नई दिल्ली, 22 जुलाई :कांग्रेस महासचिव एवं लोकसभा की सदस्य प्रियंका गांधी वाड्रा ने बिहार में चुनाव आयोग द्वारा चलाए जा रहे मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान को लोकतंत्र की हत्या बताते हुए इसको तत्काल रोके जाने की मांग की है। प्रियंका गांधी ने मंगलवार को संसद भवन परिसर में पत्रकारों से कहा कि एसआईआर की प्रक्रिया पूरी तरह से गलत है और इससे मतदाताओं के अधिकारों का हनन हो रहा है। इस दौरान मौजूद कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य इमरान प्रतापगढ़ी ने भी एसआईआर को लेकर गंभीर आपत्ति जतायी और कहा कि यह देशभर के मतदाताओं का वोट लूटने की साजिश है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस मुद्दे को संसद में जोर-शोर से उठाएगी और यह सिर्फ बिहार का नहीं, बल्कि पूरे देश के लोकतांत्रिक ढांचे से जुड़ा सवाल है। इससे पहले, आज एसआईआर के मुद्दे पर विपक्षी सांसदों ने संसद के मकर द्वार पर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष एवं लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव समेत कई प्रमुख विपक्षी नेता उपस्थित थे। सभी नेता अपने हाथों में एसआईआर के विरोध के पोस्टर लिये हुए थे, जिन पर एसआईआर विरोधी नारे लिखे हुए थे। चुनाव आयोग बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची को अद्यतन करने के लिए एसआईआर करा रहा है। इस प्रक्रिया में अब तक 90.67 प्रतिशत मतदाताओं ने फॉर्म भर दिए हैं। इसके बाद ड्राफ्ट सूची जारी होगी और 30 सितंबर तक अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी।
जगदीप धनखड़ का इस्तीफा राष्ट्रपति ने किया स्वीकार, अब चुनाव के लिए होगी तैयारी
नई दिल्ली, 22 जुलाई: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा मंजूर कर लिया है। धनखड़ ने एक दिन पहले स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपना इस्तीफा सौंपा था, जिसे राष्ट्रपति मुर्मू ने संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के तहत तत्काल प्रभाव से स्वीकार कर लिया है। इस इस्तीफे के बाद अब नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी हो रही है। इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा और उसके बाद चुनाव आयोग की ओर से इलेक्शन का शेड्यूल जारी होगा। इस बीच धनखड़ के इस्तीफे की जानकारी मंगलवार को राज्यसभा को दी गई। गृह मंत्रालय ने संविधान के अनुच्छेद 67 (ए) के तहत जारी अधिसूचना में यह जानकारी दी कि उपराष्ट्रपति ने तत्काल प्रभाव से अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। राज्यसभा की बैठक जैसे ही मंगलवार दोपहर 12 बजे प्रश्नकाल के लिए शुरू हुई, सभापति की कुर्सी पर बैठे घनश्याम तिवाड़ी ने सदन को सूचित किया कि “गृह मंत्रालय, दिनांक 22 जुलाई 2025 की अधिसूचना के माध्यम से, भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफ़ा संविधान के अनुच्छेद 67 (ए) के अंतर्गत तत्काल प्रभाव से स्वीकार किया गया है।” राज्यसभा की सुबह की बैठक के दौरान उपसभापति हरिवंश ने कहा, “भारत के उपराष्ट्रपति के पद में उत्पन्न हुई रिक्ति के संबंध में आगे की संवैधानिक प्रक्रिया की जानकारी यथासमय दी जाएगी।” इस्तीफे में क्या बोले धनखड़? जगदीप धनखड़ ने अपने इस्तीफे में लिखा था, “स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देने और चिकित्सीय सलाह का पालन करने के लिए, मैं संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के अनुसार, तत्काल प्रभाव से भारत के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देता हूं।” उन्होंने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मंत्रिपरिषद और सांसदों के सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया। 74 वर्षीय धनखड़ ने अगस्त 2022 में 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी और उनका कार्यकाल 2027 तक था। राजनीतिक गलियारों में हलचल धनखड़ के इस्तीफे ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। संसद के मॉनसून सत्र के पहले दिन उनके इस अचानक फैसले ने कई सवाल खड़े किए हैं। खासतौर पर, विपक्ष ने उनके इस्तीफे के समय पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, “यह इस्तीफा जितना चौंकाने वाला है, उतना ही समझ से परे भी। मैं आज शाम तक उनके साथ था और सब कुछ सामान्य लग रहा था।” उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से धनखड़ को मनाने की अपील की। संविधान के अनुच्छेद 68 के अनुसार, उपराष्ट्रपति के पद पर रिक्ति होने पर जल्द से जल्द चुनाव कराया जाना आवश्यक है। उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के सदस्यों से मिलकर बने निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है, जिसमें अनुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर गुप्त मतदान होता है। जब तक नया उपराष्ट्रपति चुना नहीं जाता, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह कार्यवाहक सभापति के रूप में जिम्मेदारी संभालेंगे। सूत्रों के अनुसार, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए), जिसके पास दोनों सदनों में बहुमत है, जल्द ही नए उम्मीदवार के नाम पर विचार-विमर्श शुरू कर सकता है। विवादों में रहा कार्यकाल धनखड़ का कार्यकाल विवादों से भी घिरा रहा। विपक्ष ने उन पर राज्यसभा के संचालन में पक्षपात का आरोप लगाया था और दिसंबर 2024 में उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी लाया गया था, जिसे उपसभापति ने खारिज कर दिया था। इसके अलावा, उनकी हालिया एंजियोप्लास्टी और स्वास्थ्य समस्याओं ने भी उनके इस फैसले को प्रभावित किया। धनखड़ के इस्तीफे के बाद सियासी हलचल तेज हो गई है, और सभी की नजर अब इस बात पर टिकी है कि देश का अगला उपराष्ट्रपति कौन होगा और यह चुनाव कब तक पूरा होगा। संसद में आखिरी दिन धनखड़ का आखिरी दिन राज्यसभा में काफी व्यस्त रहा। उन्होंने मॉनसून सत्र के पहले दिन की कार्यवाही की अध्यक्षता की। उन्होंने उच्च न्यायालय के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर भी चर्चा कराई, जो विपक्ष द्वारा समर्थित था। धनखड़ ने इस प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए कहा कि यह 50 से अधिक सांसदों द्वारा हस्ताक्षरित है और संवैधानिक आवश्यकताओं को पूरा करता है। हालांकि, कुछ बीजेपी नेताओं के अनुसार, इस प्रस्ताव को स्वीकार करने से पहले धनखड़ द्वारा सरकार के साथ परामर्श न करने से असहज स्थिति पैदा हुई थी, जिसे उनके इस्तीफे से जोड़ा जा रहा है।
जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों से उप राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दिया
नई दिल्ली, 22 जुलाई : उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को एक अप्रत्याशित घटनाक्रम में स्वास्थ्य कारणों से अपने पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे दिया। श्री धनखड़ ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को लिखे पत्र में कहा है कि वह चिकित्सकीय सलाह का पालन करते हुए स्वास्थ्य कारणों से अपने पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे रहे हैं। श्री धनखड़ ने पत्र में लिखा है, ‘‘स्वास्थ्य सेवा को प्राथमिकता देने और चिकित्सीय सलाह का पालन करने के लिए, मैं संविधान के अनुच्छेद 67(क) के अनुसार, तत्काल प्रभाव से भारत के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देता हूँ।” उप राष्ट्रपति के कार्यालय ने श्री धनखड़ द्वारा राष्ट्रपति को लिखे पत्र को सोशल मीडिया पर भी पोस्ट किया है। उल्लेखनीय है कि श्री धनखड़ ने आज यानी सोमवार को राज्यसभा की कार्यवाही का संचालन किया था। उनका बुधवार को एक दिन के दौरे पर राजस्थान में जयपुर जाने के कार्यक्रम की भी आज ही घोषणा की गयी थी। श्री धनखड़ ने पत्र में उप राष्ट्रपति के रूप में राष्ट्रपति के साथ सुखद कार्य अनुभव के लिए श्रीमती मुर्मु के प्रति आभार भी प्रकट किया। उन्होंने कहा, ‘‘मैं भारत की राष्ट्रपति के प्रति उनके अटूट सहयोग और मेरे कार्यकाल के दौरान हमारे बीच सुखद और अद्भुत कार्य संबंधों के लिए अपनी हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त करता हूँ।” उन्होंने प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद के प्रति भी कृतज्ञता व्यक्त की और कहा कि प्रधानमंत्री का सहयोग और समर्थन अमूल्य रहा और उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान बहुत कुछ सीखा। श्री धनखड़ ने कहा कि अपने कार्यकाल के दौरान वह भारत की उल्लेखनीय आर्थिक प्रगति और अभूतपूर्व विकास के साक्षी बने । उन्होंंने कहा, ‘‘राष्ट्र के इतिहास के इस परिवर्तनकारी युग में सेवा करना मेरे लिए एक सच्चा सम्मान रहा है। इस प्रतिष्ठित पद से विदा लेते हुए, मुझे भारत के वैश्विक उत्थान और अभूतपूर्व उपलब्धियों पर गर्व है और इसके उज्ज्वल भविष्य में अटूट विश्वास है।” उल्लेखनीय है कि श्री धनखड़ को इसी वर्ष मार्च में हृदय संबंधी समस्या के चलते एम्स में भर्ती कराया गया था जहां उपचार के दौरान उन्हें स्टेन्ट डाला गया था। स्वस्थ होने के बाद से वह निरंतर राज्यसभा की कार्यवाही का संचालन कर रहे थे।
बिहार से बंगाल तक कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) ने पांच राज्यों में किया बंद का एलान
नई दिल्ली, 20 जुलाई : कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) ने बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और असम में 3 अगस्त को बंद का एलान किया है। कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) ने इस संबंध में एक पत्र भी जारी किया है, जिसमें पार्टी के वरिष्ठ सदस्यों और कार्यकर्ताओं से शामिल होने की अपील की गई है। पत्र में जिक्र किया गया है कि पूर्वी रीजनल ब्यूरो अपनी पार्टी कमेटियों, फौजी इकाइयों और जन संगठनों से अपील करता है कि वे हमारी पार्टी के महासचिव अमर शहीद कॉमरेड बसवराज और कॉमरेड विवेक की शहादत को याद करें, उनके क्रांतिकारी जीवन और कम्युनिस्ट आदर्शों से प्रेरणा लें और क्रांति के रास्ते पर जोश के साथ आगे बढ़ें। इसमें आगे कहा गया, “पूर्वी रीजनल ब्यूरो 20 जुलाई से 3 अगस्त 2025 तक स्मृति सभा का आयोजन कर रहा है। उसे सफल करने के लिए गांव-गांव, इलाके-इलाके में व्यापक रूप में ग्रुप मीटिंग, आम सभा व रैली का आयोजन कर स्मृति सभा को सफल करें। साथ ही 3 अगस्त 2025 को बिहार, झारखंड, उत्तरी छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और असम में एक दिवसीय बंद को सफल करें। यह बंद केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा माओवादी नेताओं, कार्यकर्ताओं, समर्थकों और आदिवासी-ग्रामीण जनता पर किए जा रहे दमन के खिलाफ है।” पत्र में कॉमरेड बसवराज का भी जिक्र किया गया। इसमें कहा गया, “21 मई 2025 को छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के गुंडेकोट पहाड़ में पुलिस के साथ 60 घंटे के संघर्ष के बाद हमारी पार्टी के महासचिव और पोलित ब्यूरो सदस्य कॉमरेड बसवराज (नवाला केशव राव) अपने दल के साथ शहीद हो गए। 21 मई 2025 को भारत के क्रांतिकारी आंदोलन के लिए काला दिन था।” बता दें कि 21 मई को छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में अबूझमाड़ जंगल में सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई थी, जिसमें 27 नक्सली मारे गए थे। मारे गए नक्सलियों में 1.5 करोड़ का इनामी बसवराजू भी शामिल था, जो 70 साल का था और आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के एक गांव का रहने वाला था।
मानसून सत्र को लेकर सर्वदलीय बैठक शुरू, जेपी नड्डा कर रहे अध्यक्षता
नई दिल्ली, 20 जुलाई : संसद के आगामी मानसून सत्र से पहले आज (20 जुलाई) सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई है। बैठक सुबह 11:00 बजे संसद भवन एनेक्सी के मुख्य समिति कक्ष में शुरू हुई। केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता कर रहे हैं। इस बैठक में सरकार सभी राजनीतिक दलों से संसद के दोनों सदनों के सुचारु संचालन चलाने को लेकर बात कर रही है। इस सत्र में केंद्र सरकार 8 विधेयक पेश करने की योजना बना रही है। इस बैठक में विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता भाग ले रहे हैं, जहां सरकार का प्रतिनिधित्व संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू और उनके कनिष्ठ मंत्री अर्जुन राम मेघवाल कर रहे हैं। कांग्रेस के गौरव गोगोई और जयराम रमेश, राकांपा-शरद पवार की सुप्रिया सुले, द्रमुक के टी.आर. बालू और आरपीआई (ए) नेता एवं केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले भी बैठक में शामिल हो रहे हैं। संसद का यह मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होकर 21 अगस्त तक चलेगा, जिसमें कुल 21 बैठकें होंगी। गौरतलब है कि 12 अगस्त से 18 अगस्त के बीच कोई बैठक निर्धारित नहीं की गई है। बैठक के बाद कांग्रेस सांसद गौरव गगोई ने कहा कि सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस ने पहलगाम में हुई चूक और ट्रंप के दावों पर प्रधानमंत्री मोदी से बयान की मांग की है। गगोई ने कहा कि सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस द्वारा उठाए गए प्रमुख मुद्दों पर संसद में बयान देना प्रधानमंत्री मोदी का दायित्व है। सर्वदलीय बैठक में शामिल होने के बाद आप सांसद संजय सिंह कहते हैं, मैं सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता कर रहे जेपी नड्डा से अनुमति लेकर किसी अन्य महत्वपूर्ण बैठक में जा रहा हूं। मैंने अपनी पार्टी की ओर से जो मुद्दा उठाया है, वह यह है कि अमेरिकी राष्ट्रपति बार-बार कह रहे हैं कि उन्होंने ट्रेड डील के नाम पर सीजफायर करवाया, सरकार को इस पर स्पष्टीकरण देना चाहिए। दिल्ली में झुग्गियां तोड़ी गईं और मैंने यह मुद्दा उठाया है और सरकार को इसे रोकना चाहिए। बिहार में एसआईआर की यह कवायद बंद होनी चाहिए… अगर सरकार जवाब नहीं देती है, तो हम सदन के अंदर और बाहर सवाल उठाएंगे। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इंडिया ब्लॉक केवल लोकसभा चुनावों के लिए है और आप अपने दम पर विधानसभा चुनाव लड़ रही है। इससे पहले मीडिया को संबोधित करते हुए मंत्री रिजिजू ने कहा था कि सरकार महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मामलों और लंबित विधेयकों पर चर्चा के लिए पूरी तरह तैयार है। उन्होंने कहा, संसद शुरू होने वाली है। संसद में जो भी मुद्दा आएगा, हम उसे सुनेंगे। कल खरगे जी और राहुल जी के साथ मेरी बहुत अच्छी बैठक हुई। मैं अन्य विपक्षी दलों के नेताओं के साथ नियमित बैठकें करता रहता हूं। एक संसदीय मंत्री होने के नाते, सभी के साथ समन्वय बनाए रखना मेरी जिम्मेदारी है। आठ नये विधेयक पेश करेगी केंद्र सरकार केंद्र सरकार सोमवार (21 जुलाई 2025) से शुरू हो रहे मानसून सत्र में कुल आठ नये विधेयकों को पेश करने की योजना बनाई है जिनमें भू-विरासत स्थलों और भू-अवशेषों के संरक्षण और सुरक्षा से संबंधित एक विधेयक भी शामिल है। मानसून सत्र के लिए प्रस्तावित विधेयकों में राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक, भू-विरासत स्थल और भू-अवशेष (संरक्षण और रखरखाव) विधेयक, खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक और राष्ट्रीय डोपिंग रोधी (संशोधन) विधेयक शामिल है।
बिहार में राजद-कांग्रेस शासन के दौरान विकास कोसों दूर हुआ करता था : प्रधानमंत्री मोदी
मोतिहारी/नई दिल्ली, 18 जुलाई : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को बिहार के पूर्वी चंपारण जिले में 7,200 करोड़ रुपये से अधिक की विकास परियोजनाओं की शुरुआत करने के बाद विपक्षी दलों राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके शासनकाल में विकास कोसों दूर हुआ करता था। परियोजनाओं के उद्घाटन के बाद मोतिहारी में एक रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि राजद-कांग्रेस ने कभी बिहार के गरीब लोगों की भलाई के बारे में नहीं सोचा, उल्टे उनके शासनकाल में गरीब लोग गरीब ही रहे। मोदी ने कहा कि पूर्वी भारत के समग्र विकास के लिए ‘विकसित बिहार’ जरूरी है और मोतिहारी को मुंबई की तरह विकसित बनाना होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि चंपारण ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महात्मा गांधी के आंदोलन को नई दिशा दी थी। उन्होंने कहा कि देश में कुल 1.5 करोड़ ‘लखपति दीदियों’ में से 20 लाख बिहार में हैं। उन्होंने कहा कि देश में युवाओं को नौकरी और रोजगार उपलब्ध कराने के लिए केन्द्र सरकार एक लाख करोड़ रुपये खर्च करेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि राजद युवाओं को रोजगार देने के बारे में सोच भी नहीं सकती और उसने नौकरी देने से पहले गरीबों की जमीन हड़प ली थी। इससे पहले प्रधानमंत्री ने पूर्वी चंपारण जिले में 7,200 करोड़ रुपये से अधिक की विकास परियोजनाओं की शुरुआत की। ये परियोजनाएं रेल, मत्स्य पालन और अन्य क्षेत्रों से संबंधित हैं। इस अवसर पर बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, कई केंद्रीय मंत्री और अन्य लोग उपस्थित थे। चौधरी ने कहा कि जिला मुख्यालय मोतिहारी का प्रधानमंत्री का यह दौरा 2014 के बाद से उनका 53वां बिहार दौरा है।
मोदी ने बिहार में किया 5381 करोड़ रुपये की रेल परियोजनाओं का लोकार्पण-शिलान्यास
मोतिहारी/नई दिल्ली, 18 जुलाई : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शुक्रवार को बिहार में 5381 करोड़ रुपये से अधिक की रेल परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया। श्री मोदी ने मोतिहारी में आयोजित समारोह में रेल, सड़क, ग्रामीण विकास, मत्स्य पालन, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्रों से जुड़ी 7200 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री ने संचार और बुनियादी ढांचे को मजबूत करने वाली कई रेल परियोजनाओं को राष्ट्र को समर्पित किया जिनमें समस्तीपुर-बछवाड़ा रेल लाइन के बीच स्वचालित सिग्नलिंग शामिल है। इस दौरान प्रधानमंत्री ने कई रेल परियोजनाओं का शिलान्यास भी किया, जिनमें पाटलिपुत्र में वंदे भारत ट्रेनों के रखरखाव के लिए बुनियादी ढांचे का विकास और भटनी-छपरा ग्रामीण रेल लाइन (114 किमी) पर स्वचालित सिग्नलिंग तथा 232 करोड़ रुपये की लागत से तैयार होने वाले भटनी-छपरा ग्रामीण खंड में कर्षण प्रणाली का उन्नयन करना शामिल भी है। कर्षण प्रणाली के बुनियादी ढांचे को मज़बूत और ऊर्जा दक्षता को अनुकूलित करके ट्रेनों की गति बढ़ाई जाएगी। उन्होंने लगभग 4,080 करोड़ रुपये की लागत वाली दरभंगा-नरकटियागंज रेल लाइन दोहरीकरण परियोजना का भी शिलान्यास किया। इससे अधिक यात्री और मालगाड़ियों का संचालन संभव होगा और उत्तर बिहार तथा देश के बाकी हिस्सों के बीच संपर्क मज़बूत होगा। प्रधानमंत्री ने चार अमृत भारत एक्सप्रेस ट्रेनों को आभासी माध्यम से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। वंदे भारत जैसी रफ्तार और अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस इन अमृत भारत एक्सप्रेस ट्रेनों में पटना-नई दिल्ली अमृत भारत एक्सप्रेस, मालदा टाऊन-गोमतीनगर, लखनऊ अमृत भारत एक्सप्रेस, दरभंगा-गोमतीनगर, लखनऊ अमृत भारत एक्सप्रेस और मोतिहारी के बापूधाम से चलकर दिल्ली के आनंद विहार जाने वाली अमृत भारत एक्सप्रेस शामिल है। तेज रफ्तार वाली यह ट्रेन आधुनिक सुविधाएं लैस होगी। यह ट्रेन करीब 130 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलेगी। पटना से दिल्ली के बीच का लगभग 1000 किलोमीटर का सफर मात्र 10 घंटे में पूरा करेगी। इस ट्रेन में सिर्फ जनरल और स्लीपर कोच है। इसमें एसी कोच नहीं होंगे। इस ट्रेन में सफर करने वाले यात्रियों को सुविधाएं वंदे भारत ट्रेन जैसी मिलेगी। पटना से दिल्ली के बीच चलने वाली अमृत भारत एक्सप्रेस करीब 12 जंक्शनों पर ठहरेगी जिनमें आरा, बक्सर, दीन दयाल उपाध्याय नगर (डीडीयू), मिर्जापुर, प्रयागराज, कानपुर सेंट्रल, इटावा जंक्शन शामिल हैं। इस ट्रेन में यात्रियों को हर सीट पर चार्जिंग प्वाइंट की सुविधा रहेगी। यात्रियों की सुरक्षा के लिए सभी कोच में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। इसके अलावा साफ-सुथरे और हाईटेक शौचालय की व्यवस्था की गयी है। यात्रियों को अहम जानकारी देने के लिए कोच में डिजिटल बोर्ड और बेहतर रोशनी की व्यवस्था भी है। पाटलिपुत्र कोचिंग कॉम्प्लेक्स में 283 करोड़ रुपये की लागत से वंदे भारत के रखरखाव केंद्र बनेगा।यहां वंदे भारत ट्रेनों के रोजाना रखरखाव के लिए अलग-अलग प्रकार की पांच लाइनें बनायी जाएंगी। इसके निर्माण का टेंडर हो चुका है। श्री मोदी ने 53 करोड़ रुपये की लागत से तैयार समस्तीपुर-बछवारा के बीच स्वचालित सिग्नलिंग सिस्टम को राष्ट्र को समर्पित किया। साथ ही, उन्होंने भटनी से छपरा (114 के एम पार्ट ऑटोमेटिक सिगनलिंग गोरखपुर कैंट्ट-छपरा ग्रामीण रे ल सेक्शन के बीच) के बीच 153 करोड़ रुपये की लागत वाली ऑटोमैटिक सिग्नलिंग सिस्टम की शुरुआत की।
मोदी सरकार को घेरने की रणनीति में जुटी कांग्रेस, लेकिन शशि थरुर की गैरमौजदगी बनी चर्चा का विषय
नई दिल्ली, 16 जुलाई : 21 जुलाई से मानसून सत्र की शुरुआत हो रही है। विपक्ष के तेवर को देखकर लग रहा हैं कि मानसून सत्र धमाकेदार और हंगामेदार होगा। कांग्रेस ने अभी से रणनीति बना ली है। इस लेकर कांग्रेस की मंगलवार को एक अहम बैठक हुई। बैठक की अध्यक्षता सोनिया गांधी ने की। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से लेकर राहुल गांधी बैठक में शामिल हुए, मगर शशि थरूर बैठक से नदारद रहे। दरअसल संसद के मानसून सत्र में कांग्रेस ने पहलगाम से लेकर बिहार वोटर लिस्ट पर मोदी सरकार को घेरने की तैयारी कर ली है। कांग्रेस ने फैसला किया कि 21 जुलाई से आरंभ हो रहे संसद के मानसून सत्र के दौरान वे पहलगाम हमले के आतंकियों के बारे में अब तक पता नहीं चलने, ऑपरेशन सिंदूर को रोकने और बिहार में जारी मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान और कुछ अन्य मुद्दों को प्रमुखता से उठाएगी। इस बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष खरगे लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, राज्यसभा में पार्टी के उपनेता प्रमोद तिवारी और महासचिव जयराम रमेश, लोकसभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक के सुरेश और सचेतक मणिकम टैगोर आदि नेताओं ने भाग लिया। मगर बैठक में शशि थरूर गायब रहे। अब सवाल है कि जब कांग्रेस की कोर टीम मोदी सरकार के खिलाफ रणनीति बना रही थी, तब शशि थरूर कहां गायब थे? इसका जवाब है कि थरूर देश से बाहर हैं। इसलिए आज 15 जुलाई की बैठक में शामिल नहीं हुए हैं। पार्टी को इसकी जानकारी दे दी गई है। बैठक के बाद राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता तिवारी ने कहा कि देश यह पूछ रहा है कि पहलगाम में 26 महिलाओं के मांग का सिंदूर उजाड़ने वाले आतंकी कहां हैं और अब तक उनके खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई? उन्होंने कहा कि यह भी मुद्दा है कि अमेरिका के दबाव में ऑपरेशन सिंदूर को रोका गया।
मानसून सत्र के दौरान आठ नए विधेयक पेश करने की तैयारी में सरकार
नई दिल्ली, 16 जुलाई : केंद्र सरकार सोमवार से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र में आठ नए विधेयक को पेश करने की तैयरी में है। इसमें भू-अवशेषों के संरक्षण और सुरक्षा से संबंधित विधेयक भी शामिल है। संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से 21 अगस्त तक चलेगा। इस दौरान दोनों सदनों की कुल 21 बैठकें होंगी। सदन की बैठकें हंगामेदार होने के आसार हैं। विपक्ष बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से युद्धविराम की घोषणा सहित अन्य मुद्दों पर सरकार को घेरने की तैयारी में है। सरकार द्वारा मानसून सत्र के दौरान आयकर विधेयक, 2025 भी पेश किए जाने की उम्मीद है। यह विधेयक फरवरी में लोकसभा में पेश किया गया था और इसे निचले सदन की एक प्रवर समिति को भेजा गया था। समिति ने बुधवार को अपनी रिपोर्ट स्वीकार कर ली और सोमवार को इसे लोकसभा में पेश किए जाने की संभावना है। वहीं, सरकार मणिपुर में राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाने और राज्य की अनुदान मांगों को सदन में रखने की तैयारी में है। ये हैं नए विधेयक -राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक -भू-विरासत स्थल और भू-अवशेष (संरक्षण और रखरखाव) विधेयक -खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक -राष्ट्रीय डोपिंग रोधी (संशोधन) विधेयक -मणिपुर वस्तु एवं सेवा कर (संशोधन) विधेयक -जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) विधेयक -भारतीय प्रबंधन संस्थान (संशोधन) विधेयक – कराधान कानून (संशोधन) विधेयक
प्रधानमंत्री मोतिहारी में 18 जुलाई को करेंगे जनसभा, बिहार को देंगे करीब 7,200 करोड़ की विकास परियोजनाओं की सौगात
-चंपारण की सभी 21 सीटों पर राजग गठबंधन की नजर पटना, 16 जुलाई: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 18 जुलाई यानी शुक्रवार को बिहार के पूर्वी चंपारण जिला मुख्यालय मोतिहारी में एक जनसभा को सम्बोधित करेंगे। बिहार सरकार से प्राप्त जानकारी के अनुसार जनसभा के दौरान पीएम मोदी सड़क, रेलवे, इलेक्ट्रॉनिक्स और ग्रामीण कल्याण सहित प्रमुख क्षेत्रों में करीब 7,196 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं का अनावरण और शिलान्यास करेंगे। विकास परियोजनाओं में से 5,398 करोड़ रुपये रेलवे परियोजनाओं के लिए जाएगा, जबकि 1,173 करोड़ रुपये सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के तहत बुनियादी ढांचे के लिए निर्धारित हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय 63 करोड़ रुपये की परियोजनाओं में योगदान देगा। इसके अलावा, प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) के तहत 40,000 लाभार्थियों के खातों में सीधे 162 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए जाएंगे। इसी योजना के तहत लगभग 12,000 लाभार्थियों को गृह प्रवेश मिलेगा। इसके अलावा, ग्रामीण आजीविका को मज़बूत करने के उद्देश्य से 61,500 स्वयं सहायता समूहों को 400 करोड़ रुपये जारी किए जाने हैं। अक्टूबर-नवम्बर में होने वाले राज्य विधानसभा चुनावों के साथ, बिहार में राजनीतिक हलचल तेज़ हो गई है। प्रधानमंत्री का यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब विपक्षी दलों की सक्रियता बढ़ रही है, जिसमें विपक्ष के नेता राहुल गांधी के कई दौरे भी शामिल हैं। प्रधानमंत्री मोदी का पिछला बिहार दौरा 20 जून को हुआ था, जब उन्होंने सीवान जिले के जसोली में एक जनसभा को संबोधित किया था। इससे पहले उन्होंने 29 मई को पटना में एक रोड शो और 30 मई को शाहाबाद में एक रैली की थी। चंपारण 21 सीटों पर दांव पूर्वी चंपारण स्थित मोतिहारी की लड़ाई भाजपा के लिए महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री मोदी के दौरे से पूर्वी और पश्चिमी चंपारण, दोनों ज़िलों के मतदाताओं पर असर पड़ने की उम्मीद है, जहां कुल मिलाकर 21 विधानसभा सीटें हैं। 2020 के विधानसभा चुनावों में, राजग ने इन 21 में से 17 सीटें जीतकर अपना दबदबा बनाया था। पूर्वी चंपारण (12 सीटें) वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में पूर्वी चंपारण में राजग ने 9 सीटें (8 भाजपा, 1 जदयू) जीती थीं, जबकि राजद ने महागठबंधन के लिए तीन सीटें हासिल की थीं। राजग की नज़र कल्याणपुर, सुगौली और नरकटिया सीटों पर फिर से कब्ज़ा करने पर है, जो उसने पहले खो दी थीं। पश्चिमी चंपारण (9 सीटें) राजग ने यहां 2020 के विधानसभा चुनाव में 8 सीटों पर कब्जा जमाया था। (7 भाजपा, 1 जदयू), जबकि भाकपा (माले) ने पिछली बार एक सीट जीती थी। भाजपा अपने इस गढ़ चंपारण में अपनी मज़बूत पकड़ बनाना चाहती है। प्रधानमंत्री के दौरे का उद्देश्य इस आधार को और मज़बूत करना और विपक्ष के किसी भी तर्क का जवाब देना है। नीतीश फ़ैक्टर: 2015 और 2020बिहार की राजनीति को बहुत करीब से जानने वाले वरिष्ठ पत्रकार लव कुमार मिश्र ने बातचीत में कहा कि बिहार में राजनीतिक समीकरण ऐतिहासिक रूप से अनिश्चित रहे हैं, खासकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गठबंधनों के संदर्भ में। यह यात्रा पुनर्गठित राजग के लाभों को भी उजागर करेगी। उन्होंने कहा कि वर्ष 2015 में नीतीश राजग के साथ नहीं थे। पूर्वी चंपारण में, राजग गठबंधन ने 12 में से केवल पांच सीटें जीतीं, जबकि महागठबंधन ने सात सीटें जीतीं। भाजपा का वोट शेयर 23.5 प्रतिशत था। अगर बात 2020 के विधानसभा चुनाव की करें तो नीतीश कुमार एनडीए के साथ थे। पूर्वी चंपारण में गठबंधन की सीटों की संख्या बढ़कर नौ हो गई। पूरे राज्य में, भाजपा का वोट शेयर 25.8 प्रतिशत और जदयू का 20.1 प्रतिशत हो गया। राजग की रणनीति सीटों में अधिकतम वृद्धि हासिल करने की है, जिसका लक्ष्य इस साल पूर्वी चंपारण की सभी 12 सीटों पर क्लीन स्वीप करना है। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री का 2014 में पदभार ग्रहण करने के बाद से बिहार की यह 53वीं यात्रा होगी।