ड्रोन और मानवरहित हवाई प्रणालियों में आत्मनिर्भरता भारत के लिए रणनीतिक रूप से अनिवार्य: सीडीएस चौहान

नई दिल्ली, 16 जुलाई: प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) अनिल चौहान ने बुधवार को कहा कि हाल के वैश्विक संघर्षों में यह बात सामने आई है कि कैसे ड्रोन ‘‘युद्ध की रणनीति को अपने आकार और मूल्य के अनुपात में असमान रूप बदल सकते हैं’’। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ड्रोन और काउंटर-अनमैन्ड एरियल सिस्टम (सी-यूएएस) (मानवरहित हवाई रोधी प्रणाली) में आत्मनिर्भरता भारत के लिए ‘‘रणनीतिक रूप से अनिवार्य’’ है। यहां ‘मानेकशॉ सेंटर’ में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जनरल चौहान ने यह भी कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने दिखाया है कि क्यों स्वदेशी रूप से विकसित मानव रहित हवाई प्रणालियां (यूएएस) और सी-यूएएस ‘‘हमारे क्षेत्र और हमारी जरूरतों के लिए महत्वपूर्ण हैं’’। ‘यूएवी और सी-यूएएस के क्षेत्र में विदेशी ओईएम से वर्तमान में आयात किए जा रहे महत्वपूर्ण घटकों के स्वदेशीकरण’ विषय पर थिंक टैंक ‘सेंटर फॉर ज्वाइंट वारफेयर स्टडीज’ के सहयोग से एकीकृत रक्षा कार्मिक मुख्यालय (एचक्यू-आईडीएस) की मेजबानी में एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की जा रही है। रक्षा मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि यह आयोजन हाल में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए सैन्य संघर्ष की पृष्ठभूमि में हो रहा है जिसमें ‘ऑपरेशन सिंदूर’ भी शामिल है। इस संघर्ष ने यूएवी और सी-यूएएस के सामरिक महत्व और परिचालन प्रभावशीलता को रेखांकित किया। उद्घाटन सत्र में अपने मुख्य संबोधन में सीडीएस ने कहा कि ड्रोन वास्तविकता का प्रमाण हैं और हाल के संघर्षों में उनके व्यापक उपयोग ने दिखाया है कि कैसे ड्रोन युद्ध की रणनीति को अपने आकार और मूल्य के अनुपात में असमान रूप बदल सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ड्रोन का असमान उपयोग बड़े प्लेटफॉर्म को संवेदनशील बना रहा है और सेनाओं को हवाई रणनीतिक सिद्धांत, सी-यूएएस के विकास और इसके अनुकूल युद्ध कौशलों के वैचारिक पहलुओं पर पुनर्विचार करने के लिए प्रेरित करता है।’’ सीडीएस ने यह भी कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान पाकिस्तान ने 10 मई को हथियार रहित ड्रोन का इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि उनमें से कोई भी वास्तव में भारतीय सैन्य या नागरिक बुनियादी ढांचे को कोई नुकसान नहीं पहुंचा सका।’’ जनरल चौहान ने कहा, ‘‘उनमें से अधिकतर को मार गिराया गया जबकि कुछ को जस की तस अवस्था में बरामद किया गया।’’ सीडीएस ने जोर देकर कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने ‘‘हमें दिखाया है कि हमारे भूभाग और हमारी जरूरतों के लिए स्वदेशी रूप से विकसित यूएएस, सी-यूएएस क्यों महत्वपूर्ण हैं’’। आत्मनिर्भरता के सिद्धांत को रेखांकित करते हुए जनरल चौहान ने कहा, ‘‘हम उन आयातित विशिष्ट तकनीकों पर निर्भर नहीं रह सकते जो हमारे आक्रामक और रक्षात्मक अभियानों के लिए महत्वपूर्ण हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘विदेशी तकनीकों पर निर्भरता हमारी तैयारियों को कमजोर करती है, उत्पादन बढ़ाने की हमारी क्षमता को सीमित करती है और इसके कारण महत्वपूर्ण पुर्जों की कमी होती है।’’ इस कार्यक्रम में सैन्य अधिकारी, रक्षा विशेषज्ञ, वैज्ञानिक, नीति निर्माता और निजी उद्योग के प्रतिनिधि शामिल हुए। कार्यक्रम का उद्देश्य स्वदेशीकरण के लिए एक ‘‘रणनीतिक रोडमैप’’ विकसित करना है, जिसका व्यापक उद्देश्य महत्वपूर्ण यूएवी और सी-यूएएस घटकों के लिए विदेशी कंपनियों पर निर्भरता कम करना है। कार्यशाला के लिए अपने संदेश में सीडीएस ने लिखा, ‘‘सुरक्षा बलों की आमने-सामने की लड़ाई के विपरीत इस तरह के परोक्ष युद्ध में तेजी के बीच यूएवी एक परिवर्तनकारी शक्ति के रूप में उभरे हैं। भारत जैसे राष्ट्र के लिए यूएवी और सी-यूएएस प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भरता न केवल एक रणनीतिक अनिवार्यता है, बल्कि यह भारत को अपनी नियति तय करने, अपने हितों की रक्षा करने और भविष्य के अवसरों का लाभ उठाने के लिए सशक्त बनाने के बारे में भी है।’’

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में मची हलचल

मोदी और RSS प्रमुख दोनो छोडेगे अपना पद? नई दिल्ली, 16 जुलाई (संवाददाता परमहंस): आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है, जिसमें उन्होंने कहा है कि नेताओं को 75 वर्ष की आयु के बाद पद छोड़ देना चाहिए। इस बयान को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए एक संकेत के रूप में देखा जा रहा है, जो इस साल सितंबर में 75 वर्ष के हो जाएंगे। मोदी और भागवत दोनों 75 वर्ष की आयु में पहुंचेंगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत दोनों का जन्म वर्ष 1950 है, और वे दोनों सितंबर 2025 में 75 वर्ष के हो जाएंगे। मोदी 17 सितंबर को और भागवत 11 सितंबर को इस आयु में पहुंचेंगे। विपक्ष की प्रतिक्रिया कांग्रेस नेता जयराम रेशम ने ट्वीट किया, “बेचारा पुरस्कार विजेता प्रधानमंत्री! क्या घर वापसी है – विदेश से लौटने पर आरएसएस प्रमुख ने उन्हें याद दिलाया कि वह 17 सितंबर को 75 वर्ष के हो जाएंगे। लेकिन प्रधानमंत्री भी आरएसएस प्रमुख को याद दिला सकते हैं कि वह भी 11 सितंबर को 75 वर्ष के हो जाएंगे! एक तीर, दो निशाने!” शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, “यह एक स्पष्ट संदेश है और यह स्पष्ट रूप से उस व्यक्ति के लिए है जो सितंबर में अपना 75वां जन्मदिन मनाएगा। आरएसएस और भाजपा के बीच जो कुछ भी चल रहा है, वह उनके बयानों से स्पष्ट है।” भाजपा की प्रतिक्रिया भाजपा नेताओं ने इस बयान को महत्वहीन बताते हुए कहा कि यह एक सामान्य बयान था और इसका किसी विशेष व्यक्ति से कोई संबंध नहीं है। राजनीतिक मायने इस बयान के राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं, और इसे भाजपा और आरएसएस के बीच के रिश्तों में एक नए मोड़ के रूप में देखा जा रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में यह बयान कितना प्रभाव डालता है संविधान क्या कहता है? भारतीय संविधान के अनुसार, किसी भी पद के लिए आयु सीमा के बारे में कोई विशिष्ट प्रावधान नहीं है। हालांकि, कुछ पदों के लिए आयु सीमा निर्धारित की गई है, जैसे कि उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के लिए 65 वर्ष और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के लिए 62 वर्ष। मोहन भागवत के बयान का महत्व मोहन भागवत के बयान को एक नैतिक और सामाजिक दृष्टिकोण के रूप में देखा जा सकता है, जिसमें उन्होंने नेताओं को समय पर पद छोड़ने की सलाह दी है। यह बयान राजनीतिक दलों और नेताओं के लिए एक विचार करने योग्य विषय हो सकता है।संविधान और आयु सीमा। भारतीय संविधान में आयु सीमा के बारे में कुछ प्रावधान हैं: लोकसभा सदस्यता: लोकसभा सदस्य बनने के लिए न्यूनतम आयु 25 वर्ष होनी चाहिए। राज्यसभा सदस्यता: राज्यसभा सदस्य बनने के लिए न्यूनतम आयु 30 वर्ष होनी चाहिए। न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति: उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश 65 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होते हैं, जबकि उच्च न्यायालय के न्यायाधीश 62 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होते हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि मोहन भागवत के बयान का राजनीतिक दलों और नेताओं पर क्या प्रभाव पड़ता है

जिंदगी की जंग हार गई ओडिशा की छात्रा

भुवनेश्वर, 15 जुलाई : ओडिशा के बालासोर में यौन उत्पीड़न के मामले में न्याय न मिलने पर आत्मदाह करने वाली 20 वर्षीय कॉलेज छात्रा ने सोमवार रात को एम्स में दम तोड़ दिया। वह करीब 60 घंटे तक जिंदगी और मौत से जूझती रही। शिक्षक के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं किए जाने से आहत छात्रा ने शनिवार को यह कदम उठाया था और वह 95 प्रतिशत तक झुलस गई थी। छात्रा को पहले बालासोर के जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था और फिर बेहतर उपचार के लिए भुवनेश्वर स्थित एम्स भेज दिया गया। छात्रा की मौत पर दुख व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने कहा कि मामले में सभी दोषियों को कानून के तहत कड़ी से कड़ी सजा मिलेगी। इसके लिए मैंने खुद अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। उन्होंने ‘एक्स पर लिखा कि फकीर मोहन (स्वायत्त) महाविद्यालय की छात्रा की मौत हो गई। इससे मैं बेहद दुखी हूं। सरकार द्वारा सभी जिम्मेदारियों को निभाने और विशेषज्ञ चिकित्सा दल के अथक प्रयासों के बावजूद उसे नहीं बचाया जा सका। मुख्यमंत्री ने छात्रा के परिवार को 20 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की। उधर, अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि सोमवार रात को एम्स में पोस्टमार्टम के बाद छात्रा का शव बालासोर जिले के उसके पैतृक गांव पलासिया भेज दिया गया। शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया है। इस मामले में पहले ही पुलिस ने मुख्य आरोपी कॉलेज के विभागाध्यक्ष समीर कुमार साहू और प्राचार्य दिलीप घोष को गिरफ्तार कर लिया है। छात्रा ने समीर कुमार साहू पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। पुलिस ने किया बलप्रयोग छात्रा की मौत की सूचना मिलते ही बीजद और कांग्रेस के नेता व कार्यकर्ता सोमवार देर रात एम्स परिसर के अंदर विरोध-प्रदर्शन करने पहुंच गए। शव को ले जा रहे वाहन को वहां से निकालने के लिए पुलिस को बलप्रयोग करना पड़ा। एसटीआई टीम गठित ओडिशा पुलिस ने मामले की जांच में तेजी लाने के लिए एक त्वरित सुनवाई पहल (एसटीआई) टीम का गठन किया है। पुलिस उपमहानिरीक्षक (पूर्वी रेंज) सत्यजीत नाइक ने कहा कि एसटीआई टीम में जांचकर्ता, फॉरेंसिक विशेषज्ञ और अभियोजक शामिल हैं। ये मेडिकल रिकॉर्ड और डिजिटल साक्ष्य जुटाने के साथ ही फोरेंसिक विश्लेषण पर काम कर रहे हैं। ये मामले हुए दर्ज प्राचार्य और विभाग प्रमुख के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाना, आपराधिक धमकी, यौन उत्पीड़न और पीछा करने के साथ ही महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने की धारा के तहत मामला दर्ज किया गया है। सांसद ने प्राचार्य को ठहराया दोषी बालासोर के सांसद प्रताप सारंगी ने कहा कि कॉलेज के प्राचार्य ने अपने कर्तव्यों का निर्वहन सही तरीके से नहीं किया। यह घटना जिस भयावह रूप में सामने आई है, उसके लिए प्राचार्य की गंभीर लापरवाही सीधे तौर पर जिम्मेदार है। सांसद ने दावा किया कि प्राचार्य ने छात्रा से कहा था कि यौन उत्पीड़न का उसका आरोप झूठा है। प्राचार्य की इस टिप्पणी के बाद ही छात्रा ने यह कदम उठाया। बेटी ने मुझे लड़ना सिखाया : पिता छात्रा के पिता ने कहा कि मेरी बेटी ने मुझे लड़ना सिखाया है और मैं इसे जारी रखूंगा। मुझे पैसे या अनुग्रह राशि की जरूरत नहीं है। मुझे अपनी बेटी वापस चाहिए। क्या सरकार मुझे मेरी बच्ची वापस दे सकती है? प्रशासन की मदद करती थी छात्रा एक ग्रामीण ने कहा कि छात्रा प्राकृतिक आपदाओं, खासकर बाढ़ के दौरान सक्रिय रहती थी। बालासोर जिले के बाढ़ग्रस्त ब्लॉक बस्ता के एक ग्रामीण ने कहा कि वह बाढ़ के दौरान महिलाओं को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने में प्रशासन की मदद करती थी। इस मौत के जिम्मेदारों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए।

“वन नेशन, वन इलेक्शन: सुशासन और खर्च में कटौती की दिशा में बड़ा कदम” : रिपोर्ट

नई दिल्ली, 14 जुलाई (संवाददाता परमहंस) : भारत सरकार द्वारा प्रस्तावित “वन नेशन, वन इलेक्शन” योजना को देशभर में एक ऐतिहासिक और सुधारात्मक कदम के रूप में देखा जा रहा है। इस पहल के तहत लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाने का प्रस्ताव है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे चुनावों पर होने वाला भारी खर्च कम होगा और प्रशासनिक मशीनरी पर पड़ने वाला दबाव भी घटेगा। एक अनुमान के अनुसार, बार-बार होने वाले चुनावों की तुलना में यदि सभी चुनाव एक साथ कराए जाएं तो सरकार ₹10,000 करोड़ से अधिक की बचत कर सकती है। इसके अतिरिक्त, बार-बार आचार संहिता लागू होने से नीति-निर्माण प्रक्रिया प्रभावित होती है। एक साथ चुनाव से सरकारें नीतिगत निर्णयों को अधिक सुचारू रूप से लागू कर सकेंगी, जिससे विकास कार्यों में तेजी आएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस विचार का समर्थन करते हुए कहा, “बार-बार चुनाव से देश की विकास प्रक्रिया बाधित होती है। यह पहल लोकतंत्र को मजबूत बनाएगी।” “वन नेशन, वन इलेक्शन: क्या यह लोकतांत्रिक विविधता को नुकसान पहुंचाएगा?” जहाँ एक ओर सरकार “वन नेशन, वन इलेक्शन” को लोकतंत्र के लिए सुधारात्मक कदम बता रही है, वहीं विपक्षी दलों और कई संवैधानिक विशेषज्ञों ने इस योजना पर गंभीर सवाल उठाए हैं। विपक्षी नेताओं का तर्क है कि भारत जैसे विविध और संघीय ढांचे वाले देश में एक साथ चुनाव कराना व्यावहारिक नहीं है। हर राज्य की अपनी राजनीतिक स्थिति, समस्याएं और प्राथमिकताएं होती हैं, और एक ही समय पर चुनाव होने से क्षेत्रीय मुद्दों पर राष्ट्रीय विमर्श हावी हो सकता है। इसके अलावा, कई दलों ने इसे संविधान की आत्मा के खिलाफ बताया है। उनका कहना है कि अगर किसी राज्य सरकार की अवधि खत्म होने से पहले वह गिर जाए, तो क्या पूरे देश के चुनाव फिर से होंगे? या उस राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जाएगा? इन सवालों का कोई स्पष्ट समाधान अभी सामने नहीं आया है। विपक्ष ने यह भी आरोप लगाया है कि इस योजना का उद्देश्य राजनीतिक लाभ लेना है, न कि लोकतंत्र को मजबूत करना

मिज़ोरम के मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से मुलाकात में विकास के मुद्दों पर की चर्चा

नई दिल्ली, 14 जुलाई : मिज़ोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने सोमवार को यहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से शिष्टाचार मुलाकात की। प्रधानमंत्री कार्यालय ने दोनों नेताओं की मुलाकात की तस्वीरें एक्स पर साझा करते हुए यह जानकारी दी। मुख्यमंत्री कार्यालय ने बताया कि इस दौरान मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री के साथ राज्य के प्रमुख विकास मुद्दों और योजनाओं पर विस्तार से चर्चा की। बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने मिज़ोरम की भौगोलिक और सामाजिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार से अधिक वित्तीय सहायता, सड़कों और कनेक्टिविटी इंफ्रास्ट्रक्चर, स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार, और शिक्षा प्रणाली के सशक्तिकरण जैसी आवश्यकताओं पर विशेष ध्यान देने का आग्रह किया। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को राज्य में चल रही विभिन्न केंद्रीय योजनाओं की प्रगति से भी अवगत कराया और उनके सफल क्रियान्वयन के लिए केंद्र से सहयोग की मांग की। उन्होंने यह भी प्रस्तावित किया कि मिज़ोरम की सीमा सुरक्षा और उत्तर-पूर्वी राज्यों के साथ सहयोग को और मज़बूत किया जाए। प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री की बातों को गंभीरता से सुना और उन्हें केंद्र की ओर से हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया। उन्होंने मिज़ोरम को भारत के उत्तर-पूर्व में एक रणनीतिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण राज्य बताया और कहा कि केंद्र सरकार पूर्वोत्तर के समावेशी विकास के लिए प्रतिबद्ध है।

जयशंकर ने चीन से संबंधों को ‘सामान्य’ बनाये रखने का आग्रह किया

बीजिंग/नई दिल्ली, 14 जुलाई: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोमवार को चीन के उपराष्ट्रपति हान झेंग के साथ मुलाकात में कहा कि भारत-चीन संबंधों का स्थिर और सामान्य रहना दोनों देशों के लिए लाभकारी सिद्ध हो सकता है। उन्होंने जटिल वैश्विक परिस्थितियों के मद्देनजर दोनों पड़ोसी देशों के बीच खुले विचार-विमर्श की आवश्यकता पर बल दिया। जयशंकर अपनी दो देशों की यात्रा के अंतिम चरण में सोमवार सुबह सिंगापुर से बीजिंग पहुंचे। वह शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में हिस्सा लेने के लिए चीन के तियानजिन शहर में हैं। यह उनकी पहली चीन यात्रा है, जो 2020 में पूर्वी लद्दाख की वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैन्य तनाव और उसके बाद दोनों देशों के बीच बिगड़े संबंधों के बाद हो रही है। बैठक की शुरुआत में जयशंकर ने कहा, “पिछले साल अक्टूबर में कजान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद से हमारे द्विपक्षीय संबंधों में सतत सुधार देखा गया है। मुझे उम्मीद है कि इस यात्रा के दौरान होने वाली चर्चाएं इस सकारात्मक दिशा को और मजबूती देंगी।” उन्होंने भारत-चीन राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ का भी उल्लेख किया। जयशंकर ने कहा, “कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली को भारत में व्यापक रूप से सराहा गया है। हमारे संबंधों का सामान्यीकरण दोनों पक्षों के लिए फायदेमंद हो सकता है।” उन्होंने आगे कहा, “वर्तमान वैश्विक परिदृश्य अत्यंत जटिल है। पड़ोसी देशों और प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के रूप में, भारत और चीन के बीच खुलकर विचारों और दृष्टिकोणों का आदान-प्रदान अत्यंत महत्वपूर्ण है।” उन्होंने यह भी कहा, “मैं इस यात्रा के दौरान ऐसी सार्थक चर्चाओं की अपेक्षा करता हूं।” गौरतलब है कि तीन सप्ताह पहले ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एससीओ के रक्षा मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए चीन के किंगदाओ शहर का दौरा किया था। वर्तमान में चीन एससीओ का अध्यक्ष है और इस भूमिका में संगठन की बैठकों की मेजबानी कर रहा है।

निजी क्षेत्र में रोजगार के अवसर पैदा करने पर सरकार का जोर: मोदी

नई दिल्ली, 12 जुलाई: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विनिर्माण क्षेत्र को भारत की सबसे बड़ी ताकत बताते हुए कहा है कि सरकार निजी क्षेत्र में रोजगार के अवसर पैदा करने पर भी जोर दे रही है। श्री मोदी ने शनिवार को यहां वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से रोजगार मेले में 51 हजार युवाओं को नियुक्ति पत्र वितरित करने के बाद यह बात कही। इन युवाओं को सरकार के विभिन्न विभागों और संगठनों में नियुक्त किया गया है। प्रधानमंत्री ने विनिर्माण क्षेत्र को देश की सबसे बड़ी ताकत बताते हुए कहा, “आज भारत की एक बहुत बड़ी ताकत हमारा मैन्युफेक्चरिंग सेक्टर है। मैन्युफेक्चरिंग में बहुत बड़ी संख्या में नई जॉब्स बन रही हैं। मैन्युफेक्चरिंग सेक्टर को गति देने के लिए इस वर्ष के बजट में मिशन मैन्युफेक्चरिंग की घोषणा की गई है।” प्रधानमंत्री ने कहा कि इसे देखते हुए सरकार निजी क्षेत्र में रोजगार के अवसर पैदा करने पर अच्छा खासा जोर दे रही है। उन्होंने कहा, “भारत सरकार का जोर प्राइवेट सेक्टर में रोजगार के नए अवसरों के निर्माण पर भी है। हाल ही में सरकार ने एक नई स्कीम रोजगार प्रोत्साहन योजना को मंज़ूरी दी है।” लोकतंत्र और युवा आबादी को भारत की असीमित शक्ति बताते हुए श्री मोदी ने कहा, “आज 51 हज़ार से अधिक युवाओं को नियुक्ति पत्र दिए गए हैं। ऐसे रोजगार मेलों के माध्यम से अब तक लाखों नौजवानों को भारत सरकार में परमानेंट जॉब मिल चुकी है। अब ये नौजवान…राष्ट्र निर्माण में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं ।आज दुनिया मान रही है कि भारत के पास दो असीमित शक्तियाँ हैं। एक डेमोग्राफी, दूसरी डेमोक्रेसी। यानि सबसे बड़ी युवा आबादी और सबसे बड़ा लोकतंत्र।” उन्होंने कहा कि स्टार्टअप और अनुसंधान का एक सिस्टम मिलकर युवाओं का सशक्तिकरण कर रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा, “स्टार्ट अप्स, इनोवेशन और रिसर्च का जो इकोसिस्टम आज देश में बन रहा है… वो देश के युवाओं का सामर्थ्य बढ़ा रहा है।” अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि भारत को सबसे अधिक समानता वाले देश की श्रेणी में रखा गया है। “इस रिपोर्ट में कहा गया है… बीते दशक में भारत के 90 करोड़ से अधिक नागरिकों को वेलफेयर स्कीम्स के दायरे में लाया गया है।आज वर्ल्ड बैंक जैसी बड़ी वैश्विक संस्थाएं भारत की प्रशंसा कर रही हैं। भारत को दुनिया के सबसे अधिक समानता वाले शीर्ष के देशों में रखा जा रहा है।” श्री मोदी ने कहा कि है इस तरह के रोजगार मेले युवा शक्ति को सशक्त बनाने तथा विकसित भारत का माध्यम बनाने की सरकार की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हैं ।

गुजरात पुल हादसे को लेकर कांग्रेस का हमला-सरकार की लापरवाही से जा रही लोगों की जान

नई दिल्ली, 10 जुलाई : गुजरात में महिसागर नदी पर वडोदरा और आणंद को जोड़ने वाली पुल के टूटने से अब तक 15 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि कई लोग अभी भी लापता हैं। बुधवार को हुए इस हादसे को लेकर कांग्रेस नेता जिग्नेश मेवाणी ने इसे सरकारी लापरवाही का नतीजा बताया। मेवाणी ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में गुजरात में कई दुर्घटनाएं हुई, जिनके पीछे सरकारी अनदेखी और भ्रष्ट तंत्र की भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि जिस गंभीरा पुल के गिरने से यह हादसा हुआ, उसके बारे में लंबे समय से स्थानीय लोग और कांग्रेस नेता अमित चावड़ा ने पुल के जर्जर होने को लेकर सरकार को दो बार पत्र लिखकर चेताया था लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की गई।

बिहार मतदाता विशेष गहन पुनरीक्षण : चुनाव आयोग ने याचिकाओं पर जताई आपत्ति, सुप्रीम कोर्ट ने कही ये बात

नई दिल्ली, 10 जुलाई: सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को बिहार में जारी मतदाता विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के मामले में सुनवाई हुई। कांग्रेस, टीएमसी, राजद, सीपीआई (एम) समेत कई विपक्षी पार्टियों ने बिहार में मतदाता गहन पुनरीक्षण पर रोक लगाने की मांग की। हालांकि, चुनाव आयोग ने याचिकाओं पर आपत्ति जताई और कहा कि चुनाव आयोग का सीधे मतदाताओं से रिलेशन है। जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने बिहार में मतदाता गहन पुनरीक्षण के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई की। पूर्व अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने चुनाव आयोग की तरफ से पक्ष रखा, जबकि कपिल सिब्बल और गोपाल शंकर नारायण ने याचिकाकर्ताओं की ओर से दलील दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बिहार में चुनाव आयोग के मतदाता सूची को संशोधित करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाएं एक ऐसे मुद्दे को उठाती हैं, जो ‘लोकतंत्र की जड़ों’ को प्रभावित करता है, जिसमें वोट देने का अधिकार शामिल है। याचिकाकर्ताओं के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद, जस्टिस सुधांशु धूलिया और जॉयमाल्या बागची की बेंच ने कहा, “इसमें कोई शक नहीं कि यह मुद्दा लोकतंत्र की जड़ों से जुड़ा है, वोट का अधिकार।” उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता न केवल चुनाव आयोग के विशेष गहन संशोधन (एसआईआर) की शक्ति को चुनौती दे रहे हैं, बल्कि इसकी प्रक्रिया और समय पर भी सवाल उठा रहे हैं। हालांकि, चुनाव आयोग का पक्ष रख रहे वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने कोर्ट से इस स्तर पर एसआईआर प्रक्रिया में हस्तक्षेप न करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “संशोधन प्रक्रिया पूरी होने दें, फिर पूरी तस्वीर देखी जा सकती है।” इस पर बेंच ने कहा कि एक बार मतदाता सूची संशोधित होकर विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी हो जाएगी, तो “कोई भी कोर्ट इसे नहीं छुएगा।” याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम सभी याचिकाओं पर नहीं जाएंगे। हम मूल कानूनी सवालों पर बात करेंगे। सबसे पहले एडीआर की तरफ से वकील गोपाल शंकर नारायण ने दलील रखी। याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकर नारायण ने कहा कि मतदाता गहन पुनरीक्षण में 11 दस्तावेजों को अनिवार्य किया गया है। यह पूरी तरह से पक्षपातपूर्ण है। एसआईआर का फैसला न तो आरपी एक्ट में है और न ही इलेक्शन रूल में है। आयोग कहता है कि एक जनवरी 2003 के बाद मतदाता सूची में नाम लिखवाने वालों को अब दस्तावेज देने होंगे। यह भेदभावपूर्ण है। नारायण ने कहा, “1 जुलाई 2025 को 18 साल की उम्र वाले नागरिक वोटर लिस्ट में शामिल हो सकते हैं। वोटर लिस्ट की समरी, यानी समीक्षा हर साल नियमित रूप से होती है। इस बार की भी हो चुकी है। लिहाजा अब इसे करने की जरूरत नहीं है।” इस पर जस्टिस धूलिया ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा कि आप ये नहीं कह सकते कि चुनाव आयोग जो कर रहा है, वो कर नहीं सकता है। चुनाव आयोग तारीख तय कर रहा है, इसमें आपको आपत्ति क्या है? आप तर्कों के माध्यम से साबित करें कि आयोग सही नहीं कर रहा है। सर्वोच्च अदालत की टिप्पणी पर याचिकाकर्ता के वकील गोपाल शंकर नारायण ने कहा, “चुनाव आयोग इसको पूरे देश में लागू करना चाहता है और इसकी शुरुआत बिहार से कर रहा है।” इसके जवाब में जस्टिस धूलिया ने कहा, “चुनाव आयोग वही कर रहा है, जो संविधान में दिया गया है, तो आप यह नहीं कह सकते कि वे ऐसा कुछ कर रहे हैं, जो उन्हें नहीं करना चाहिए?” गोपाल शंकर नारायण ने कहा, “चुनाव आयोग वह कर रहा है, जो उसे नहीं करना चाहिए। यहां कई स्तरों पर उल्लंघन हो रहा है। यह पूरी तरह से मनमाना और भेदभावपूर्ण है। मैं आपको दिखाऊंगा कि उन्होंने किस तरह के सुरक्षा उपाय दिए हैं। दिशानिर्देशों में कुछ ऐसे वर्गों का उल्लेख है, जिन्हें इस रिविजन प्रक्रिया के दायरे में नहीं लाया गया है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस पूरी प्रक्रिया का कानून में कोई आधार नहीं है।” सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील से पूछा कि क्या चुनाव आयोग जो सघन परीक्षण कर रहा है, वो नियमों में है या नहीं, और ये सघन परीक्षण कब किया जा सकता है? जस्टिस धूलिया ने कहा, “आप ये बताइए कि ये आयोग के अधिकार क्षेत्र में है या नहीं।” वकील गोपाल नारायण ने कहा, “चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में है।” जस्टिस धूलिया ने कहा, “इसका मतलब है कि आप अधिकार क्षेत्र को नहीं बल्कि सघन परीक्षण करने के तरीके को चुनौती दे रहे हैं।” चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में 11 दस्तावेजों को मांगे जाने की वजह बताई। ईसी ने कहा, “जिन 11 दस्तावेजों को मांगा गया है, उनके पीछे एक उद्देश्य है। आधार कार्ड को आधार कार्ड एक्ट के तहत लाया गया है। 60 फीसदी लोगों ने अब तक फॉर्म भर दिया है। अब तक आधे से अधिक फॉर्म को अपलोड भी कर दिया गया है। आधार कार्ड कभी भी नागरिकता का आधार नहीं हो सकता। ये केवल एक पहचान पत्र है। जाति प्रमाण पत्र आधार कार्ड पर निर्भर नहीं है। आधार केवल पहचान पत्र है, उससे ज्यादा कुछ नहीं।” सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “हम आयोग पर सवाल नहीं उठा रहे हैं। आयोग ने साफ कह दिया है कि 11 दस्तावेजों के अलावा भी दूसरे दस्तावेज शामिल हो सकते हैं। हम मामले की सुनवाई अगस्त में करते हैं?” इस पर आयोग ने कहा, “2 अगस्त को सुनवाई कर लीजिए। ड्राफ्ट के प्रकाशन पर रोक मत लगाइए, नहीं तो पूरा प्रोसेस लेट हो जाएगा।” आयोग ने आगे कहा, “हमें प्रक्रिया पूरी करने दीजिए और फिर कोई फैसला लेंगे। नवंबर में चुनाव हैं और हमें अभी क्यों रोका जाए? आप हमें बाद में भी रोक सकते हैं।” इस पर जस्टिस बागची ने कहा, “हम चुनाव आयोग के काम में दखल देने के पक्ष में नहीं हैं।” सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम चुनाव आयोग को एसआईआर करने से रोक नहीं सकते। वो संवैधानिक संस्था है। हम मामले की सुनवाई अगस्त से पहले करेंगे। हम 28 जुलाई को मामले की सुनवाई करेंगे।

भारतीय नर्स को बचाने के लिए शीर्ष कोर्ट में याचिका

नई दिल्ली, 10 जुलाई: सुप्रीम कोर्ट यमन में एक भारतीय नर्स को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। याचिका में केंद्र को राजनयिक माध्यमों का इस्तेमाल करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। अदालत 14 जुलाई को सुनवाई करेगा। नर्स निमिषा को हत्या के आरोप में 16 जुलाई फांसी दिए जाने की संभावना है। अधिवक्ता सुभाष चंद्रन के. आर. ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि मामले में जल्द से जल्द राजनयिक माध्यमों की संभावनाएं तलाशी जानी चाहिए। इस पर न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति जे. बागची ने मामला 14 जुलाई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया। अधिवक्ता चंद्रन ने दलील दी कि शरिया कानून के तहत मृतक परिवार को दियात के माध्यम से ‘क्षमादान पर विचार किया जा सकता है। दियात का मतलब उस आर्थिक मुआवजे से है, जो दोषी की ओर से पीड़ित परिवार को दिया जाता है। अधिवक्ता ने दलील दी कि अगर ‘दियात का भुगतान किया जाता है, तो मृतक का परिवार केरल की नर्स को माफ कर सकता है। पीठ ने वकील से याचिका की प्रति अटॉर्नी जनरल को देने को कहा और उनकी सहायता मांगी। याचिका ‘सेव निमिषा प्रिया -इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल नामक एक संगठन द्वारा दायर की गई है। केरल के पलक्कड़ जिले की 38 वर्षीय नर्स निमिषा प्रिया को 2017 में अपने यमनी बिजनेस पार्टनर की हत्या का दोषी ठहराया गया था। उन्हें 2020 में मौत की सजा सुनाई गई और 2023 में उनकी अंतिम अपील खारिज कर दी गई। वह वर्तमान में यमन की राजधानी सना की एक जेल में कैद हैं। भाकपा सांसद हर संभव मदद का आग्रह किया नई दिल्ली। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के राज्यसभा सदस्य पी. संदोष कुमार ने गुरुवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर को पत्र लिखकर आग्रह किया कि यमन में भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की फांसी पर रोक लगवाने के लिए हर संभव कूटनीतिक और मानवीय प्रयास किए जाएं। विदेशमंत्री हस्तक्षेप करें : महबूबा श्रीनगर। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने यमन में मौत की सजा का सामना कर रही भारतीय नर्स को बचाने के लिए गुरुवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर से हस्तक्षेप करने की मांग की। तत्कालीन राज्य जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा ने लोगों से निमिषा प्रिया के लिए क्षमादान की खातिर जरूरी ‘ब्लड मनी’ जुटाने के वास्ते उदारतापूर्वक दान देने की भी अपील की।