तियानजिन/नई दिल्ली, 01 सितंबर: पीएम मोदी ने सोमवार को चीन के तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक को संबोधित किया। अपने संबोधन में पीएम मोदी ने आतंकवाद के मुद्दे पर दुनिया को भारत के रुख से अवगत कराया। इसके साथ ही पीएम मोदी ने आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले देशों को भी निशाने पर लिया। पीएम मोदी ने कहा कि हमें स्पष्ट और सर्वसम्मति से कहना होगा कि आतंकवाद पर कोई भी दोहरा मापदंड स्वीकार्य नहीं है। मानवता में विश्वास को खुली चुनौती प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान पहलगाम हमले का भी जिक्र किया। पीएम मोदी ने कहा कि भारत पिछले चार दशकों से आतंकवाद का दंश झेल रहा है। हाल ही में, हमने पहलगाम में आतंकवाद का सबसे बुरा रूप देखा। मैं उस मित्र देश के प्रति आभार व्यक्त करता हूं जो दुःख की इस घड़ी में हमारे साथ खड़ा रहा। उन्होंने कहा कि यह हमला मानवता में विश्वास रखने वाले हर देश और व्यक्ति के लिए एक खुली चुनौती थी। सुरक्षा, शांति और स्थिरता किसी भी राष्ट्र की प्रगति और विकास की नींव होते हैं। हालांकि, इन लक्ष्यों की प्राप्ति अकसर आतंकवाद और अलगाववाद जैसी गंभीर चुनौतियों के कारण बाधित होती है। आतंकवाद, विशेष रूप से, केवल व्यक्तिगत राष्ट्रों की सुरक्षा के लिए ही नहीं, बल्कि समग्र मानवता के लिए एक गंभीर चुनौती है। पहलगाम हमला मानवता में विश्वास रखने वाले हर देश और व्यक्ति को खुली चुनौती थी। ऐसे में प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि क्या कुछ देशों द्वारा आतंकवाद को खुला समर्थन हमें स्वीकार्य हो सकता है। हमें स्पष्ट रूप से और एक स्वर में कहना होगा कि आतंकवाद पर कोई भी दोहरा मापदंड स्वीकार्य नहीं होंगे। पीएम मोदी, एससीओ समिट में स्पीच के दौरान ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या कुछ देशों द्वारा आतंकवाद का खुला समर्थन हमें स्वीकार्य हो सकता है। हमें हर रूप और रंग के आतंकवाद का सर्वसम्मति से विरोध करना होगा। मानवता के प्रति यह हमारा कर्तव्य है। पीएम मोदी ने कहा कि इस वर्ष, भारत ने संयुक्त सूचना अभियानों में अग्रणी भूमिका निभाई है। आतंकवादी संगठनों से निपटने के लिए पहल की है और आतंकवाद के वित्तपोषण के विरुद्ध आवाज उठाई है। इस संबंध में दिए गए समर्थन के लिए मैं आभार व्यक्त करता हूं। संप्रभुता के साथ कनेक्टिविटी पर जोर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के तियानजिन में शंघाई सहयोग परिषद (एससीओ) के सदस्यों के सत्र में कहा कि संप्रभुता को दरकिनार करने वाली कनेक्टिविटी विश्वास और अर्थ खो देती है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत का हमेशा से मानना रहा है कि मजबूत कनेक्टिविटी न केवल व्यापार को बढ़ावा देती है, बल्कि विकास और विश्वास के द्वार भी खोलती है। उन्होंने कहा कि इसी को ध्यान में रखते हुए, हम चाबहार बंदरगाह और अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे जैसी पहलों पर काम कर रहे हैं। इससे हमें अफगानिस्तान और मध्य एशिया के साथ कनेक्टिविटी बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।
कांग्रेस ने रचा ‘भगवा आतंकवाद’ का षड्यंत्र : देवेंद्र फडणवीस
नागपुर, 01 अगस्त : महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शुक्रवार को नागपुर में बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस ने वोट बैंक की राजनीति के तहत ‘भगवा आतंकवाद’ का षड्यंत्र रचा था। उन्होंने कहा कि इसके माध्यम से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (रा.स्व.संघ) और अन्य हिंदू संगठनों को झूठे मामलों में फंसाने की कोशिश की गई थी। मुख्यमंत्री फडणवीस ने आज नागपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में मीडिया से बातचीत में कहा कि मालेगांव में वर्ष 2008 में हुए बम विस्फोट के बाद कांग्रेस सरकार ने एक सोची-समझी साजिश के तहत ‘भगवा आतंकवाद’ शब्द गढ़ा था। उस समय पूरी दुनिया में इस्लामी आतंकवाद पर चर्चा हो रही थी। इसी पृष्ठभूमि में कांग्रेस ने एक विशेष वोट बैंक को ध्यान में रखकर हिंदू आतंकवाद का झूठा नैरेटिव तैयार किया। उन्होंने आरोप लगाया कि इसके लिए झूठी थ्योरी बनाई गई और कई लोगों को गलत तरीके से गिरफ्तार किया गया। यह पूरा षड्यंत्र रा.स्व.संघ के पदाधिकारियों को निशाना बनाने के लिए रचा गया था। हालांकि, सरकार लाख कोशिशों के बावजूद कोई भी ठोस सबूत जुटाने में नाकाम रही। मुख्यमंत्री ने कहा, “अब धीरे-धीरे सच्चाई सामने आ रही है। आने वाले समय में और भी गंभीर तथ्य उजागर होंगे। उस समय की कांग्रेस सरकार ने पुलिस अधिकारियों पर दबाव बनाकर कार्रवाई के लिए अलिखित निर्देश दिए थे, जबकि कई अधिकारियों ने इस दबाव का विरोध किया।” उन्होंने कहा कि विभिन्न आतंकी घटनाओं की कड़ियां पाकिस्तान से जुड़ती थीं, जिससे दुनिया में इस्लामिक आतंकवाद का नैरेटिव बना। लेकिन इसका मतलब यह नहीं था कि पूरे मुस्लिम समुदाय को आतंकी ठहराया गया। इसके विपरीत, कांग्रेस और यूपीए सरकार ने पूरे हिंदू समाज को बदनाम करने की साजिश रची थी। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण पर भी निशाना साधा। उन्होंने सवाल किया, “जब उनके नेतृत्व वाली सरकार ने ‘भगवा आतंकवाद’ शब्द गढ़ा, तब क्या उन्हें छत्रपति शिवाजी महाराज का भगवा ध्वज याद नहीं आया?” राजनीतिक घटनाक्रम पर राज्य की ताजा राजनीतिक हलचल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि कोकाटे प्रकरण के बाद जनता में असंतोष था। इस विषय पर उपमुख्यमंत्री अजित पंवार और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ चर्चा कर कोकाटे के विभाग में बदलाव का निर्णय लिया गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि फिलहाल मंत्रिमंडल में किसी अन्य बदलाव की संभावना नहीं है। “हम जनता की सेवा के लिए आए हैं। मंत्रिमंडल में अनुशासन जरूरी है। यदि कोई मंत्री ठीक आचरण नहीं करता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी,” ऐसा कड़ा संदेश भी मुख्यमंत्री ने दिया।
मोदी से मिले साय, छत्तीसगढ़ के विकास को मिली नई रफ्तार
नई दिल्ली/रायपुर, 01 अगस्त: मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने आज संसद भवन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से सौजन्य भेंट की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री साय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 1 नवंबर 2025 को रायपुर में आयोजित अमृत रजत महोत्सव में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होने हेतु आमंत्रित किया। साथ ही मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को राज्य सरकार की भावी योजनाओं, विकास की प्राथमिकताओं और जनकल्याण से जुड़े प्रमुख विषयों की जानकारी भी दी। उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में राज्य गठन की 25वीं वर्षगांठ अमृत रजत जयंती वर्ष के रूप में मनाई जा रही है। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि यह आयोजन छत्तीसगढ़ के लिए ऐतिहासिक होगा और प्रधानमंत्री की गरिमामयी उपस्थिति से इसकी महत्ता और भी बढ़ जाएगी। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ तेज़ी से प्रगति के पथ पर अग्रसर है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने ‘अंजोर विज़न @2047’ दस्तावेज़ तैयार किया है, जो विकसित भारत के लक्ष्य को दृष्टिगत रखते हुए छत्तीसगढ़ के समावेशी और सतत विकास की रूपरेखा प्रस्तुत करता है। यह विज़न दस्तावेज़ शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, उद्योग, नवाचार और पर्यावरण जैसे क्षेत्रों में सुधार और नवाचार-आधारित पहलों पर केंद्रित है। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को अवगत कराया कि छत्तीसगढ़ सरकार ने केंद्र सरकार के “जन विश्वास अधिनियम 2023” से प्रेरणा लेते हुए राज्य में “जन विश्वास विधेयक 2025” पारित किया है, जिससे न्याय प्रणाली में पारदर्शिता बढ़ी है और आम नागरिकों की पहुंच अधिक सुलभ एवं सहज बनी है। राजधानी नवा रायपुर के सुनियोजित और तीव्र विकास हेतु गठित छत्तीसगढ़ राज्य राजधानी क्षेत्र विकास प्राधिकरण की जानकारी भी मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से साझा की। उन्होंने बताया कि इस प्राधिकरण के माध्यम से राजधानी क्षेत्र को एक आधुनिक, स्मार्ट एवं तेज़ी से विकसित शहरी केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। मुख्यमंत्री श्री साय ने प्रधानमंत्री को राज्य में औद्योगिक निवेश और रोज़गार सृजन के क्षेत्र में हो रही उल्लेखनीय प्रगति की भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि वर्ष 2024 में लागू की गई नई औद्योगिक नीति 2024-30 के परिणामस्वरूप राज्य में निवेशकों की रुचि निरंतर बढ़ रही है। नीति के तहत सिंगल विंडो सिस्टम को लागू किया गया है, जिससे उद्योगों की स्थापना सरल, त्वरित और पारदर्शी बनी है। 1000 से अधिक व्यक्तियों को रोज़गार प्रदान करने वाले उद्योगों को विशेष प्रोत्साहन दिए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री श्री साय ने बताया कि नवंबर 2024 से जुलाई 2025 के बीच अब तक 84 कंपनियों से कुल 6.65 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि नवा रायपुर में देश की पहली सेमीकंडक्टर यूनिट की नींव रखी जा चुकी है, और एआई डेटा सेंटर का निर्माण कार्य भी प्रारंभ हो गया है। इसी प्रकार, टेक्सटाइल, फार्मा, रेडीमेड गारमेंट और आईटी सेवाओं को प्राथमिकता देते हुए छत्तीसगढ़ को तकनीकी और औद्योगिक हब के रूप में विकसित किया जा रहा है। राज्य की शिक्षा व्यवस्था पर चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार शालाओं और शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण के माध्यम से ग्रामीण और दूरस्थ अंचलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने हेतु प्रतिबद्ध है। आदिवासी क्षेत्रों में डिजिटल संसाधनों और प्रशिक्षित शिक्षकों के सहयोग से शिक्षा को तकनीक से जोड़ने की दिशा में निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को यह भी जानकारी दी कि राज्य सरकार मेडिसिटी और एडु सिटी जैसी दो नई महत्त्वाकांक्षी परियोजनाओं पर तेज़ी से कार्य कर रही है। रायपुर में विकसित की जा रही मेडिसिटी एक आधुनिक और उत्कृष्ट स्वास्थ्य केंद्र के रूप में उभर रही है, जिससे छत्तीसगढ़ को मेडिकल हब के रूप में पहचान प्राप्त होगी और व्यापक स्तर पर रोज़गार के अवसर उपलब्ध होंगे। मुख्यमंत्री श्री साय ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में चल रही पुनर्वास और विश्वास बहाली की योजनाओं का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की संवेदनशील और दूरदर्शी नीतियों के परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में नक्सली आत्मसमर्पण कर सामान्य जीवन की ओर लौटे हैं। इन क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य, संचार और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं का तीव्र विस्तार किया जा रहा है, जिससे आम नागरिकों में शासन के प्रति विश्वास सुदृढ़ हुआ है और वे विकास की मुख्यधारा से जुड़ने के लिए प्रेरित हो रहे हैं।
वाइस एडमिरल वात्सायन ने नौसेना उप प्रमुख का कार्यभार संभाला
नई दिल्ली, 01 अगस्त: वाइस एडमिरल संजय वात्सायन ने शुक्रवार को यहां नौसेना के 47 वें उप प्रमुख के रूप में कार्यभार संभाल लिया। इससे पहले वाइस एडमिरल ने यहां राष्ट्रीय युद्ध स्मारक जाकर राष्ट्र की सेवा में सर्वोच्च बलिदान देने वाले वीर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, पुणे के 71 वें कोर्स के पूर्व छात्र वाइस एडमिरल संजय वात्सायन को एक जनवरी 1988 को भारतीय नौसेना में कमीशन मिला था। वह गनरी और मिसाइल प्रणालियों के विशेषज्ञ हैं। उन्होंने तीन दशकों से भी अधिक लंबे विशिष्ट नौसैनिक करियर में विभिन्न प्रकार की कमान, संचालन और स्टाफ पदों की जिम्मेदारी संभाली। फ्लैग ऑफिसर ने समुद्र में अग्रिम पंक्ति के विभिन्न युद्धपोतों पर सेवा की जिनमें गाइडेड मिसाइल विध्वंसक आईएनएस मैसूर, आईएनएस निशंक के कमीशनिंग क्रू और तटरक्षक ओपीवी संग्राम के प्री-कमीशनिंग क्रू शामिल हैं। उन्होंने आईएनएस मैसूर के कार्यकारी अधिकारी के रूप में भी कार्य किया है। उन्होंने तटरक्षक जहाज सी-05, मिसाइल पोत आईएनएस विभूति और आईएनएस नाशक, मिसाइल कार्वेट आईएनएस कुठार और गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट आईएनएस सह्याद्री (कमीशनिंग कमांडिंग ऑफिसर) की कमान संभाली है। फरवरी 2020 में उन्होंने पूर्वी बेड़े के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग का पदभार संभाला और गलवान की घटनाओं के बाद बढ़ी हुई समुद्री गतिविधि के दौरान कई ऑपरेशनल तैनाती और अभ्यासों का नेतृत्व किया। डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज वेलिंगटन, नेवल वॉर कॉलेज गोवा, और प्रतिष्ठित नेशनल डिफेंस कॉलेज नई दिल्ली से स्नातक, फ्लैग ऑफिसर ने प्रमुख रणनीतिक और नीति-उन्मुख स्टाफ भूमिकाओं में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। नौसेना मुख्यालय में उनकी नियुक्तियों में संयुक्त निदेशक और कार्मिक निदेशक (नीति), नौसेना योजना निदेशक और प्रधान नौसेना योजना निदेशक शामिल हैं। फरवरी 2018 में फ्लैग रैंक पर पदोन्नति के बाद उन्होंने पूर्वी बेड़े की कमान संभालने से पहले सहायक नौसेनाध्यक्ष (नीति एवं योजना) के रूप में कार्य किया। असाधारण नेतृत्व और अत्यंत उच्च कोटि की सराहनीय सेवा के लिए उन्हें 2021 में अति विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया गया। इसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के उप कमांडेंट के रूप में कार्य किया और बाद में दिसंबर 2021 में उन्हें पूर्वी नौसेना कमान का प्रमुख नियुक्त किया गया। इस पद पर रहते हुए उन्होंने कमान की परिचालन तत्परता, कार्मिक विकास और बुनियादी ढांचे के विस्तार का नेतृत्व किया। वीसीएनएस का कार्यभार संभालने से पहले उन्होंने एकीकृत रक्षा स्टाफ (डीसीआईडीएस) के उप प्रमुख – संचालन और उसके बाद आईडीएस मुख्यालय में डीसीआईडीएस (नीति, योजना और बल विकास) के रूप में कार्य किया, जहां उन्होंने संचालन के समन्वय, एकीकरण को बढ़ाने, संयुक्तता, बल विकास और तीनों सेवाओं में स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने वाली नीतियों को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
बिहार में एसआईआर के जरिए वोटिंग का अधिकार छीनने की साजिश : खड़गे
नई दिल्ली, 28 जुलाई: बिहार विधानसभा चुनावों से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर देश की सियासत गरमा गई है। सोमवार को विपक्षी दलों के सांसदों ने इस मुद्दे पर संसद परिसर में जोरदार विरोध-प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में कांग्रेस नेता राहुल गांधी, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी, सपा प्रमुख अखिलेश यादव सहित इंडी अलायंस के कई बड़े नेता और सांसद शामिल हुए। यह विरोध-प्रदर्शन संसद के मकर द्वार के पास आयोजित किया गया, जहां विपक्षी नेता एक बड़ा बैनर लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। बैनर पर लिखा था-‘एसआईआर-अटैक ऑन डेमोक्रेसी’। यानी एसआईआर लोकतंत्र पर सीधा प्रहार है। केंद्र सरकार लोकतंत्र को कमजोर करने का काम कर रही है। मल्लिकार्जुन खड़गे ने एसआईआर के खिलाफ नारे लगाए। उन्होंने कहा कि मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) एकतरफा और पक्षपातपूर्ण तरीके से किया जा रहा है, जिससे निष्पक्ष चुनाव की प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है। विपक्षी सांसदों ने यह भी मांग की कि एसआईआर जैसे गंभीर मुद्दे पर संसद में व्यापक चर्चा कराई जाए। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर विरोध-प्रदर्शन से जुड़ा एक वीडियो शेयर करते हुए खड़गे ने पोस्ट में लिखा, “संसद में इंडी गठबंधन जनता के अधिकारों की आवाज उठाता रहेगा। पूरे देश में एसआईआर लागू करवाकर एक साजिश के तहत कमजोर वर्गों से वोटिंग का अधिकार छीनना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। लोकतंत्र और संविधान पर हम आरएसएस-भाजपा की मनुवादी मानसिकता हावी नहीं होने देंगे।” उल्लेखनीय है कि एसआईआर को लेकर जारी सियासी संग्राम के बीच विपक्ष के आरोपों को नकारते हुए चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि विशेष गहन संशोधन (एसआईआर) मतदाता सूची को शुद्ध करने के लिए एक वैध और जरूरी कदम है। आयोग के हलफनामे के अनुसार, इस प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों के 1.5 लाख से अधिक बूथ-स्तरीय एजेंटों को शामिल किया गया था।
‘भारत के सैनिक शेर हैं’, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा के दौरान राजनाथ सिंह की पाकिस्तान को दो टूक
नई दिल्ली, 28 जुलाई : लोकसभा में सोमवार को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि शेर अगर मेंढकों को मारे तो उसका बहुत अच्छा संदेश नहीं जाता। भारत के सैनिक शेर हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा के दौरान कहा, “हमारा इतिहास है कि हमने कभी भी किसी की एक इंच जमीन पर कब्जा नहीं किया। शेर अगर मेंढकों को मारे तो उसका बहुत अच्छा संदेश नहीं जाता। हमारी सेना शेर है। पाकिस्तान जैसा, जो अपने अस्तित्व के लिए दूसरों पर आश्रित हो, उससे मुकाबले का मतलब है अपना स्तर कम करना। हमारी नीति है, आतंकवाद के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई करना। हमारा पाकिस्तान विरोध उनकी आतंकवाद की नीति के कारण है।” राजनाथ सिंह ने भगवान राम और कृष्ण का जिक्र करते हुए कहा, “हमारी प्रवृत्ति भगवान राम और भगवान कृष्ण से प्रेरित है, जो हमें शौर्य भी सिखाती है और धैर्य भी सिखाती है। हमने भगवान कृष्ण से सीखा शिशुपाल की 100 गलतियां माफ की जा सकती हैं, लेकिन अब हमने सुदर्शन चक्र उठा लिया है। इस सीख का हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमारी विदेश और रक्षा नीति में प्रयोग कर रहे हैं। आज भारत पहले दोस्ती का हाथ बढ़ाता है, लेकिन अगर कोई देश धोखा दे, तो वह उसकी कलाई भी मरोड़ना जानता है।” लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को चेतावनी भी दी। उन्होंने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर हमारे सामर्थ्य का प्रतीक था, जिसमें हमने दिखाया कि अगर कोई हमारे नागरिकों को मारेगा तो भारत चुप नहीं बैठेगा। हमारा राजनैतिक तंत्र और नेतृत्व बिना किसी दबाव के काम करेगा। हमारी मिसाइलें भौतिक सीमाओं को पार करेंगी, वीर सैनिक दुश्मन की कमर तोड़ देंगे। हम आतंकवाद के हर रूप और स्वरूप को समाप्त करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।”
बिहार एसआईआर को लेकर इंडी गठबंधन का संसद परिसर में प्रदर्शन, चुनाव आयोग पर उठाए सवाल
नई दिल्ली, 25 जुलाई : बिहार में जारी वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया के तहत कथित तौर पर वोटर लिस्ट से नाम हटाने और व्यापक अनियमितताओं के खिलाफ इंडी गठबंधन के सांसदों ने शुक्रवार को संसद परिसर में विरोध-प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, प्रियंका गांधी वाड्रा, राहुल गांधी, राजद सांसद मनोज झा और टीएमसी सांसद सुष्मिता देव सहित कई विपक्षी दलों के वरिष्ठ नेता शामिल हुए। प्रदर्शन के बाद राजद सांसद मनोज झा ने चुनाव आयोग को कठघरे में खड़ा करते हुए तल्ख टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि आज हम गांधी जी के पास गए हैं। किसी बुजुर्ग के पास आदमी तभी जाता है, जब लोकतंत्र संकट में हो। लोकतंत्र आज वाकई परेशान है। हम चुनाव आयोग से फिर कहेंगे कि किसी के इशारे पर काम करना बंद करिए। बांग्लादेश का चुनाव आयोग आपका आदर्श नहीं होना चाहिए। टीएमसी सांसद सुष्मिता देव ने भी एसआईआर प्रक्रिया की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि बिहार में चल रही एसआईआर प्रक्रिया के तहत 60 लाख से अधिक वोटरों को लिस्ट से बाहर कर दिया गया है। यह लोकतंत्र की सीधी हत्या है। यह कैसे संभव है कि एक राज्य में 65 लाख फर्जी वोटर हों? इसमें डॉक्युमेंटेशन की गंभीर खामियां हैं। असम में हमने एनआरसी के लिए छह साल दस्तावेज दिखाए, लेकिन आज तक एनआरसी पूरा नहीं हुआ। ऐसे में एसआईआर इतनी तेजी से कैसे हो गया? यह प्रक्रिया ही संदेह के घेरे में है। कांग्रेस सांसद रंजीत रंजन ने जमीनी सच्चाई को उजागर करते हुए बताया कि सरकार और चुनाव आयोग के दावों में बहुत बड़ा अंतर है। उन्होंने कहा कि सरकार कह रही है कि 97 प्रतिशत वेरिफिकेशन हो चुका है, लेकिन सच्चाई यह है कि मात्र 25 प्रतिशत लोगों का ही फॉर्म सबमिट हुआ है। ग्रामीण क्षेत्रों में लोग खुद वेबसाइट पर फॉर्म चेक नहीं कर सकते; उन्हें बीएलओ के पास जाना होता है। ऐसे में जब 75 प्रतिशत लोगों के फॉर्म ही सबमिट नहीं हुए, तो हम कैसे मान लें कि पूरा वेरिफिकेशन हो चुका है? रंजीत रंजन ने आरोप लगाया कि भाजपा ने पहले से ही यह तय कर लिया है कि किनका नाम वोटर लिस्ट में रखना है और किनका हटाना है। उन्होंने आगे कहा कि 1 सितंबर तक का समय दिया गया है, लेकिन ज्यादातर लोग यह जानते ही नहीं कि उनका वोट बचा है या नहीं। गरीब और जागरूकता से वंचित तबके को इस प्रक्रिया में पूरी तरह नजरअंदाज किया गया है।
‘उदयपुर फाइल्स’ की रिलीज पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने किया इनकार
नई दिल्ली, 25 जुलाई : सुप्रीम कोर्ट ने कन्हैया लाल हत्याकांड पर आधारित फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ की रिलीज पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने इस मामले को दिल्ली हाईकोर्ट को सौंपते हुए निर्देश दिया कि सभी पक्ष वहां अपनी दलील पेश करें। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष अरशद मदनी ने फिल्म पर रोक की मांग की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। इसका मतलब है कि फिल्म के निर्माता केंद्र सरकार के सूचना प्रसारण मंत्रालय की समिति द्वारा सुझाए गए छह बदलावों के साथ फिल्म को रिलीज कर सकते हैं। ‘उदयपुर फाइल्स’ कन्हैया लाल हत्याकांड पर आधारित है, जो साल 2022 में उदयपुर में ‘सर तन से जुदा’ नारे के साथ हुआ था। इस घटना ने देशभर में सनसनी फैला दी थी। फिल्म के ट्रेलर और डायलॉग को लेकर विवाद उठा था, जिसके बाद जमीयत ने इसे सांप्रदायिक तनाव भड़काने का आरोप लगाते हुए रिलीज पर रोक की मांग की थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने रिलीज पर रोक लगाने से इनकार करते हुए सुझाए गए संशोधनों का पालन करने की बात निर्माताओं से कही। एडवोकेट बरुण सिन्हा ने बताया, “दिल्ली हाईकोर्ट यह तय करेगी कि केंद्र सरकार के 21 जुलाई 2025 के आदेश से कोई प्रभाव पड़ता है या नहीं। हाईकोर्ट को यह अधिकार है कि वह फिल्म पर कोई आदेश दे या न दे। चूंकि सुप्रीम कोर्ट ने रिलीज पर रोक नहीं लगाई, इसलिए निर्माता कभी भी फिल्म रिलीज कर सकते हैं। शनिवार और रविवार को छुट्टी होने के कारण हाईकोर्ट में सुनवाई से पहले रिलीज होने की संभावना ज्यादा है। यह फिल्म निर्माताओं और उन दर्शकों के लिए बड़ी राहत है, जो इस फिल्म को देखना चाहते हैं। वहीं, कन्हैया लाल हत्याकांड में आरोपी मोहम्मद जावेद की जमानत रद्द करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टल गई है। कोर्ट ने जावेद को जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है। कन्हैया लाल के बेटे और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने राजस्थान हाईकोर्ट के जावेद को जमानत देने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। याचिका में कहा गया है कि जावेद का अपराध गंभीर है, क्योंकि उसने हत्यारों को कन्हैया लाल के ठिकाने और दुकान में उनकी मौजूदगी की जानकारी दी थी, जिससे हत्या को अंजाम देना आसान हुआ। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर जावेद को नोटिस जारी किया था।
‘पीएम मोदी झूठों के सरदार, अगर हमें 30 सीटें और मिल जातीं तो…’, ओबीसी सम्मेलन में जमकर बरसे खड़गे
नई दिल्ली, 25 जुलाई : कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आज एक ओबीसी महासम्मेलन में हिस्सा लेते हुए केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार पिछड़े वर्गों (ओबीसी) के साथ न्याय नहीं कर रही और सामाजिक न्याय के मुद्दों से भाग रही है। खड़गे ने लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों पर बोलते हुए कहा कि कांग्रेस बहुत करीब थी सरकार बनाने के। उन्होंने कहा, “अगर हमें 30 सीटें और मिल जातीं, तो आज कांग्रेस की सरकार होती।” खड़गे ने कहा कि कांग्रेस ने यह चुनाव सामाजिक न्याय और पिछड़ों के हक के मुद्दे पर लड़ा था। पीएम मोदी को निशाना बनाते हुए खड़गे ने कहा, “मोदी झूठों के सरदार हैं। उन्होंने हर मुद्दे पर झूठ बोला है, दो करोड़ नौकरी, काला धन, एमएसपी, ओबीसी की आय बढ़ाने तक सभी वादे झूठे निकले।” खड़गे ने यहां तक कहा कि “जो प्रधानमंत्री झूठ बोलता है, वह देश का भला नहीं कर सकता।” खड़गे ने कहा, “आएएसएस और भाजपा जहर की तरह हैं। अगर कोई उस जहर को चखता है, तो उसका सफाया तय है।” उन्होंने लोगों से अपील की कि वे एकजुट रहें, क्योंकि भाजपा लोगों को जाति और धर्म के आधार पर बांटने की कोशिश कर रही है। खड़गे ने राहुल गांधी की भी तारीफ की और कहा, “राहुल गांधी ऊंची जाति से होने के बावजूद पिछड़े, दलित और आदिवासी समाज की आवाज उठाते हैं। ऐसे नेता के साथ सबको खड़ा होना चाहिए।” उन्होंने कहा कि राहुल गांधी सभी वर्गों के लिए लड़ते हैं और यही कांग्रेस की विचारधारा है।
संसद मार्ग मस्जिद विवाद: मुस्लिम धर्मगुरुओं ने खोला मोर्चा, मोहिबुल्लाह नदवी को हटाने मांग
नई दिल्ली, 25 जुलाई : संसद मार्ग स्थित मस्जिद में पिछले दिनों समाजवादी पार्टी के सांसदों की मीटिंग के विरोध में मुस्लिम धर्मगुरुओं ने मोर्चा खोल दिया है। मस्जिद के इमाम मोहिबुल्लाह नदवी पर धार्मिक स्थल के राजनीतिक इस्तेमाल का गंभीर आरोप लगाते हुए उन्हें इमामत से हटाने की मांग की गई है। ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र भेजते हुए आरोप लगाया कि मौलाना नदवी की मौन स्वीकृति से संसद मार्ग मस्जिद में समाजवादी पार्टी की बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, डिंपल यादव, धर्मेंद्र यादव, जियाउर्रहमान बर्क सहित अन्य नेता शामिल हुए। मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने आरोप लगाया कि मस्जिद जैसे पवित्र स्थल का इस तरह राजनीतिक इस्तेमाल न सिर्फ शरीयत के खिलाफ है, बल्कि यह करोड़ों मुस्लिमों की धार्मिक आस्थाओं को भी ठेस पहुंचाता है। रजवी ने पत्र में लिखा, “मस्जिद में महिलाओं का प्रवेश और ‘नापाक लोगों’ की मौजूदगी शरीयत की स्पष्ट अवहेलना है। मस्जिद इबादतगाह है, न कि कोई राजनीतिक मंच।” संसद मार्ग मस्जिद लोकसभा सचिवालय के अधिकार क्षेत्र में आती है और मौलाना नदवी वर्तमान में एक सांसद भी हैं, ऐसे में रजवी ने मांग की है कि उन्हें तत्काल मस्जिद की इमामत से हटाया जाए और किसी सूफी, धार्मिक तथा गैर-राजनीतिक व्यक्ति को यह जिम्मेदारी सौंपी जाए। मौलाना शहाबुद्दीन रजवी के पत्र के बाद मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी ने अब तक इस पूरे विवाद पर कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया नहीं दी है और न ही समाजवादी पार्टी की ओर से कोई आधिकारिक बयान आया है। फिलहाल, मस्जिद के राजनीतिक उपयोग को लेकर यह मामला अब धार्मिक और राजनीतिक दोनों मोर्चों पर चर्चा का विषय बन गया है। ज्ञात हो कि सपा मुखिया अखिलेश यादव ने हाल ही में दिल्ली के संसद मार्ग में स्थित जामा मस्जिद में पार्टी नेताओं के साथ बैठक की थी। इसकी तस्वीर खूब वायरल हुई। तस्वीर सामने आने के बाद भाजपा ने उन पर हमला बोला था। इस मामले में एक बड़ी बात यह है कि इस मस्जिद के इमाम मोहिबुल्लाह नदवी हैं, जो उत्तर प्रदेश की रामपुर लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी के सांसद भी हैं।