल छिड़कें और हाथ जोड़कर नमन करें। -पीतल की थाली या केले के पत्ते पर ही नैवेद्य परोसा जाए। -प्रत्येक पकवान पर तुलसी का एक पत्ता रखा जाता है। -नैवेद्य की थाली तुरंत भगवान के आगे से हटाना नहीं चाहिए। -शिव जी के नैवेद्य में तुलसी की जगह बेल और गणेश जी के नैवेद्य में दूर्वा रखते हैं। -नैवेद्यआप भी जान लीजिए भगवान को नैवेद्य चढ़ाने के 12 खास नियमl देवता के दक्षिण भाग में रखना चाहिए। -कुछ ग्रंथों का मत है कि पक्व नैवेद्य देवता के बाईं तरफ तथा कच्चा दाहिनी तरफ रखना चाहिए। -भोग लगाने के लिए भोजन एवं जल पहले अग्नि के समक्ष रखें। फिर देवों का आह्वान करने के लिए जल छिड़कें। -नमक, मिर्च और तेल का प्रयोग नैवेद्य में नहीं किया जाता है। -नैवेद्य में नमक की जगह मिष्ठान्न रखे जाते हैं। -भोजन के अंत में भोग का यह अंश गाय, कुत्ते और कौए को दिया जाना चाहिए।

बागेश्वर धाम, को लेकर बिहार की राजनीति गर्म, बाबा बोले ‘हिंदू राष्ट्र की शुरुआत बिहार से होगी

पटना, 15 मई : बिहार में बागेश्वर धाम महराज उर्फ पंडित धीरेंद्र शास्त्री के आने से पहले से ही राज्य की राजनीति काफी गर्म है. बीते 13 मई को बागेश्वर धाम पटना के नौबतपुर में पांच दिवसीय ‘हनुमंत कथा’ के लिए पहुंचे, उसके बाद से आरोप-प्रत्यारोप और बढ़ गया है. सत्ताधारी पार्टी जहां इसे राजनीति से प्रेरित कार्यक्रम बता रही है और बागेश्वर धाम को बीजेपी के इशारे पर काम करने आरोप लगा रही है, वहीं विपक्षी पार्टी बीजेपी बागेश्वर धाम का खुलकर समर्थन कर रही है. हालांकि, सत्ताधारी दलों के नेता इस मुद्दे पर अधिक बोलने को तैयार नहीं है. बता दें कि बिहार की राजधानी पटना के नौबतपुर में बागेश्वर धाम का पांच दिवसीय ‘हनुमंत कथा’ का आयोजन किया गया है. राज्य बीजेपी शुरू से ही इसमें विशेष रुचि ले रही है. राज्य बीजेपी के अधिकतर नेताओं ने बागेश्वर धाम के बिहार आगमन का स्वागत किया था. बीजेपी सांसद मनोज तिवारी तो खुद एयरपोर्ट से गाड़ी ड्राइव कर उन्हें कथा स्थल तक ले गए. इसके अलावा सांसद और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, सांसद रामकृपाल यादव भी बागेश्वर धाम से मिलने पहुंचे. ‘नीतीश कुमार ने नहीं की कोई व्यवस्था’ बिहार बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि बिहार सरकार की ओर से बागेश्वर धाम के बिहार आगमन पर कोई व्यवस्था नहीं की गई. उन्होंने कहा, ‘सरकार चाहती है कि बाबा का यात्रा फेल हो जाए, इसलिए कोई सुरक्षा की व्यवस्था सरकार द्वारा नहीं की गई. नीतीश कुमार चाहते हैं कि कोई अप्रिय घटना घट जाए.’ कौन हैं धीरेंद्र शास्त्री? जहां बीजेपी नेता एक तरफ धीरेंद्र शास्त्री के स्वागत में लगे हैं वहीं कांग्रेस नेता अजीत शर्मा ने कहा कि धीरेंद्र शास्त्री कौन हैं वह नहीं जानते. जब उनसे बागेश्वर धाम के ‘हिंदू राष्ट्र’ को लेकर दिए गए बयान के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि क्या यह देश केवल हिंदुओं का है. उन्होंने कहा, ‘मैं भी हिंदू हूं. लेकिन इस देश को आजाद करवाने में सबने कुर्बानी दी है. यह देश सबका है.’ दरअसल अपने कथा के दौरान बागेश्वर धाम उर्फ धीरेंद्र शास्त्री ने कहा था कि भारत को ‘हिंदू राष्ट्र’ बनाने की शुरुआत बिहार से की जाएगी. ‘राम पर भरोसा कम हो गया है’ धीरेंद्र शास्त्री को लेकर चल रहे विवाद पर प्रशांत किशोर ने बीजेपी पर तंज कसते हुए कहा कि ‘बीजेपी को अब राम पर भरोसा कम हो गया है तो अब शास्त्री जी पर भरोसा कर के चलेंगे’. उन्होंने कहा, ‘बीजेपी पहले हर जगह राम भगवान की तस्वीर लगाती थी, अब शास्त्री जी की तस्वीर लगा रही है. यह दिखाता है भीतर ही भीतर बदलाव हो रहा है. अब उनका रामजी पर भरोसा कम हो गया है इसलिए अब शास्त्री जी पर भरोसा कर आगे बढ़ेंगे. यह उनकी मानसिकता को दिखाता है. अयोध्या में मंदिर बन रहा है लेकिन उनकी तस्वीर नहीं लगा रहे हैं.’ हुआ था भव्य स्वागत, कथा में पहुंच रहे लाखों लोग बागेश्वर धाम जब बिहार पहुंचे तो हजारों की संख्या में भीड़ ने उनका भव्य स्वागत किया था. मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा था कि ‘बिहार हमारी आत्मा है’. जब उनसे पूछा गया कि बिहार आने पर हिंदू-मुस्लिम होने का खतरा है तो उन्होंने कहा, ‘हम हिंदू-हिंदू करते हैं. मैं तो हिंदुओं को जोड़ने आया हूं’ कल उनकी सभा में भीड़ बढ़ने के बाद अफरा-तफरी का माहौल बन गया था जिसके बाद कथा को जल्दी समाप्त करना पड़ा था. हालात खराब होने के बाद पुलिस ने लाठीचार्ज भी किया था.

आपकी कुंडली में किस ग्रह की क्या स्थिति है, कौन से ग्रह हैं कमजोर ? -जाने

कुछ सामान्य बातें हैं, जिनका ध्यान रखा जाए तो अंदाज लगाया जा सकता है कि आपकी कुंडली में किस ग्रह की क्या स्थिति है। फिर उनके लिए उपाय भी किया जा सकता है। उदाहरण के लिए व्यक्ति की कुंडली में राहु जहां भी होगा, वहां उस भाव से सरोकार रखने वाली चीजें और स्थितियां असुरक्षित होंगी। राहु से सातवें स्थान पर रहने वाला केतु जिस भाव में होता है, उस विशेषताओं से जातक खुद को अलग करना चाहता है। कुंडली में सूर्य की कमजोर स्थिति आत्म-विश्वास को कमजोर करती है। व्यक्तिे छोटी छोटी बातों में घबराता है। कमजोर चंद्रमा निर्णय को लेने में रुकावट खड़ी करता है। छोटी-छोटी मामूली बातें भी जातक को बुरी तरह परेशान कर देती है। निर्णय लेते समय भूल भटक जाने की स्थिति कमजोर मंगल की ओर संकेत करती है। क्रोध में अच्छे बुरे का ख्याल नहीं रहना भी मंगल के प्रतिककूलता का प्रभाव होता है। भाई-बहनों से बिगड़े हुए संबंध, त्वचा की परेशानी का होना, निर्णय लेते वक्त कई तरह के मुसीबतों का आना आपके आदि आपके बुध के बुरे हाल की तरफ इशारा करता है। अच्छे सलाहकार का अभाव, पिता अथवा पिता-तुल्य लोगों से मार्ग-दर्शन का न मिलना कमजोर गुरु की तरफ इशारा करता है। भौतिकदृसुखों में बार-बार बाधा का आना, राग और प्रेम में विफलता शुक्र का पीड़ित बताती है। शनि का नाम भय और आतंक के साथ लिया जाता है। लेकिन यह एक अनुशासित ग्रह है तथा हमारे कर्मों का फल निश्चित और यथाशीघ्र देता भी है। यदि कोई व्यक्ति अपने किए हुए वायदों पर खरा नहीं उतरता है, अपने सेवकों से संबंध ठीक नहीं हैं तो अर्थ है कि शनि कमजोर स्थिति में बैठा है। ग्रहों की स्थिति जानकर अगर हम अपेक्षित दिशा में लगातार सकारात्मक प्रयास करते रहे तो जो भी होगा वह शुभ ही होगा।